झारखंड की लचर विधि व्यवस्था ने ‘अंकिता’ की जान ली

23 अगस्त को अंकिता पर पेट्रोल छिड़ककर उसे जलाने की कोशिश की गई थी।वह पढ़ लिख कर एक आईपीएस अधिकारी बनना चाहती थी।

झारखंड की लचर विधि व्यवस्था ने ‘अंकिता’ की जान ली

विजय केसरी

गत दिनों झारखंड की उप राजधानी दुमका में अंकिता पर पेट्रोल डालकर जलाने वाली घटना ने पूरे प्रांत को शर्मसार कर दिया है। चंहुओर इस शर्मसार कर देने वाली घटना की तीव्र भर्त्सना हो रही रहे हैं । इस घटना को अंजाम देने वाले शाहरुख और नईम उर्फ छोटू को फांसी देने की भी मांग उठ रही है । यह घटना बताती है कि झारखंड की विधि व्यवस्था कितनी बिगड़ गई है । राज्य के पुलिस महकमा आखिर क्या कर रहे हैं ? झारखंड में आए दिन शर्मसार कर देने वाली घटनाएं घटित होती रहती हैं । पुलिस कार्रवाई के नाम पर सिर्फ दौड़ती ही रह जाती है । इस घटना ने राज्य की चरमराई विधि व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है । अगर मैं यह लिखता हूं कि झारखंड की लचर विधि व्यवस्था ने अंकिता की जान ली, तो कोई अतिशयोक्ति ना होगी ।अभी अंकिता की उम्र ही क्या हुई थी ? अभी वह ग्यारहवीं क्लास में पढ़ ही रही थी । अंकिता जीना चाहती थी । वह अन्य लड़कियों की तरह पढ़ना भी चाहती थी। वह पढ़ लिख कर एक आईपीएस अधिकारी बनना चाहती थी। जब वह रिम्स में भर्ती थी, अपने परिजनों से खुद को जिंदा बचाने की गुहार लगा रही थी । उसमें जीने की प्रबल इच्छा थी, जैसे अन्य लड़कियों में होती है । इतनी हृदय विदारक घटना घट जाने के बाद भी अंकिता लगभग सात दिनों तक मौत से लड़ती रही थी ।

क्या प्रशासन बेबस हो चुकी है?
शाहरुख और नईम उर्फ छोटू ने इस कदर अंकिता पर पेट्रोल डालकर अग्नि के हवाले कर दिया था कि उसका बच पाना मुश्किल हो गया था। अब सवाल यह उठता है कि आखिर एक के बाद एक राज्य को शर्मसार कर देने वाली घटनाएं क्यों घट रही हैं ? शाहरुख और नईम उर्फ छोटू जैसे मनचले युवा इस तरह की शर्मसार कर देने वाली घटना को अंजाम देने में सफल कैसे हो जाते हैं ? क्या उन्हें समाज, परिवार और प्रशासन का कोई डर नहीं है ? क्या ऐसे मनचले युवकों पर रोक लगाने के लिए राज्य प्रशासन के पास कोई उपाय नहीं है ? शाहरुख और नईम उर्फ छोटू ने पेट्रोल छिड़ककर अंकिता को जलाने का जो कार्य किया था, समाज में उसकी निंदा जरूर हो रही है। क्या ये सामाजिक निंदा अंकिता की जान वापस कर सकती है ? इसके बाद भी ऐसी घटनाएं रुक नहीं रही है । यह बेहद चिंता की बात है ।

मनचलों के कारण कई अन्य लड़कियों ने समय से पूर्व स्कूल-कॉलेज जाना छोड़ दिया है।
23 अगस्त को अंकिता पर पेट्रोल छिड़ककर उसे जलाने की कोशिश की गई थी। अंकिता अस्पताल में जीवन और मौत से संघर्ष कर रही थी । इस घटना के दस घंटे भी नहीं बीते थे, झारखंड के अन्य जिलों में लड़कियों पर उत्पीड़न की दूसरी घटना और तीसरी घटना है जन्म ले लेती है । यह लिखते हुए बहुत दुख होता है कि मनचले युवकों के मनचले व्यवहार के कारण झारखंड की कई लड़कियों ने समय से पूर्व स्कूल और कॉलेजों से जाना छोड़ दिया । यह एक ज्वलंत मुद्दा है। इस विषय पर राज्य प्रशासन को संज्ञान लेकर वैसे लड़कियों को ढूंढ कर सामने लाना होगा और उसे पुनः स्कूल और कॉलेज भेजने का प्रयास करना होगा । जिन लड़कियां ने सिर्फ मनचले युवकों के मनचले व्यवहार के कारण स्कूल और कॉलेज जाना छोड़ दिया है, इन लड़कियों से फर्द बयान लेकर मनचले युवकों पर सख्त कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है।

