फ़र्ज़ीवाड़ा कर मुखिया ने BDO कार्यालय से फ़ाइल उड़ाया, BDO को जानकारी नहीं

करनौती पंचायत में मुखिया एवं मुखिया पति के द्वारा वार्ड सदस्य का फ़र्ज़ी मुहर एवं साइन का इस्तेमाल कर शौचालय निर्माण के लिए आवंटित राशि पाने के लिए फ़र्ज़ीवाड़ा करने का मामला आ रहा है।

फ़र्ज़ीवाड़ा कर मुखिया ने BDO कार्यालय से फ़ाइल उड़ाया, BDO को जानकारी नहीं

पटना:

चौंकिए मत। यह बिहार है! यहाँ कुछ भी संभव है। जिस BDO ( प्रखंड विकास पदाधिकारी) को पूरे प्रखंड के विकास की ज़िम्मेवारी दी गई है, उन्हीं के कार्यालय से फ़ाइल ग़ायब हो जाते हैं। स्थानीय नेता के आगे पदाधिकारी सिर्फ़ कठपुतली बने साबित हो रहे हैं। सरकारी ख़ज़ाने को लूटने के लिए स्थानीय नेता और पदाधिकारी मिलकर अजीबो-गरीब कारनामे को अंजाम दे रहे हैं।

खबर आ रही है बिहार के पटना ज़िले से। ज़िले का एक बहुचर्चित प्रखंड है बख़्तियारपुर। इसी प्रखंड के करनौती पंचायत में मुखिया एवं मुखिया पति के द्वारा वार्ड सदस्य का फ़र्ज़ी मुहर एवं हस्ताक्षर का इस्तेमाल कर शौचालय निर्माण के लिए आवंटित राशि पाने के लिए फ़र्ज़ीवाड़ा करने का मामला आ रहा है।

करनौती पंचायत के वार्ड 09 के वार्ड सदस्य संजीत कुमार ने मुखिया एवं उसके पति पर आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज की है। वार्ड सदस्य संजीत कुमार ने आरोप लगाया है कि करनौती पंचायत के मुखिया श्रीमती नीलम देवी एवं उनके पति सकलदीप पंडित के द्वारा फ़र्ज़ी तरीक़े से उनके मुहर एवं हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया। संजीत ने विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों पर भी आरोप लगाया है की वे मुखिया के साथ मिलकर इस फ़र्ज़ीवाड़े को अंजाम दे रहे थे। संजीत का कहना है की वर्तमान में ग़रीबों के लिए चलाए जा रहे शौचालय निर्माण योजना में बिना किसी जानकारी के उनके वार्ड के लगभग 28 लोगों का फ़ॉर्म भरा गया था। सारे फ़ॉर्म पर वार्ड सदस्य के फ़र्ज़ी मुहर एवं हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया है। उनके वार्ड के होते हुए भी उन्हें किसी भी आवेदन की जानकारी नहीं है। जब इस मामले में संजीत ने प्रखंड कार्यालय जाकर प्रोजेक्ट को-ओर्डिनेटर(बिपिन) से शौचालय के लिए जमा सभी आवेदन की जानकारी माँगी तो, को-ओर्डिनेटर (बिपिन) ने कहा की सभी आवेदन मुखिया जी वापस ले गए हैं। इस बात को लेकर दोनों में नोकझोंक भी हुई।

प्रखंड विकास पदाधिकारी से इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने सीधे तौर पर अनभिज्ञता जता दी। BDO ने कहा की उन्हें मामले की कोई जानकारी नहीं है। शिकायत मिली है जिसकी जाँच की जा रही है। प्रखंड विकास पदाधिकारी का इस तरह से पल्ला झाड़ लेना समझ से परे है। जब इन्हें अपने कार्यालय में हो रहे कारनामों की ही जानकारी नहीं है तो फिर प्रखंड के अन्य कार्यों की जानकारी क्या होगी?

ग़ौरतलब है कि करनौती पंचायत अपने कारनामों के कारण बख़्तियारपुर प्रखंड में हमेशा चर्चा में रहता है। बख़्तियारपुर प्रखंड बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। प्रत्येक वर्ष प्रखंड के सभी पंचायत बाढ़ राहत के अंतर्गत आपदा राशि का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं।बाढ़ राहत की राशि के बंदरबाँट से सभी अवगत रहे हैं। पिछले वर्ष भी राहत राशि लेने के लिए फ़र्ज़ी आवेदकों ने काफ़ी आंदोलन किया था। लेकिन विभाग के अधिकारियों ने बाढ़ प्रभावित गाँवों का निरीक्षण कर फ़र्ज़ी लोगों के आवेदन को ख़ारिज कर दिया था। शायद इसीलिए करनौती के मुखिया को लगा होगा की इस वर्ष तो बाढ़ राहत की राशि नहीं मिल पाएगी और जल्दबाज़ी में शौचालय निर्माण योजना को ही आसान समझकर घोटाले को अंजाम देने की योजना बनी होगी।

शौचालय निर्माण योजना के लिए सरकार की तरफ़ से दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। जिसके अनुसार किसी भी पंचायत का वार्ड सदस्य अपने वार्ड के चिन्हित/योग्य लोगों का आवेदन सत्यापित कर मुखिया को हस्तांतरित करता है। जिसे मुखिया जाँच कर प्रखंड कार्यालय में जमा करता है। उसके बाद प्रोजेक्ट को-ओर्डिनेटर द्वारा स्थल एवं आवेदक का निरीक्षण कर आगे की कार्रवाई की जाती है।इसमें कोई शक नहीं की प्रखंड के अधिकारियों की मिलभगत नहीं होगी! बग़ैर उनके मिलीभगत के इस फ़र्ज़ीवाड़े को अंजाम देना मुमकिन नहीं है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक शौचालय के लिए सरकार की ओर से आवेदक को 12000 रुपए दिए जाते हैं। प्रत्येक शौचालय के लिए आवंटित राशि में से 2000 रुपया प्रखंड कार्यालय के हिस्से जाता है, 2000 रुपया मुखिया और 2000 रुपया वार्ड सदस्य या आवेदक को तैयार करनेवाले के हिस्से जाता है। मतलब मुख्य आवेदक के हाथ लगता है सिर्फ़ 6000 रुपया। आवेदक इतने पैसे में भी खुश रहता है, क्यूँकि उसे तो मुफ़्त में ये पैसे मिल रहे होते हैं। यदि पंचायत में अब तक शौचालय निर्माण के लिए दिए जा चुके आवेदन को आवंटित हुई राशि एवं निर्मित शौचालय की जाँच की जाए तो 50 प्रतिशत आवेदक फ़र्ज़ी पाए जाएँगे।

अपने ही मुखिया द्वारा फ़र्ज़ीवाड़े के शिकार वार्ड सदस्य संजीत कुमार का कहना है कि मामले को लेकर प्रखंड विकास पदाधिकारी से शिकायत की जा चुकी है। कल तक ज़िलाधिकारी एवं अनुमंडल पदाधिकारी को भी लिखित शिकायत दे दी जाएगी।