कोरोना काल के कर्मवीर के रूप में रमाशंकर प्रसाद ने बनाई विशिष्ट पहचान

मानव सेवा को बनाया जीवन का लक्ष्य

कोरोना काल के कर्मवीर के रूप में रमाशंकर प्रसाद ने बनाई विशिष्ट पहचान

रांची। कोरोना वायरस महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन में आर्थिक गतिविधियां गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। वैश्विक महामारी के कारण लोगों की आय भी कम हो गई है। बावजूद इसके, वैश्विक आपदा ( कोरोना संक्रमण काल) के दौरान कई लोगों ने समाजसेवा को सर्वोपरि मानते हुए गरीबों और जरूरतमंदों के सहायतार्थ आवश्यक कदम उठाते हुए कोरोना के खिलाफ जारी जंग में जांबाज योद्धा के रूप में डटे रहे। ऐसे ही योद्धाओं और कोरोना काल के कर्मवीरों में एक नाम शुमार है राजधानी के बिरसा चौक (हटिया स्टेशन रोड) निवासी समाजसेवी रमाशंकर प्रसाद का। श्री प्रसाद वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के मद्देनजर किए गए देशव्यापी लॉकडाउन लागू होने के अगले ही दिन से गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा में जुट गए। लॉकडाउन के कारण गरीबों को भोजन के लिए हो रही परेशानियों को देखते हुए उन्होंने हटिया स्टेशन रोड स्थित अपने होटल पार्क ईन और पूजा रेस्टोरेंट परिसर में तकरीबन रोज लंगर चलाया। पीड़ितों के सहायतार्थ उन्होंने बिरसा चौक और आसपास के झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बेहद गरीब परिवारों को लॉकडाउन फेज चार के अंतिम दिन (31 मई,2020) तक लगातार भोजन कराया। इस दौरान गरीबों को अमूमन उनकी पहुंच से बाहर विभिन्न प्रकार के लजीज व्यंजनों के स्वाद से भी रूबरू कराते रहे। लॉकडाउन से प्रभावित गरीब परिवारों के बीच राशन और दैनिक उपयोग की अन्य सामग्री का वितरण भी किया। पेशे से होटल व्यवसायी रमाशंकर प्रसाद ने बातचीत के क्रम में बताया कि लाॅकडाउन शुरू होने के बाद सरकारी निर्देशानुसार उन्हें भी अपना होटल और रेस्टोरेंट बंद करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने गरीबों को भोजन के लिए हो रही दिक्कतों को देखते हुए प्रतिदिन उन्हें भोजन कराने का संकल्प लिया। इसमें उनके होटल व रेस्टोरेंट में कार्यरत कर्मियों और उनके परिजनों ने भरपूर सहयोग किया। लाॅकडाउन के दौरान पीड़ित मानवता की सेवा के प्रति रमाशंकर के जज्बे और जुनून देखकर समाज के अन्य वर्ग के लोगों ने भी उनका सहयोग करना शुरू किया और जरूरतमंदों की सहायता में योगदान देने लगे। अपनी व्यस्ततम दिनचर्या और पारिवारिक जिम्मेदारियों को बखूबी संभालते हुए रमाशंकर समाज सेवा के प्रति समर्पित भाव से जुटे हैं। सामाजिक कार्यों के प्रति उनका समर्पण देखकर बिरसा चौक, हटिया और आसपास के खासकर गरीब तबके के लोग उन्हें अपना मसीहा मानने लगे हैं। रमाशंकर को समाजसेवा के क्षेत्र में खुलकर कार्य करने में उनकी पत्नी आशा देवी, पुत्र आदित्य, अभिषेक व अंकित, पुत्री पूजा सहित उनके परिवार के अन्य सदस्य भी उन्हें भरपूर सहयोग करते हैं। रमाशंकर बताते हैं कि गरीबी क्या होती है, इसे उन्होंने काफी निकट से देखा और जाना है। गरीबों की पीड़ा को महसूस किया है। इसलिए गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा के प्रति समर्पित हैं। अब तो समाजसेवा को ही उन्होंने अपना ओढ़ना-बिछौना बना लिया है। रमाशंकर बताते हैं कि अपनी मेहनत,लगन और ईमानदारी के बलबूते उन्होंने शून्य से शिखर तक पहुंचने में सफलता पाई है। युवाओं और समाज के प्रति अपने संदेश में रमाशंकर कहते हैं कि जीवन के हर क्षेत्र में ईमानदार पहल करते हुए कर्तव्य पथ की ओर अग्रसर रहें, मेहनत और निष्ठा से आगे बढ़ते रहें, तो फर्श से अर्श पर पहुंचने का मार्ग आसान हो जाता है। वे कहते हैं कि बाधाओं के सम्मुख हार मान लेने से सफलता संभव नहीं है। उसे चूर्ण-विचूर्ण कर अपना पथ बनाते चलें।