उपद्रवियों पर हर हाल में लगाम लगाना जरूरी है

उपद्रवी देश भर में दंगा फसाद कर लोगों को आपस में लड़ाने पर तुले रहते हैं।

उपद्रवियों पर हर हाल में लगाम लगाना जरूरी है

विजय केसरी:

देश भर में उपद्रवियों के बढ़ते उपद्रवों पर लगाम लगाना बहुत जरूरी हो गया है। उनके बढ़ते फन और ताकत को कुचलना बहुत जरूरी हो गया है। आए दिन ये उपद्रवी कुछ ना कुछ ऐसा कर गुजरते हैं, जिससे देश की एकता और अखंडता प्रभावित होती रहती है। उपद्रवी देश भर में दंगा फसाद कर लोगों को आपस में लड़ाने पर तुले रहते हैं। ये देश की एकता और अखंडता पर अपने नापाक खंजर से बार-बार वार करते ही रहते हैं। इनके मंसूबे नेक नहीं है। ये भारत की एकता और अखंडता को बार-बार लहूलुहान करते ही रहते हैं। जब भी देश के किसी भी हिस्से में महापुरुषों की जयंती मनाई जाती है। तब ये उपद्रवी अपने बिल से निकल कर कुछ ऐसा कर गुजरते हैं, जिससे लोगों के बीच दूरियां पैदा हो जाती है । और ये उपद्रवी यही चाहते भी हैं।
भारत का ताना-बाना कुछ ऐसा बना हुआ है कि लोग यहां मिलजुल कर रहते हैं। लोग एक दूसरे के सुख दुख में साथ सहयोग करते रहते हैं । वहीं दूसरी ओर ये उपद्रवी पर्व – त्योहार पर दंगा फसाद फैला कर हमारी मिलजुल कर रहने की संस्कृति को छिन्न-भिन्न करते रहते हैं । भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। भारत का संविधान भारत के हर नागरिक को पूरी स्वतंत्रता के साथ धर्म आधारित पर्व और त्योहार मनाने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। पर्व और त्योहार हम सबों को जोड़ता है। त्योहारों का उद्देश्य भी यही होता है कि समाज के हर वर्ग के लोगों को जोड़ा जाए।
महापुरुषों की जयंती और पुण्यतिथि पर होने वाले आयोजनों का उद्देश्य होता है कि महापुरुषों के विचारों को आम जन के बीच प्रस्तुत किया जाए। लोग महापुरुषों के विचारों पर चलकर देश को समृद्ध करें । वहीं ये उपद्रवी इन पवित्र उद्देश्यों को धता बताकर हम सबों को आपस में लड़ाने की कोशिश करते रहते हैं । ऐसे उपद्रवियों की पहचान करना बहुत जरूरी हो गया है। ये उपद्रवी कदापि किसी धर्म के सच्चे अनुयाई हो ही नहीं सकते हैं । ‘मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर करना’। हम सभी देशवासी इस विचार के मानने वाले हैं। इसी सिद्धांत को अपनाकर हमारा भारत आगे बढ़ता चला जा रहा है।
भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जयंती पर निकाली गई शोभा यात्रा पर देश के अनेक जगहों पर उपद्रवियों अपना उपद्रव कर दिखाया। उपद्रवियों ने पश्चिम बंगाल के हावड़ा, महाराष्ट्र के औरंगाबाद, गुजरात के बड़ोदरा और बिहार के सासाराम, बिहार शरीफ में निकली शोभा यात्राओं को अपना निशाना बनाया। इन जगहों पर उपद्रवियों ने जो हिंसा और उपद्रव फैलाने का काम किया, इसकी संपूर्ण देश म तीव्र निंदा हो रही है।‌ ऐसे उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। ‌ उन्हें किसी भी सूरत नहीं बख्शा जाना चाहिए। चाहे वे किसी भी जाति धर्म के क्यों ना हों।
इस संदर्भ में विचारणीय यह है कि उपद्रवी, शोभायात्रा के साथ हो या इसके विरोध में, दोनों ही स्थितियों पूरी कड़ाई के साथ प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए । पश्चिम बंगाल, हावड़ा की हिंसा की आशंका स्थानीय जिला प्रशासन को पहले से ही थी। तो फिर जिला प्रशासन ने शोभा यात्रा के लिए परमिशन कैसे दे दिया? अगर जिला प्रशासन ने परमिशन दे दिया, तब शोभा यात्रा की पूरी सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं की गई ? जबकि इस संदर्भ में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चिंता जताई थी। उसके बाद भी अगर हिंसा हुई है, तो यह कानून व्यवस्था के मोर्चे पर एक बड़ी नाकामी आ गई है। यदि जिला और पुलिस प्रशासन सक्षम नहीं है, तो वह ऐसी शोभा यात्राओं को मंजूरी क्यों देती है। राज्य की विधि व्यवस्था देखने का काम राज्य के पुलिस प्रशासन के जिम्मे में होती है। उक्त राज्यों में रामनवमी का अवसर पर निकाली गई शोभायात्रा पर हुए उपद्रव के कारण राज्य पुलिस प्रशासन भी प्रश्न के घेरे में खड़ी नजर आती है।
