शब्दवीणा की साहित्यिक भेंटवार्ता "सत्यम् शिवम् सुंदरम्" में वरिष्ठ कवि दीपक कुमार के गीतों पर लगीं खूब वाहवाहियाँ, लिखो कवि वह क्रांति छंद तुम, जन-गण-मन में ज्वाल जलाओ

शब्दवीणा की साहित्यिक भेंटवार्ता "सत्यम् शिवम् सुंदरम्" में वरिष्ठ कवि दीपक कुमार के गीतों पर लगीं खूब वाहवाहियाँ, लिखो कवि वह क्रांति छंद तुम, जन-गण-मन में ज्वाल जलाओ

शब्दवीणा की साहित्यिक भेंटवार्ता "सत्यम् शिवम् सुंदरम्" में वरिष्ठ कवि दीपक कुमार के गीतों पर लगीं खूब वाहवाहियाँ, लिखो कवि वह क्रांति छंद तुम, जन-गण-मन में ज्वाल जलाओ

गयाजी । राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था "शब्दवीणा" द्वारा हर रविवार को आयोजित होने वाली शब्दवीणा भेंटवार्ता "सत्यम् शिवम् सुंदरम्" में शब्दवीणा के जहानाबाद जिला संरक्षक वरिष्ठ कवि दीपक कुमार बतौर आमंंत्रित रचनाकार शामिल हुए। वार्ताकार के रूप में गया जिला साहित्य मंत्री अमीषा भारती ने कार्यक्रम का संचालन किया। सुश्री अमीषा ने कार्यक्रम का शुभारंभ शब्दवीणा की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी द्वारा रचित सरस्वती वंदना "ज्ञान दे, सुरतान दे, माँ शारदे वरदान दे। हम कर रहें हैं वंदना, वागीश्वरी तू ध्यान दे" की सुमधुर प्रस्तुति द्वारा किया। कवि दीपक कुमार की साहित्यिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए साहित्यिक साक्षात्कार प्रारंभ किया गया। अपने साहित्यिक अनुभवों को संस्मरण के रूप में साझा करते हुए दीपक कुमार ने श्रेष्ठ रचनाओं की विशेषताओं पर अपने सारगर्भित विचार रखे। उन्होंने कहा कि रचनाओं की लोकप्रियता, व्यापकता, पाठकों के हृदयों को स्पर्श कर पाने की क्षमता से हम उनकी उत्कृष्टता का मूल्यांकन कर सकते है। उत्कृष्टता को मापने हेतु सबसे अधिक महत्वपूर्ण पैमाना यह है कि रचनाकार स्वयं अपनी रचनाओं से कितना संतुष्ट है। कवि अथवा लेखक को अपनी रचनाओं की लोककल्याणकारी क्षमताओं का आभास होना चाहिए। श्रेष्ठ रचनाओं में मौलिकता, दूरदर्शिता, तथा ऐतिहासिक व सांस्कृतिक उपयोगिताओं का समावेश होता है।
कवि दीपक कुमार ने "लिखो कवि वह क्रांति छंद तुम, जन-गण-मन में ज्वाल जलाओ", "मैं कलम से हौसलों को वीर रस के छंद दूंगा" तथा "आ रहे हैं हम, नया भूगोल लिखेंगे" जैसी अनुपम रचनाओं की प्रस्तुति देकर कविधर्म को समझाने का प्रयत्न किया। उन्होंने "सड़ा हुआ बाजार न होता, रिश्तों का व्यापार न होता", "रमे राम में" जैसी रचनाएँ सुनाकर श्रोताओं से खूब वाहवाहियाँ पायीं। साहित्य के उद्देश्य को मानवता का उत्थान बताते हुए दीपक कुमार ने हिन्दी भाषा तथा साहित्य के बीते हुए कल, आज तथा आने वाले कल पर अपने आशावादी दृष्टिकोण साझा किये। उन्होंने नये रचनाकारों को एक उत्तम, स्तरीय तथा गौरवपूर्ण राष्ट्रीय मंच प्रदान करने हेतु डॉ रश्मि एवं समस्त शब्दवीणा परिवार को साधुवाद दिया। हिन्दी साहित्य के विकास में राष्ट्रकवि दिनकर के बिहार की भूमिका को अद्वितीय बताया। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण शब्दवीणा केन्द्रीय पेज से किया गया, जिससे जुड़कर पुरुषोत्तम तिवारी, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, प्रो. सुबोध कुमार झा, डॉ रवि प्रकाश, पी के मोहन, जैनेन्द्र कुमार मालवीय, राम नाथ बेखबर, डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी, अनिल कुमार, अजय आगत, डॉ कनक लता तिवारी, रूबी कुमारी, चितरंजन चैनपुरा, विनोद बरबिगहिया, डॉ वीरेन्द्र कुमार, सुमंत कुमार, अजय कुमार, फतेहपाल सिंह सारंग, डॉ विजय शंकर, विजय लक्ष्मी, डॉ पल्लवित, अशोक जाखड़, गौतम कुमार एवं अनेक साहित्यानुरागियों ने काव्य पाठ तथा अविस्मरणीय साहित्यिक भेंटवार्ता का लाभ उठाया।