‘अक्षय तृतीया’ पर किए गए सत्कर्म सदा ‘अक्षय’ रहेंगे – विजय केसरी
अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे घड़े, कुल्हड, सकोरे, पंखे, खडाऊँ, छाता, चावल, नमक, घी, खरबूजा, ककड़ी, शक्कर, साग, इमली, सत्तू आदि घर्मी में लाभकारी वस्तुओं का दान पुण्यकारी माना गया है।

अक्षय तृतीया पर्व की महत्ता पर सागर भक्ति संगम के संयोजक विजय केसरी ने कहा कि हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और मोक्ष प्राप्ति का महापर्व अक्षय तृतीय को कहा गया है। आज के ही दिन अजर, अमर अविनाशी भगवान परशुराम, ब्रह्मा जी के पुत्र श्री अक्षय कुमार, प्रादुर्भाव हुआ था। जैन धर्म के आदिनाथ भगवान आज के ही दिन आहार ग्रहण किया था। इस दिन जो भी मनुष्य दान अथवा सत्कर्म करते हैं, वह अक्षय होता है। इस पवित्र दिन सत्कर्म से प्राप्त फल का कभी क्षय नहीं होता है।
यह अक्षय सत्कर्म, उसके लिए इस आवागमन के चक्र में सहायक बन कर मार्ग को प्रशस्त कर सके।
आगे उन्होंने कहा कि अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे घड़े, कुल्हड, सकोरे, पंखे, खडाऊँ, छाता, चावल, नमक, घी, खरबूजा, ककड़ी, शक्कर, साग, इमली, सत्तू आदि घर्मी में लाभकारी वस्तुओं का दान पुण्यकारी माना गया है। इस दान के पीछे यह लोक विश्वास है कि इस दिन जिन-जिन वस्तुओं का दान किया जाएगा, वे समस्त वस्तुएँ स्वर्ग व अगले जन्म में प्राप्त होगी। इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा श्वेत कमल अथवा श्ववेत पाटल व पीले पाटल से करनी चाहिये।