शब्दाक्षर बिहार द्वारा ब्राह्मणी घाट पर पितृपक्ष पर निःशुल्क चाय सेवा एवं काव्यगोष्ठी, धन्य फल्गु की धार, धन्य है गयाधाम की धरा महान, धन्य विष्णुपद, धन्य पूर्वजों के प्रति श्रद्धामय सम्मान

शब्दाक्षर बिहार द्वारा ब्राह्मणी घाट पर पितृपक्ष पर निःशुल्क चाय सेवा एवं काव्यगोष्ठी, धन्य फल्गु की धार, धन्य है गयाधाम की धरा महान, धन्य विष्णुपद, धन्य पूर्वजों के प्रति श्रद्धामय सम्मान

गया। राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था शब्दाक्षर की बिहार प्रदेश इकाई द्वारा शब्दाक्षर बिहार प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्र पद्मनाभ एवं शब्दाक्षर की राष्ट्रीय प्रवक्ता-सह-शब्दाक्षर बिहार की प्रदेश साहित्य मंत्री डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी के संयुक्त समन्वयन एवं संयोजन में फल्गु तट पर अवस्थित ब्राह्मणी घाट पर पितृपक्ष मेला महासंगम में पधारे तीर्थयात्रियों के सेवार्थ एकदिवसीय निःशुल्क चाय सेवा शिविर लगाया गया। श्री पद्मनाभ एवं डॉ रश्मि के नेतृत्व में शब्दाक्षर के सभी पदाधिकारियों ने तीर्थयात्रियों को निःशुल्क चाय एवं शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाया। साथ ही, इस अवसर पर पितृपक्ष के मद्देनज़र शब्दाक्षर काव्यगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। काव्यगोष्ठी में शब्दाक्षर की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ रश्मि प्रियदर्शनी, प्रदेश अध्यक्ष मनोज मिश्र ‘पद्मनाभ’, शब्दाक्षर जहानाबाद की जिलाध्यक्ष सावित्री सुमन, शब्दाक्षर जहानाबाद के उपाध्यक्ष महेश कुमार मिश्र मधुकर, शब्दाक्षर गया के सदस्य प्यारचन्द कुमार मोहन, शब्दाक्षर जहानाबाद की नवनियुक्त जिला साहित्य मंत्री सुप्रिया गुप्ता व आमंत्रित अन्य कवि-कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया।
डॉ रश्मि ने अपनी स्वरचित कविता “धन्य फल्गु की धार, धन्य है गयाधाम की धरा महान। धन्य विष्णुपद, धन्य पूर्वजों के प्रति श्रद्धामय सम्मान। धन्य कामना मोक्ष-प्राप्ति की, धन्य आत्मउन्नति हित ज्ञान। धन्य महालय पक्ष, धन्य याचक को दिया गया शुभ दान। धन्य महासंगम विराट, सत्कर्मों का यह शुचि मेला। धन्य-धन्य, है धन्य-धन्य, यह पितृपक्ष की शुभ वेला” द्वारा अंतःसलिला फल्गु एवं मोक्षभूमि गयाजी की धरती पर आयोजित पितृपक्ष मेला महासंगम के प्रति अपनी श्रद्धाभावनाएँ निवेदित कीं। पी. के. मोहन ने “पितृपक्ष की वेला में हम फल्गु तट पर आये हैं, तीर्थयात्रियों की सेवा में पलकें यहाँ बिछाये हैं” पंक्तियाँ पढ़ीं। महेश मधुकर की कविता “हे राम कृष्ण, एक बार तुम्हें भारत में आना ही होगा” पर खूब वाहवाहियां लगीं। मनोज मिश्र पद्मनाभ ने देश के कर्मठ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के सम्मान में “मेरे जागने की वजह तुम हो, मैं तो सो रहा था गहरी नींद में” पंक्तियाँ पढीं। श्रोताओं ने सावित्री सुमन की “दोनों हाथों को जोड़कर आलिंगन करो उसका जरा। और देखो तेरे साथ जमीं पर नीचे आकाश बैठा होगा” को भी खूब सराहा। सुप्रिया गुप्ता ने “हरी भरी धरती को देखकर चांद हो गया मोहित” पंक्तियाँ पढीं। काव्य गोष्ठी के उपरांत शब्दाक्षर पदाधिकारियों ने फल्गु तट पर नवनिर्मित रबर डैम का भी परिभ्रमण किया तथा प्राकृतिक सुषमा एवं पितृपक्ष मेला महासंगम का दर्शन किया। शब्दाक्षर परिवार ने गया के सम्मानित साहित्यकार स्वर्गीय गोवर्धन प्रसाद सदय को उनकी जयंती पर स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम का समापन पावन शांति पाठ से हुआ। मौके पर शब्दाक्षर झारखंड प्रदेश प्रचार मंत्री अश्विनी कुमार, पंकज मिश्र, मुंबई के पार्श्वगायक प्रवाल रंजन, मुकेश मिश्र, पीयूष रंजन आदि की भी उपस्थिति रही। कार्यक्रम के सफल आयोजन पर शब्दाक्षर के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह ने हर्ष जताया तथा शब्दाक्षर बिहार प्रदेश को शुभकामनाएं दीं।