प्रमोद कुमार बेहरा ने अपनी मेहनत से पाया मुकाम

कम उम्र में ही अपनी प्रतिभा के बलबूते पहुंचे सार्वजनिक उपक्रमों के महाप्रबंधक पद पर

प्रमोद कुमार बेहरा ने अपनी मेहनत से पाया मुकाम

रांची। सकारात्मक सोच रखते हुए जिंदगी में कुछ बेहतर करने का जज्बा और जुनून हो तो विषम परिस्थितियों में भी मनुष्य सफलता हासिल कर लेता है। ऐसी ही एक शख्सियत हैं एचईसी में महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत उड़ीसा केंद्रापाड़ा जिला अंतर्गत चंदनपुर गांव निवासी प्रमोद कुमार बेहरा। श्री बेहरा संभवत: देश के सार्वजनिक उपक्रमों में काम करने वाले सबसे कम उम्र के महाप्रबंधक हैं। उन्होंने अपनी मेहनत, लगन और निष्ठा के बलबूते कम उम्र में ही महाप्रबंधक के पद पर पहुंचने में सफलता हासिल कर ली है। उनका मानना है कि “जब हौसला हो ऊंची उड़ान का, तो क्यूं कद नापें आसमान का”। अपने जीवनकाल में उन्होंने झंझावातों को झेलते हुए, बाधाओं को चीरते हुए सफलता की सीढ़ियां चढ़ते रहने का संकल्प लिया और इस दिशा में निरंतर अग्रसर हैं। जिंदगी के सुहाने सफर को और अधिक सुहाना बनाने की दिशा में सतत प्रयासरत हैं।
श्री बेहरा वर्तमान में राजधानी रांची स्थित एचईसी ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में महाप्रबंधक के पद पर सेवारत हैं।
ओडिशा राज्य के केंद्रापाड़ा जिले के चंदनपुर गांव के बेहद गरीब परिवार से आने वाले श्री बेहरा की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई। गांव में ही में पले बढ़े। चंदनपुर स्थित स्कूल से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। तत्पश्चात केंद्रापाड़ा स्थित प्लस टू स्कूल से इंटरमीडिएट किया। उनके पिता रिक्शा चालक थे। उन्होंने गरीबी को काफी करीब से देखा और झेला है। उन्होंने अपनी गरीबी और बचपन का एक वाकया सुनाते हुए बताया कि बचपन में किस कदर गरीबी से उनके परिवार को सामना करना पड़ा। इस संबंध में जिक्र कर बातचीत के दौरान श्री बेहरा भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि वह चार भाई और तीन बहनें हैं। सबकी परवरिश का जिम्मा उनके पिता पर था। उनके पिताजी रिक्शा चलाकर पूरे परिवार का जीविकोपार्जन करते थे। बमुश्किल गांव के सरकारी स्कूलों में सभी भाई-बहनों ने पढ़ाई की। श्री बेहरा इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद संबलपुर विश्वविद्यालय से बीटेक किया। इसके बाद कुछ दिनों तक उड़ीसा के गंजाम जिले के बरहमपुर में प्रशासनिक पद पर भी कार्य किया। तत्पश्चात उन्होंने कर्नाटक विश्वविद्यालय से एमटेक किया। इसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से एमबीए (फाइनेंस) की डिग्री हासिल की। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के हिंदी विभाग (प्रज्ञा) से एमए (हिंदी) की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा प्राप्त करने के प्रति उनकी अभिरुचि कम नहीं हुई। इसके बाद उत्कल विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद नेशनल मिनिरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन में ज्वाइन किया। वहां सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में अपनी सेवाएं दी। तत्पश्चात कर्नाटक और आंध्र में भी सेवारत रहे। यहां कुछ दिनों पर कार्य करने के बाद ऊर्जा मंत्रालय के अधीन उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित टेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन में भी अपनी सेवाएं दी। उन्होंने वहां से नौकरी छोड़कर भिलाई में स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड में ज्वाइन किया। कुछ दिन वहां रहने के बाद फिर उन्होंने मध्यप्रदेश के बालाघाट में हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड में अपनी सेवाएं दी। वर्तमान में श्री बेहरा रांची स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन में जीएम (प्रोजेक्ट) के पद पर कार्यरत हैं। वहीं, एचईसी ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के महाप्रबंधक पद के प्रभार में भी हैं।
फिलवक्त बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री बेहरा झारखंड राय विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे हैं। उनके द्वारा अब तक तकरीबन 12 रिसर्च पेपर (शोध पत्र) विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं। लगभग डेढ़ दर्जन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में शिरकत कर उन्होंनेे विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिए हैं।
एचईसी ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में महाप्रबंधक के पद पर रहते हुए श्री बेहरा छात्र हित में समर्पित हैं। इंस्टिट्यूट के छात्रों के उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ उन्हें रोजगार दिलाने की दिशा में भी प्रयासरत रहते हैं। लगभग 46वर्षीय प्रतिभावान और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी श्री बेहरा का मानना है कि ईमानदारी और कर्मठता के बलबूते हम हर मुकाम हासिल कर सकते हैं। लक्ष्य निर्धारित कर हम अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहें तो मंजिल तक पहुंचने में आसानी होती है।
श्री बेहरा ने अपने गांव में तीन अनाथ बच्चों को गोद लिया है। उनकी परवरिश, पढ़ाई और रहन-सहन का खर्च वह स्वयं उठाते हैं। वह बताते हैं कि बचपन में उन्होंने गरीबी का दंश झेला है। उन्हें पता है कि गरीबी क्या चीज होती है। इसे देखते हुए उन्होंने तीन बेहद गरीब और अनाथ बच्चों की परवरिश कर उनका भरण पोषण करने का निर्णय लिया। तीनों बच्चे ओडिशा के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं।
श्री बेहरा की पत्नी एक कुशल गृहिणी हैं और उनके हर कार्य में उनका भरपूर सहयोग करती हैं। उन्हें दो पुत्रियां हैं। दोनों बेहतर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं।
वह धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में भी शामिल होते हैं। सर्वधर्म समभाव के सिद्धांतों को आत्मसात कर हर वर्ग व समुदाय को सहयोग करने के प्रति सदैव तत्पर रहना उनकी दिनचर्या में शुमार है। युवाओं के प्रेरणास्रोत के रूप में श्री बेहरा अपने पारिवारिक और प्रशासनिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए राष्ट्रहित, समाजहित के प्रति समर्पित भाव से जुड़े हैं।