शब्दाक्षर द्वारा नवरात्रि तथा विजयादशमी विशेष काव्यगोष्ठी-सह-साहित्यिक वार्ता का आयोजन
अमरेन्द्र कुमार सिंह
गया । साहित्यिक संस्था “शब्दाक्षर” द्वारा नवरात्रि तथा विजयादशमी के सुअवसर पर “जय माँ अम्बे, जय श्री राम, शब्दाक्षर का दिव्य प्रणाम” विषय पर अॉनलाइन काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका संचालन शब्दाक्षर कर्नाटक इकाई की अध्यक्ष प्रसिद्ध लोकगीतगार सुनीता सैनी गुड्डी ने किया तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता उपाध्यक्ष विजेंद्र सैनी ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ पल्लवी शर्मा द्वारा प्रस्तुत मधुर सरस्वती वंदना से हुआ। तत्पश्चात श्रीमती सैनी ने कार्यक्रम अध्यक्ष श्री विजेंद्र सैनी सहित प्रधान अतिथि-सह-शब्दाक्षर के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री दयाशंकर मिश्र, मुख्य अतिथि-सह-शब्दाक्षर उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष महावीर सिंह वीर, विशिष्ट अतिथि शब्दाक्षर की राष्ट्रीय प्रवक्ता-सह-शब्दाक्षर बिहार इकाई की प्रदेश साहित्य मंत्री प्रोफेसर डॉ रश्मि प्रियदर्शनी तथा विशिष्ट अतिथि-सह-राष्ट्रीय सचिव सुबोध कुमार मिश्र का अपनी काव्यात्मक पंक्तियों द्वारा स्वागत किया। इस काव्यगोष्ठी में देश के विभिन्न शहरों से जाने माने कवि-कवयित्रियों ने माँ अम्बे तथा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र को समर्पित अपनी रचनाएँ पढ़ीं। डॉ रश्मि प्रियदर्शनी की कविता “भारतीय संस्कृति के जो प्रतीक हैं अनुपम, उन्हें प्रणाम, जय-जय कौसल्या-नंदन, दशरथ के तनय, सिया के राम” ने पूरे मंच को भक्तिमय बना डाला। महावीर सिंह ‘वीर’ की “रावणों के दहन के लिए साथियों, राम-सा आचरणयुक्त बल चाहिए, पर्वतों सा इरादा अटल चाहिए, त्याग का भाव दिल में प्रबल चाहिए” पंक्तियों ने श्रोताओं की खूब वाहवाहियाँ बटोरीं।
इस काव्यगोष्ठी में शब्दाक्षर के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह सत्य, शब्दाक्षर दिल्ली की प्रदेश अध्यक्ष शब्दाक्षर संतोष संप्रीति,शब्दाक्षर तेलंगाना की प्रदेश अध्यक्ष सुनीता नारायण, शब्दाक्षर उत्तर प्रदेश अध्यक्ष श्यामल मजूमदार, शब्दाक्षर गोवा की प्रदेश अध्यक्ष वंदना चौधरी, झारखंड से सुबोध कुमार झा, सौरभ सैनी, सुशील कुमार, प्रीति राही, पूनम शर्मा, मधु श्रीवास्तव, डॉ रौशनी किरण, पुनीता सिंह, प्रदीप कुमार, ज्योति नारायण, सुबोध कुमार झा, अंजू छारिया तथा कार्यक्रम संचालक सुनीता सैनी गुड्डी ने भी अपनी एक से बढ़कर एक रचनाएँ पढ़कर मंचासीन अतिथियों तथा सभी श्रोताओं से खूब तारीफें लूटीं। काव्यगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे श्री सैनी ने ‘माँ के आँचल से बड़ा कोई आशियाना नहीं होता, माँ की लोरी से बड़ा कोई गाना नहीं होता’ कविता की कर्णप्रिय प्रस्तुति दी। उन्होंने काव्यगोष्ठी में प्रस्तुत हर रचना पर अपनी उत्साहवर्द्धक टिप्पणियाँ देते हुए सभी प्रतिभागियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। काव्यगोष्ठी के कुशल संचालन तथा सफल आयोजन पर प्रसन्नता जताते हुए हेतु शब्दाक्षर के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविप्रताप सिंह ने शब्दाक्षर कर्नाटक इकाई के सभी अधिकारियों, मंच पर विराजमान अतिथि रचनाकारों और केन्द्रीय पेज से जुड़े सभी श्रोताओं के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। इसके अतिरिक्त शब्दाक्षर के केन्द्रीय पेज पर आयोजित दशहरा विशेष साहित्यिक श्रृंखला के तहत ओजमयी कविताओं के रचयिता, देश-विदेश के अनगिनत काव्य-समारोहों में शिरकत करने वाले प्रसिद्ध लेखक, कवि, उपन्यासकार- सह-मध्यप्रदेश उपपुलिस अधीक्षक चौधरी मदन मोहन ‘समर’ का शब्दाक्षर की राष्ट्रीय साहित्य मंत्री-सह-वार्ताकार नीता अनामिका के साथ साक्षात्कार आयोजित किया गया, जिसमें दशहरा के पौराणिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए श्री समर ने श्रीराम को एक कुशल संगठनकर्ता, प्रथम वामपंथी तथा युगपुरुष के रूप में व्याख्यायित किया।उन्होंने साहित्यिक लेखन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि एक रचनाकार कभी भी किसी एक विधा के बंधन में बंध कर नहीं रह सकता! इस वार्ता में केन्द्रीय पेज पर शब्दाक्षर के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविप्रताप सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह सत्य, दया शंकर मिश्र, श्यामल मजूमदार, महावीर सिंह ‘वीर’, संतोष संप्रीति, सुबोध कुमार मिश्र, प्रोफेसर डॉ रश्मि प्रियदर्शनी तथा चन्द्रमणि चौधरी के साथ ही अनेक दर्शक-श्रोताओं की गौरवमय उपस्थिति रही। ज्ञात हो कि श्री समर मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने के साथ-साथ पुलिस विभाग में विभिन्न कार्यो हेतु 425 से भी अधिक पुरस्कारों से सम्मानित हैं।