नांगलोई में नियाग्रा

मेरे इलाके की बारिश का चरित्र राष्ट्रीय है और तेरे इलाके में तो सांप्रदायिक बारिश होती है-इस आशय की डिबेट भी टीवी पर आ सकती है।

नांगलोई में नियाग्रा

चालू विश्वविद्यालय में पावस-चिंतन के तहत बारिश विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया। इसमें प्रथम पुरस्कार प्राप्त निबंध इस प्रकार है-

बारिश का हमारी लाइफ में घणा महत्व है औऱ मौत में भी।

बारिश लगातार हो तो सड़कों पर पानी उफनता है और मैनहोल दिखायी नहीं पड़ता है। बंदा मैनहोल में टपक ले, तो ऊपर का टिकट कट जाता है। बारिश इस तरह से तमाम सरकारी अस्पतालों को राहत देती है कि उन पर आऱोप नहीं लगता कि डेंगू और चिकनगुनिया का इलाज ना हो पाने की वजह से लोग मर रहे हैं। लोग मैनहोल में भी डूब कर मर रहे हैं, ऐसी खबरों से सरकारी निकम्मेपन पर पड़नेवाली गालियों का सम्यक बंटवारा हो जाता है और सारी गालियां सिर्फ अस्पताल वाले ही नहीं खाते। नगर निगम, नगर पालिका वाले भी गालियां खाते हैं।

बारिश में नेताओं की भक्षण क्षमताओं का भी पता लग जाता है पहले ये नाली फंड खाते हैं, फिर गाली खाते हैं। नाली से गाली सब कुछ आत्मसात करके नेता मुस्कुराते हैं। बारिश से जनता की चाइस बढ़ जाती है। चिकनगुनिया डेंगू से मरने के अतिरिक्त बंदा चाहे तो खुले मैनहोल में टपक कर टें बोल सकता है या फिर ध्वस्त घर में जान देने का विकल्प भी बारिश के दिनों में खुल जाता है।

नांगलोई में नियाग्रा फाल का मजा आ जाता है बारिश के दिनों में। अभी बारिश कराने का श्रेय़ लेने का चलन शुरु नहीं हुआ है, वरना टीवी चैनलों पर यही डिबेट मच रही होती कि बारिश को मैं लेकर आया और नहीं मैं लेकर आया, बारिश तो मेरी पार्टी के दादाजी तब लेकर आये थे, जब तू पैदा भी नहीं हुआ था-टाइप डिबेट का चलन भी कुछ दिनों में टीवी पर शुरु हो जायेगा। मेरे इलाके की बारिश का चरित्र राष्ट्रीय है और तेरे इलाके में तो सांप्रदायिक बारिश होती है-इस आशय की डिबेट भी टीवी पर आ सकती है।

बारिश में बहुत कुछ हो जाता है, टीवी चैनल बारिश मचाये रहते हैं। सुबह से रात तक बताते रहते हैं कि घर से निकलने से पहले चेक कर लें कि आपके रास्ते में पानी तो नहीं भरा हुआ है। भरा हुआ हो, तो दूसरे रास्ते से जायें। जी दूसरे रास्ते पर भी भरा हो, तो क्या करें। तो तीसरे रास्ते से जायें। तीसरे पर भी भरा हो, तो घऱ से ही ना जायें, हमारा टीवी चैनल देखकर हमारी टीआरपी बढ़ायें। टीवी वाले की टीआरपी के काम किम जोंग भी आ जाता है औऱ बारिश भी उसी काम आती है। बाकी लोग अपना अपना काम करें। एक काम बहुत मुस्तैदी से लोग कर रहे हैं कि बारिश में सेल्फी डाल रहे हैं-घऱ के सामने पंद्रह फुट के नाले के साथ सेल्फी। मतलब कुछ यह भाव है कि जैसे 15 फुट नाले की उपलब्धि भी हमारे नाम की जाये। ऐसी उपलब्धि बरसों के निकम्मे और भ्रष्ट प्रशासन के कामों से आती है। एकाध नागरिक के बूते की बात नहीं है यह उपलब्धि। आम नागरिक कूड़े के पहाड़ से लेकर 15 फुट के नाले तक की सेल्फी ले सकता है और उसमें डूब कर मर सकता है। इससे ज्यादा आम नागरिक के हिस्से में कुछ नहीं है। आम नागरिक इसे बखूबी समझता है और वह सेल्फी लेने के अलावा कुछ नहीं करता। कोई डूब रहा होता है, आम आदमी उसके साथ सेल्फी ले रहा होता है।

बारिश में बंदे गीले औऱ कूड़ा स्मार्ट हो जाता है, अपने आप गायब हो जाता है। कूड़े को घर से बाहर रखो, बारिश में यह गायब हो जाता है। इस परिघटना को कूड़े की स्मार्टनेस के तौर पर भी व्याख्यायित किया जा सकता है। जहां नेता और प्रशासन भ्रष्ट और निकम्मा हो, वहां बारिश में कूड़ा स्मार्ट हो ही जाता है।