किसानों के लिए लाभदायक है केन्द्र सरकार का नया अध्यादेश : अशोक कुमार सिंह
पटना। किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार ने नये अध्यादेश लाकर सही कदम उठाया है। अब देश के किसी भी मंडी में किसान अपनी फसल को बेचने में सक्षम हो सकेंगे। बाधा मुक्त कृषि व्यापार के अध्यादेश ने किसानों के लिए देशभर के बाजार खोल दिए हैं। इससे किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो सकेंगे। जब किसान समृद्ध होंगे, तो देश की अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी। किसान कभी सोच नहीं सकते थे कि सीधे कारखाने तक बगैर बिचौलियों के सहयोग से अपने उत्पादों को पहुंचा सकेंगे। लेकिन अब केंद्र सरकार की पहल पर ऐसा संभव हो सकेगा। केंद्र सरकार ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा), मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता और कृषि सेवा पर अध्यादेश जारी किया है। इससे किसानों को राज्य के भीतर या बाहर कहीं भी अपने पसंद के बाजार, संग्रह केंद्र, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज और कारखाने को अपनी उपज बेचने की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। यह अध्यादेश मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता और कृषि व्यवसाय से जुड़ी कंपनियों, थोक व्यापारी और निर्यातकों के साथ पहले से तय कीमतों पर अपनी उपज की बिक्री का करार करने की भी छूट देता है। केंद्र सरकार की इस पहल का लाभ देश के किसानों को मिल सकेगा। इससे किसान न सिर्फ अपनी उपज का लाभकारी मूल्य हासिल करने में समर्थ हो सकेंगे, बल्कि उन्नत खेती की ओर अग्रसर होंगे। किसान सक्षम होंगे तो ग्रामीण क्रय शक्ति बढ़ेगी। यह देश के उद्योगों की मांग और आपूर्ति में भी उत्प्रेरक का काम करेगी। केंद्र सरकार की ओर से खेती-किसानी के कल्याण में उठाए गए आवश्यक कदम काफी सराहनीय है। ज़रा गौर कीजिए, कमोबेश देश के सारे उत्पादक अपने उत्पादों की कीमत स्वयं तय करते हैं। लेकिन किसान, जो अपनी फसल पैदा करता है, उसकी कीमत सरकारें, कृषि बाजार की समितियां या बिचौलिए तय करते हैं। यही नहीं, अपने उत्पादों को बेचने की तय कीमत भी किसानों को नहीं मिल पाती। बिचौलियों और दलालों के दलदल में फंस कर किसान हमेशा कराहते रहे हैं। भंडारण का अभाव, सूखा और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा आदि समस्याओं को झेलते हुए किसानों को फसलों की लागत भी नहीं निकल पाती है। किसान इन समस्याओं को दूर करने के लिए लंबे अरसे से मांग कर रहे थे। अब केंद्र सरकार ने उनकी सुनी है। अब किसानों को उनकी उपज देश में कहीं भी बेचने में सक्षम बनाने वाला यह कानून काफी प्रभावकारी और हितकारी साबित होगा। वहीं, अनुबंध खेती की अनुमति मिलने से देश के किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। यह अध्यादेश किसानों की आय दोगुनी करने में काफी प्रभाव प्रभावकारी रूप से मददगार साबित होगा। जब खेतों में बड़े-बड़े कल कारखाने के उद्यमी आएंगे तो कृषक से उपभोक्ता तक की श्रृंखला में सकारात्मक परिवर्तन आएगा। कोल्ड स्टोरेज, वाहन, विपणन आदि की समस्यायों के समाधान के साथ ही बिचौलियों का खात्मा होगा। जमीन मालिकों को आर्थिक लाभ व मजदूर वर्ग को भी इससे रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। किसानों को उनकी फसल को कहीं भी बेचने की इजाजत देने से उन्हें फसल का उचित मूल्य तो मिलेगा ही, साथ ही हमारे कृषि प्रधान देश में अन्य उत्पाद भी उचित दामों पर उपभोक्ताओं तक पहुंच सकेंगे। कुल मिलाकर केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में किसानों की तस्वीर बदल देने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाया है। किसानों की यह बहुप्रतीक्षित मांग थी। आने वाले समय में इसका सकारात्मक असर दिखेगा। इससे कृषि उत्पाद विपणन समिति अधिनियम में भी सुधार आएगा। इसके तहत किसान अपनी उपज को जहां उसे उचित और लाभकारी मूल्य मिले, वहां भेज सकते हैं। अब तक कृषि उत्पादों को केवल स्थानीय अधिसूचित मंडियों के माध्यम से ही बेचने की अनुमति थी। लेकिन इस अध्यादेश के लागू होने के बाद अब किसान किसी भी मंडी, बाजार संग्रह केंद्र, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, कारखाने आदि में फसलों को बेचने के लिए स्वतंत्र हैं। इससे किसानों का स्थानीय मंडियों में होने वाला शोषण कम होगा और फसलों की भी अच्छी कीमत मिल सकेगी। किसानों के लिए पूरा देश एक बाजार होगा। पहले स्थानीय मंडी में केवल लाइसेंसधारक व्यापारियों के माध्यम से ही किसान अपनी फसल बेच सकते थे, लेकिन अब बाहर के व्यापारियों को भी फसलों को खरीदने की अनुमति होगी। इससे मंडी के व्यापारियों द्वारा समूह बनाकर किसानों के शोषण करने की प्रवृत्ति पर भी अंकुश लगेगा। किसानों को स्थानीय स्तर पर अपने खेत से ही व्यापारी को फसल बेचने का अधिकार होगा। इससे किसान का मंडी तक फसल ढोने से किराया भी बचेगा। अनुबंध खेती के तहत फसलों की बुवाई से पहले किसान को अपनी फसल को तय मानकों और तयशुदा कीमत के अनुसार फसल बेचने का अनुबंध करने की सुविधा मिलेगी। इससे किसान एक तो फसल तैयार होने पर सही मूल्य न मिलने के जोखिम से भी बचेंगे। वहीं, दूसरी ओर उन्हें खरीदार ढूंढने के लिए कहीं अन्यत्र मंडियों का रुख नहीं करना पड़ेगा। किसान सीधे थोक और खुदरा विक्रेताओं, निर्यातकों, प्रसंस्करण उद्योग इकाइयों के उद्यमियों से उनकी आवश्यकता और गुणवत्ता के अनुसार फसल उगाने के अनुबंध कर सकते हैं। इससे किसानों की जमीन के मालिकाना अधिकार भी सुरक्षित रहेंगे और उनकी मर्जी के खिलाफ फसल उगाने की कोई बाध्यता भी नहीं रहेगी। इसमें फसल खराब होने के जोखिम से भी किसान का बचाव होगा। गौरतलब है कि देश का कृषि क्षेत्र प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से देश की आधी आबादी को रोजगार मुहैया कराता है। देश की जीडीपी में भले ही 30 लाख करोड़ रुपए के साथ कृषि की हिस्सेदारी महज 15% है। लेकिन कृषि सुधारों के लिए उठाए गए केंद्र सरकार के उक्त तीनों कदम देश की आधी आबादी की आमदनी पर प्रभावी असर डालेंगे। अब कानूनी तौर पर किसानों को वास्तविक रूप से आजादी मिली है। केंद्र सरकार का यह कदम सही मायने में किसान हित में है।
(लेखक पटना जिलांतर्गत करनौती ग्राम निवासी प्रगतिशील किसान हैं)