राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा का “सामाजिक न्याय के आलोक में न्यायपालिका में भी प्रतिनिधित्व” विषयक एक दिवसीय सेमिनार आयोजित

राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा का “सामाजिक न्याय के आलोक में न्यायपालिका में भी प्रतिनिधित्व” विषयक एक दिवसीय सेमिनार आयोजित

रांची। राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के तत्वावधान में रविवार को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर उनके चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसका विषय “सामाजिक न्याय के आलोक में न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व” रखा गया था।
इस सेमिनार में सर्वसम्मति से पांच प्रस्ताव लाए गए। जिनमें राज्य विधि आयोग का गठन आरक्षण के साथ करना, जिला न्यायालय के न्यायाधीशों के पद में आरक्षण की व्यवस्था करने, सरकारी अधिवक्ताओं एवं विधि पदाधिकारियों के पद पर आरक्षण की व्यवस्था करने, लोक अभियोजक, अतिरिक्त अभियोजक, विशेष लोक अभियोजक, राज्य एवं जिला स्तर के बहाली में आरक्षण की व्यवस्था करने व लोक उपक्रम बोर्ड, निगम, आयोग के अधिवक्ताओं की नियुक्ति में आरक्षण की व्यवस्था की करने की मांग शामिल है।
सेमिनाaपालिका में प्रतिनिधित्व की व्यवस्था है, उसी तरह न्यायपालिका में भी प्रतिनिधित्व होनी चाहिए। इसके लिए लोकतांत्रिक तरीके से भारतीय न्यायिक सेवा आयोग के माध्यम से जिला जज, हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के जज की नियुक्ति होनी चाहिए।
श्री गुप्ता ने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति में किए गए नीतिगत फैसले के अनुरूप जिला न्यायाधीशों के पद पर आरक्षण के प्रावधान के साथ लागू करने की मांग की।
राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के ओबीसी अधिवक्ता मोर्चा के संयोजक अधिवक्ता अब्दुल कलाम रसीदी ने कहा कि संविधान के आलोक में राज्य के सभी स्थानों पर प्रदर्शन के साथ आरक्षण के नियम लागू किया जाए।
अधिवक्ता महेंद्र पीटर तिग्गा ने कहा कि बाबा साहब की तरह अपनी बुद्धिमता के प्रयोग करते हुए अपनी आवाज को बुलंद करने की जरूरत है।
सेमिनार के संचालक अधिवक्ता योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि सामाजिक न्याय भारतीय संविधान की आत्मा है। इसे न्यायपालिका में भी लागू करना चाहिए।
कार्यक्रम के धन्यवाद ज्ञापन महानगर अध्यक्ष विष्णु सोनी ने किया।