तेलुगु भारत की प्राचीनतम भाषा है, तेलुगुभाषियों की हर समस्या का होगा समाधान-TCWA
झारखंड तेलुगु कम्युनिटी वेलफेयर एसोसिएशन (झारखंड तेलुगु सेना) के अध्यक्ष एति धर्म राव ने कहा की काफ़ी लम्बे अरसे से अपने पैतृक प्रदेश से बाहर रहने के कारण अपनी मूल भाषा से दूर होते जा रहे हैं।
रायपुर:
छत्तीसगढ़ तेलुगु वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा रायपुर में तेलुगु सामुदायिक कल्याण संघ का प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। तेलुगू कम्युनिटी वेलफेयर एसोसिएशन के संस्थापक और अध्यक्ष पी.एस.एन.मूर्ति गारू ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री श्री रमन सिंह के साथ मुलाक़ात की। बैठक के दौरान उन्होंने तेलुगु कम्युनिटी वेलफेयर एसोसिएशन के गठन के उद्देश्य पर विस्तार से चर्चा की। बैठक में पूरे देश से 12 राज्यों के प्रतिनिधि सहित 60 से ज़्यादा सदस्यों ने भाग लिया। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री श्री. रमन सिंह ने संगठन के लिए हर संभव पहलू में अपना समर्थन दिया है तथा आगे भी हर सम्भव मदद करने का आश्वासन दिया।
आपको बता दें की देश की प्रमुख भाषा तेलुगु के खोते अस्तित्व की रक्षा हेतु , तेलुगु कम्युनिटी वेलफेयर एसोसिएशन का गठन पी.एस.एन.मूर्ति के नेतृत्व में किया गया है।एसोसिएशन में अब तक लगभग 30 हज़ार सदस्य जुड़ चुके हैं। एसोसिएशन का मुख्य उद्देश्य पूरे देश में कहीं भी रह रहे तेलुगुभाषियों के साथ हो रही समस्यों का निदान करना है।
श्री पी.एस.एन.मूर्ति ने कहा की मौजूदा हालात किसी भी सोसायटी के लिए थोड़ा कठिन है। लेकिन हमें संयम से काम लेते हुए अपने समाज को आगे बढ़ाना है। उन्होंने बताया कि पाश्चात्य सभ्यता की चकाचौंध में लोग अपनी सभ्यता और संस्कृति भूलते जा रहे हैं। अपने पारंपरिक गुणवत्ता को अब धीरे धीरे खोते जा रहे हैं। इसका मूल कारण है जीवन कि आवश्यकताओं को पूर्ण करने हेतु जीविका की खोज में पलायन करना। जीविका की खोज में पलायन कोई ग़लत बात नही है। लेकिन हम चाहे कहीं भी रहें ,हमें अपनी मूल भाषा एवं संस्कृति को नही भूलना चाहिए। क्यूँकि हमारे बौद्धिक विकास का मूल मंत्र ही है हमारी संस्कृति।
छत्तीसगढ़ तेलुगु सेना के अध्यक्ष श्री आर मुरली ने छत्तीसगढ़ में रहने वाले तेलुगुभाषियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि तेलुगु मुख्यतः आन्ध्र प्रदेश में बोली जानेवाली भाषा है । तेलुगु भारत की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है। आज भारत के प्रत्येक कोने में तेलुगुभाषी रहते हैं, किंतु काफ़ी लम्बे अरसे से अपने पैतृक प्रदेश से बाहर रहने के कारण अपनी मूल भाषा से दूर होते जा रहे हैं। यह तेलुगु के लिए अच्छा संकेत नही है। हमारा प्रयास है कि पूरे भारत में रहनेवाले तेलुगुभाषी समय समय पर एक दूसरे से मिलते रहें, ताकि अपनी भाषा और संस्कृति का एहसास हो सके ।हमारी आनेवाली पीढ़ी को भी एक सुसंस्कृत और उज्जवल भविष्य देने के लिए हम सबका एक प्रयास होगा।
झारखंड तेलुगु कम्युनिटी वेलफेयर एसोसिएशन (झारखंड तेलुगु सेना) के अध्यक्ष एति धर्म राव ने कहा की अपने प्रदेश से बाहर निकलने पर कई तरह की समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है। आजकल सभी जगह सरकारी काग़ज़ातों की ज़रूरत पड़ती है। बग़ैर काग़ज़ात के कोई भी सरकारी काम नही होता है । ऐसे में हम तेलुगुभाषियों को नई जगह पर काग़ज़ात बनवाने के लिए, जानकारी के अभाव में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस समस्या के समाधान हेतु एक टीम का गठन किया गया है, जो किसी भी तरह के सरकारी काग़ज़ात बनवाने में सहायता प्रदान करेगा।