राज्य से पलायन रोकने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गंभीर
झारखंड से मजदूरों का पलायन रोकने की दिशा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गंभीर हैं। इसके लिए उन्होंने गहन मंथन शुरू कर दिया है। राज्य के सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र के कल-कारखानों में मजदूरों को समायोजित करने और उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार एक विस्तृत कार्ययोजना बनाने की तैयारी कर रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां के मजदूरों को झारखंड से दूसरे राज्यों में मजदूरी करने जाने से रोकने के उद्देश्य से अधिकारियों को भी कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया गया है। इस दिशा में सरकार की पहल सराहनीय बताई जा रही है। गौरतलब है कि झारखंड के मजदूरों को चेन्नई, हैदराबाद, महाराष्ट्र, तमिलनाडु,कोलकाता, गुजरात, दिल्ली आदि जगहों की कंपनियां मजदूरी करने के लिए ले जाती हैं और वहां उनका व्यापक पैमाने पर शोषण होता है। इससे संबंधित शिकायतें अक्सर अखबारों की सुर्खियां बनती रहती है। मेट्रोपॉलिटन शहरों में स्थापित कंपनियां झारखंड के ग्रामीण इलाकों से बड़े पैमाने पर दलालों-बिचौलियों का सहारा लेकर मजदूरों को बहला-फुसलाकर अपने यहां बुला लेती हैं और फिर अपनी मनमानी करती हैं। झारखंड में कोरोना के संक्रमण लगातार बढ़ने के बावजूद लॉकडाउन अवधि के दौरान काफी संख्या में मजदूर वापस अपने घर आए हैं। उन मजदूरों को काम पर लौटने के लिए कंपनियों की ओर से तरह-तरह के प्रलोभन दिए जा रहे हैं। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। विदित हो कि काफी दिनों से झारखंड में पलायन की समस्या नासूर बनी हुई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का मानना है कि जब घर में ही रोजगार उपलब्ध होगा, तो अन्य देशों का रुख मजदूर क्यों करेंगे? सरकारी नियमों के तहत मजदूरों को अन्यत्र ले जाने के लिए कंपनियों का निबंधन कराना जरूरी है। ताकि विपदा में राज्य सरकार अपने लोगों की सहायता कर सकें। लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के हालात के संबंध में सर्वविदित है कि काफी बड़ी संख्या में झारखंड के मजदूर दूसरे राज्यों में फंसे थे। जिन कंपनियों में काम कर रहे थे, उन्होंने मदद करने से भी इनकार कर दिया था। दो जून की रोटी देने से भी उन्होंने हाथ खड़े कर दिए थे। जब परेशानियों को झेलते हुए मजदूर अपने घर वापस आ गये, तब इन मजदूरों को तरह-तरह के प्रलोभन देकर वापस काम पर ले जाने के लिए कंपनियां दलालों का सहारा ले रही है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया है। उन्होंने मजदूरों को अपने राज्य में भी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं। अगर मुख्यमंत्री की यह कार्ययोजना सफलीभूत होती है, तो काफी संख्या में मजदूरों का पलायन रुक सकेगा और यहां के मजदूर रोजी-रोजगार के लिए अन्य राज्यों का रुख नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की यह पहल सराहनीय कही जा सकती है। मजदूरों को यहीं काम मिल जाए, तो वह कभी भी बाहर जाना नहीं चाहेंगे।