NEET में OBC के आरक्षण को कम किए जाने पर प्रधानमंत्री को आक्रोश पत्र

NEET में ओबीसी का आरक्षण राज्य स्तर पर लागू करें अन्यथा झारखंडी सूचना अधिकार मंच इस विषय को जनता के बीच ले जाने का काम करेगी। जिसके गंभीर परिणाम केंद्र सरकार को भुगतने होंगे।

NEET में OBC के आरक्षण को कम किए जाने पर प्रधानमंत्री को आक्रोश पत्र

झारखंडी सूचना अधिकार मंच के केंद्रीय अध्यक्ष विजय शंकर नायक ने राष्ट्रीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा में NEET के ऑल इंडिया कोटा में भारत सरकार द्वारा राज्य स्तर पर OBC केआरक्षण खत्म कर आरक्षण नही दिए जाने के संबंध में प्रधानमंत्री को आक्रोश भरा पत्र लिखा है।


विजय शंकर नायक ने पत्र में लिखा है कि – राष्ट्रीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET के ऑल इंडिया कोटा में भारत सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण को राज्य स्तर पर खत्म किया जाना संविधान सम्मत नहीं है ।जैसा की सर्वविदित है की – ओबीसी आरक्षण ,संविधान के भाग 16 और अनुच्छेद 340 के आधार पर मंडल कमीशन के माध्यम से आया ।इस कमीशन की रिपोर्ट में यह पाया गया है की -ओबीसी की सामाजिक शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति अनुकूल नहीं है ।इसलिए ओबीसी को 27 परसेंट आरक्षण दिया गया। अगर इसकी जनसंख्या प्रतिशत को देखें तो देश की कुल आबादी का लगभग 52% हिस्सा ओबीसी का है ।लेकिन आरक्षण मात्र 27% ही है ।सरकार को इस संदर्भ में अविलंब संज्ञान लेते हुए ओबीसी आरक्षण को उसकी जनसंख्या के अनुपात 52% तक बढ़ाकर सुनिश्चित किया जाना चाहिए। 13 जुलाई 2021 में NEET की परीक्षा में आए विज्ञापन से यह स्पष्ट हुआ है कि ओबीसी को सरकार द्वारा नीट में राज्य स्तर पर आरक्षण नहीं दिया जा रहा है ।इस गैर संवैधानिक रवैये से देश का ओबीसी वर्ग के साथ साथ झारखंड के ओबीसी समाज बेहद चिंतित और उद्वेलित है और नाराज भी है। विजय शंकर नायक ने पत्र के माध्यम से पिछड़े वर्ग की चिंता और आक्रोश तथा परेशानी की बात को प्रधानमंत्री तक ईमेल के माध्यम से भेजकर यह उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री इस गंभीर विषय पर तत्काल संज्ञान लेंगे । उन्होंने प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराना चाहा है कि -हर साल की तरह होने वाले NEET परीक्षा की तारीख शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने घोषित कर दिया है ।साथ ही साथ इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है ।अधिसूचना में कहा गया है कि सरकार ऑल इंडिया कोटा के तहत राज्य के मेडिकल कॉलेजों में ओबीसी आरक्षण इस साल लागू नहीं करेगी। पिछले ही वर्ष मद्रास उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को ओबीसी आरक्षण लागू करने का निर्देश दिया था और इसके लिए एक कमेटी बनाने को भी कहा था ।वह कमेटी तो बनाई गई लेकिन उसकी सिफारिश के आधार पर ओबीसी कोटा लागू करने की जगह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी गई । सुप्रीम कोर्ट 2015 से इस बारे में सुनवाई कर रहा है । वर्तमान सरकार की मंशा है ओबीसी को आरक्षण लागू करने की नहीं है ,मामले को टालने की है ।2017 से इस टालमटोल की वजह से लगभग 15,000 से ज्यादा ओबीसी समाज के छात्र मेडिकल की पढ़ाई नहीं कर पाए हैं। सरकार का यह कदम संविधान के अनुच्छेद 15 (4 )एवं 16 (4) और केंद्रीय शिक्षा संस्थानों में आरक्षण कानून 2006 का उल्लंघन है ।2006 का कानून स्पष्ट करता है कि ओबीसी को आरक्षण दिया जायेगा । उन्होंने प्रधानमंत्री को निर्देशित करते हुए लिखा है कि – ओबीसी भारत का सबसे बड़ा सामाजिक समूह है। जिसमें देश के कम से कम 70 करोड़ लोग हैं । सरकार उनकी शिक्षा की आकांक्षाओं को कुचल कर क्या हासिल करना चाहती है ? यह समझना मुश्किल है। प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए लिखा है कि – प्रधानमंत्री खुद यह दावा करते हैं कि वे पिछड़ी जाति वर्ग से आते हैं । लेकिन NEET पर उनकी सरकार जैसा व्यवहार कर रही है उससे लगता नहीं है कि मोदी सरकार ओबीसी का भला चाहती है।
पत्र के माध्यम से विजय शंकर नायक ने अनुरोध किया है कि NEET में ओबीसी का आरक्षण राज्य स्तर पर लागू करें अन्यथा झारखंडी सूचना अधिकार मंच इस विषय को जनता के बीच ले जाने का काम करेगी। जिसके गंभीर परिणाम केंद्र सरकार को भुगतने होंगे।