अखंड भारत के पुनर्निर्माण हेतु ओजस्विनी ने किया देशवासियों का आह्वान

अखंड भारत के पुनर्निर्माण हेतु ओजस्विनी ने किया देशवासियों का आह्वान

गया । अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद की सहयोगी महिला शाखा ओजस्विनी ने “अखंड भारत, संयुक्त भारत” विषय पर एक अॉनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया। देश भर में मनाये जा रहे अखंड भारत संकल्प माह के तहत ओजस्विनी जिलाध्यक्षा डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी के निर्देशन एवं संयोजन में आयोजित इस संगोष्ठी का शुभारंभ पावन शांति पाठ से हुआ। विषय प्रवेश करते हुए डॉ रश्मि ने कहा कि एक समय था, जब हमारे भारतवर्ष का स्वरूप अत्यंत वृहद, व्यापक, अखंडित तथा संयुक्त था। अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और तिब्बत आदि देश भारत में ही शामिल थे। किंतु, कुछ शासकों व अधिकारियों के निकृष्ट स्वार्थ तथा सत्ता के लोभ एवं भारतीय समाज में शनैः-शनैः फैलती आपसी फूट एवं अलगाववाद के कारण हमारा देश टुकड़ों में विभाजित होता गया। सन 1947 से पहले पाकिस्तान तथा बांग्लादेश सब भारत के ही अंग थे। सन 1971 से पहले बांग्लादेश, भारत से खंडित हुए पाकिस्तान का ही एक प्रांत था, जिसे ‘पूर्वी पाकिस्तान’ कहा जाता था। वास्तविकता तो यह है कि 15 अगस्त, 1947 को खंडित भारत को स्वतंत्रता मिली। आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती, लाला लाजपतराय व सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे महान देशभक्तों की आशाओं एवं अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद के “अखंड भारत के पुनर्निर्माण” की मांग का समर्थन करते हुए डॉ. रश्मि ने हर वर्ष 15 अगस्त को मनाये जाने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह को खंडित भारत का स्वतंत्रता दिवस समारोह बतलाया। कहा कि हम भारतीयों का स्वप्न तब पूर्ण होगा, जब भारत से अलग कर दिये गये गांधार प्रदेश, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, तिब्बत, म्यांमार, श्रीलंका पुनः भारत में शामिल में हो जायेंगे। डॉ रश्मि ने स्वरचित पंक्तियों के माध्यम से कहा कि “हमें चाहिए वह भारत, जो व्यापक, वृहद, अखंडित हो। वह भारत, जो हो समग्र; छवि जिसकी गरिमामंडित हो।।” ओजस्विनी अध्यक्षा के अनुसार, कोई भी कार्य असंभव नहीं है, यदि हमारे अंदर उसे करने की बलवती इच्छा और अदम्य उत्साह हो। डॉ रश्मि ने कहा कि हम हिन्दुस्तानी अखंडित भारत के सुखद स्वरूप के पुनर्दर्शन के अभिलाषी हैं। हमें विभाजन- विभीषिका को हमेशा याद रखने की ज़रूरत है, ताकि देश में पुनः ऐसी स्थिति न आने दें। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की “पन्द्रह अगस्त का दिन कहता, आज़ादी अभी अधूरी है, सपने सच होने बाकी हैं, रावी की शपथ अधूरी है..दिन दूर नहीं, खंडित भारत को पुनः अखंड बनायेंगे, गिरगिट से गारो पर्वत तक आज़ादी पर्व मनायेंगे”, पंक्तियों का स्मरण कराते हुए डॉ रश्मि ने अखंड भारत की पुनर्स्थापना हेतु मनसावाचाकर्मणा यथासंभव प्रयत्न करते रहने के लिए समस्त देशवासियों का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत की गौरवमय संस्कृति, सभ्यता एवं स्वतंत्रता को अक्षुण्ण तथा विस्तृत स्वरूप को अखंडित बनाये रखने के लिए सभी देशभक्त भारतीयों को, विशेष रूप से हिन्दुओं को, विभिन्न राष्ट्र विघटनकारी गतिविधियों से संगठित होकर लड़ने की आवश्यकता है। संगोष्ठी में ओजस्विनी की जिलामंत्री अमीषा भारती, महामंत्री शिल्पा साहनी, कोषाध्यक्ष प्रतिज्ञा कुमारी, मुस्कान सिन्हा, श्रेया कुमारी, प्रगति मिश्रा, निकिता केसरी, सोनाली कुमारी, जूही कुमारी, बीना रानी दास, दिव्य प्रभा, साक्षी सिन्हा, इतिहर्ष, हर्षिता आदि अन्य प्रतिभागी ओजस्विनियों ने भी “अखंड भारत, संयुक्त भारत” पर अपने विचार रखे। अमीषा भारती ने भारतभूमि को महज ज़मीन का टुकड़ा नहीं, अपितु माता बतलाते हुए कहा कि माँ को टुकड़ों में नहीं बांटा जाता। उन्होंने काश्मीर घाटी को तोड़ने हेतु असम तथा बंगाल में चल रही घुसपैठ की निंदा करते हुए सभी भारतीयों को पाकिस्तान की नापाक कोशिशों को निष्क्रिय करने की बात कही। सुश्री शिल्पा, प्रतिज्ञा तथा श्रेया ने भारत की समृद्धि के लिए भारत को तोड़ने वाली शक्तियों का सामूहिक विरोध करने कहा। संगोष्ठी के समापन सत्र में ओजस्विनियों ने अखंड भारत के पुनर्निर्माण हेतु समाज में जागरूकता फैलाने हेतु अपनी ओर से हर संभव प्रयास करने का सामूहिक प्रण लिया। संगोष्ठी का संचालन डॉ. रश्मि तथा धन्यवाद ज्ञापन सुश्री अमीषा ने किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ। ओजस्विनी की राष्ट्रीय अध्यक्ष रजनी ठकुराल, अहिप के प्रांतीय संगठन मंत्री अनिल कुमार, विभागाध्यक्ष शशिकांत मिश्र, महामंत्री राम बारिक, शिवलाल टइया, मणिलाल बारिक, अश्विनी कुमार, विशाल बारिक, विकास कुमार आदि कार्यकर्ताओं ने जिले की सभी ओजस्विनियों को इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी के आयोजन हेतु हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं।