कद्दावर राजनेता प्रणब मुखर्जी का संसदीय राजनीति में योगदान अविस्मरणीय : तुषारकांति शीट
रांची। शहर के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता और श्रीरामकृष्ण सेवा संघ के सहायक सचिव तुषारकांति शीट ने पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अपनी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि प्रणब मुखर्जी का निधन पुरानी पीढ़ी के ऐसे कद्दावर राजनेता का अवसान है, जिनके संसदीय राजनीति में योगदान को आसानी से भुलाया नहीं जा सकता। अपने लंबे राजनीतिक जीवन में उन्होंने केंद्रीय मंत्री और विपक्षी नेता के साथ-साथ राष्ट्रपति के पद को भी सुशोभित करते हुए जिस लगन और निष्ठा से देश हित में कार्य किया, वह नई पीढ़ी के नेताओं के लिए अनुकरणीय है। श्री शीट ने कहा कि प्रणब दा राजनीतिक मूल्यों- मान्यताओं के अनुसार काम करने वाले राजनेता के साथ-साथ एक ऐसी शख्सियत के तौर पर भी जाने जाते थे, जो संसदीय राजनीति के स्तंभ थे। प्रणब दा राजनेता के साथ-साथ एक अच्छे साहित्यकार भी थे। उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी है। वह भले ही एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल से जुड़े रहे, लेकिन दूसरे दलों के लिए भी वे आदर्श के रूप में माने जाते थे। उन्होंने कहा कि प्रणब दा को भारतीय राजनीति के चाणक्य की संज्ञा दी गई। अपने लंबे राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाओं के वे चश्मदीद गवाह भी रहे। देश का भाग्य बदलने वाले कई ऐतिहासिक फैसले में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। श्री शीट ने कहा कि प्रणब दा का झारखंड से भी काफी लगाव रहा। वर्ष 2008 में 28 दिसंबर को कोडरमा में आयोजित निखिल बंग साहित्य सम्मेलन में प्रणब दा ने बतौर मुख्य अतिथि अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। भाषा, धर्म, क्षेत्रीयता और जात-पात की राजनीति से परे हटकर उन्होंने लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किए,जो मील का पत्थर साबित हुई। लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना और लोकतंत्र की मजबूती के लिए सतत प्रयासरत रहना उनकी विशेषता रही। उन्होंने कहा कि प्रणब दा के निधन से काफी मर्माहत हैं। देश ने सही मायने में एक महान नेता, विचारक, साहित्यकार और एक रियल स्टेट्समैन खो दिया है। उन्होंने कहा कि प्रणब दा की राजनीतिक विरासत का स्मरण कर उनके पदचिन्हों पर चलते हुए देश को मजबूत बनाने की दिशा में सतत प्रयासरत रहना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।