रामनवमी के दिन हर वर्ष शोभायात्रा निकाली जाती है । इस वर्ष भी निकाली गई। अचानक एक खास जगह पहुंचते ही इन शोभायात्राओं पर पत्थरबाजी होने लगती है। शोभायात्रा के विरुद्ध नारे लगने लगते हैं। पत्थर चलने लगते हैं। ये कौन लोग हैं ? शोभायात्रा के विरुद्ध नारा किन किन लोगो ने लगाया ? इस उपद्रव में शामिल कौन कौन लोग हैं ? इस उपद्रव में शामिल अधिकांश लोगों को संबंधित राज्य के जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन बखूबी जानती है । क्या भारत का संविधान ऐसे लोगों को किसी भी धर्म की शोभायात्रा पर पत्थरबाजी करने अथवा शोभायात्रा के विरुद्ध नारा लगाने का इजाजत प्रदान करता है ? बिल्कुल नहीं। बल्कि भारत का संविधान ऐसे कुकृत्य करने वालों के विरुद्ध दंड का प्रावधान तय कर दिया है। अब सवाल यह उठता है कि ये कौन लोग हैं ? ये भारत के बाहर के लोग तो नहीं है।‌ये सभी भारत के ही नागरिक हैं । तब ऐसा यह क्यों कर रहे हैं? ऐसा कर वे क्या साबित करना चाहते हैं ? इस विषय पर संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्री को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। यह घटना कोई एक बार नहीं घटी है। अपवाद छोड़कर हर साल कुछ न कुछ इसी तरह की घटनाएं घटती चली जा रही है। ऐसी घटनाओं से हमारी एकता तार-तार हो जाती है। जिस एकता को बनाने में बरसो लग जाते हैं। कुछ मुट्ठी भर उपद्रवी हमारी एकता को बाधित कर देते हैं। फिर से एकता को पुनर्जीवित करने में काफी समय लग जाता है ।
इस विषय पर राज्य के मुख्यमंत्री को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। साथ ही देश के गृहमंत्री और प्रधानमंत्री को भी इस विषय पर गंभीरता से चिंतन और मनन करना चाहिए। किसी भी धार्मिक शोभायात्रा पर कुछ उपद्रवी बड़े ही आसानी से ऐसा क्यों कर गुजरते हैं ? इसे रोकने के लिए कौन से कपड़े कदम उठाए जाएं ? शीघ्रता से सोच विचार कर कड़े से कड़े कदम उठाने की जरूरत है। जहां तक मेरी दृष्टि जाती है, ऐसे उपद्रवियों के किसी न किसी गिरोह और संगठन के साथ तार जुड़े होते हैं। ऐसे उपद्रवियों को गलत ट्रेनिंग दी जाती है । उन्हें इस तरह का उपद्रव करने के लिए प्रेरित और प्रलोभन दिया जाता है। ऐसे सूत्रधारों पर भी शिकंजा कसना जरूरी है । उन्हें पकड़ कर कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, ताकि इस तरह की घटना दोबारा करने की ही ना सोचें।
भगवान राम इस देश के आदर्श है। भगवान राम के विचार सकल समाज के लिए ग्राही है । भगवान राम की शोभा यात्रा पर किसी भी तरह का उपद्रव किया जाना, किसी भी दृष्टि में माफी के योग्य नहीं है। ऐसी उपद्रवी घटनाओं को राजनीतिक चश्मे से ना देखा जाए। और ना ही वोट की राजनीति से देखा जाए। इस तरह के उपद्रव से देश की एकता प्रभावित होती है । इसलिए ऐसे लोगों के खिलाफ कड़े से करें कदम उठाने चाहिए, ताकि अगली बार कोई ऐसी हिमाकत ना करें । उपद्रवियों के सूत्रधारों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो। उपद्रवियों और सूत्रधारों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही कानूनी कार्रवाई की जाए। ताकि दोबारा भगवान राम की शोभायात्रा पर उपद्रव करने के लिए सोचे। ऐसे उपद्रवियों के तार पड़ोसी मुल्कों से भी जुड़े होते हैं। इसलिए इस विषय पर भी भारत सरकार सहित देश के सभी प्रांतों के मुख्यमंत्रियों को विचार करने की जरूरत है।