आवेदन देने के बावजूद पुलिस ने कोई ध्यान नहीं दिया

अंकिता हमारे समाज की एक प्रगतिशील छात्रा थी । वह एक अच्छी छात्रा होने के साथ व्यवहार कुशल थी । वह एक गरीब परिवार में जरूर जन्म ली थी , लेकिन उनका परिवार सहज, सरल और सीधा था । उनके पिता सेल्समैन की नौकरी कर अपने परिवार का बहुत ही अच्छे ढंग से पालन पोषण कर रहे थे । समाज में उनका किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं थी । बस गलती एक ही थी कि वे अंकिता जैसी सुशील कन्या के पिता थे। अंकिता के पिता जैसे हजारों की संख्या में झारखंड के पिता लाचार और बेबस है । अंकिता के पिता अपनी बच्ची के खिलाफ होने वाले जुल्म के विरुद्ध थाने में जरूर आवेदन देते हैं , लेकिन इनके आवेदन पर ध्यान नहीं दिया जाता है। यह झारखंड के थानों का सच है ।
शाहरुख, पेट्रोल छिड़कने से पहले भी अंकिता को परेशान करने की कोशिश करता रहा था। इस संबंध में इनके अभिभावक थाना में सूचना दिए थे। अगर समय रहते शाहरुख के विरुद्ध ढंग से कार्रवाई हो जाती, तब शायद अंकिता को अपनी जान गवानी ना पड़ती। अब अंकिता इस दुनिया में नहीं रही। अंकिता मर कर लड़कियों पर हो रहे जुल्म की कहानी बताती रहेगी।

का वर्षा जब कृषि सुखानी

इस घटना के बाद संपूर्ण झारखंड में अंकिता पर हुए जुल्म के विरुद्ध तीब्र निंदा हो रही है। उसके दोषियों को शीघ्र फांसी दिए जाने की भी मांग उठ रही है। जैसी कि इस तरह की घटनाओं में होती रही है, झारखंड सरकार राज्य की विधि व्यवस्था को लेकर जरूर गंभीर हुई है । अब राज्य सरकार के गंभीर होने का क्या मतलब रह जाता है ? “का वर्षा जब कृषि सुखानी” ।आए दिन झारखंड में किसी न किसी स्त्री से सोने के चैन सरेआम लूट ली जाती है। बैग छीन लिए जाते हैं । दिनदहाड़े चाकू से जानलेवा हमला हो जाते हैं। आए दिन लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाता है । तब प्रशासन क्या कर रहा होता है ?

राज्यपाल ने पुलिस महा निदेशक को निर्देश दिए
अंकिता की मृत्यु के बाद राज्य के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि ‘ ‘इस प्रकार की पीड़ादायी घटना राज्य के लिए शर्मनाक है । ऐसी घटनाओं से राज्य की छवि पर विपरीत असर पड़ता है। प्रदेश की जनता घर, दुकान मॉल और सड़क कहीं भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रही है’। आगे उन्होंने कहा कि उनके द्वारा पूर्व में भी पुलिस महानिदेशक को राज्य की विधि व्यवस्था पर चिंता जताई है। उन्होंने राज्य की विधि व्यवस्था को दुरुस्त करने का निर्देश दिया था, लेकिन इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं दिख रहा है।‌ उन्होंने पुलिस महानिदेशक से आज दूरभाष पर वार्ता कर अंकिता की मौत के मामले में स्थानीय पुलिस की भूमिका की जांच करने का आदेश दिया है। राजपाल ने इस घटना की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट से करने की भी बात कही है । साथ ही उन्होंने पीड़ित के परिवार को तत्काल दो लाख की राशि अपने विवेकाधीन अनुदान मद से देने की घोषणा की है । राज्यपाल राज्य के संवैधानिक पद पर बैठे हुए हैं । वे संवैधानिक प्रमुख भी है। उन्होंने राज्य की विधि व्यवस्था पर जिस तरह चिंता व्यक्त की है, निश्चित तौर पर यह झारखंड के लिए चिंता का विषय है । उन्होंने यह कहा कि यह प्रदेश किसी और से भी सुरक्षित नहीं है। उन्होंने प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए राज्य के पुलिस महानिदेशक से बात की है । उन्होंने राज्य के अपराधिक घटनाओं पर संपूर्ण रोक लगाने की भी मांग की है । राज्यपाल रमेश बैस ने अपनी संवेदना के माध्यम से यह बताने की कोशिश की है कि अंकिता जैसी दूसरी घटना जन्म ना ले।

मुख्यमंत्री ने की निंदा, सहयोग हेतु दिए दस लाख
राज्य सरकार का यह दायित्व बनता है कि शाहरुख और नईम उर्फ छोटू जैसे दुष्कर्मी को इस तरह की शर्मसार करने वाली घटना को अंजाम देने का कोई अवसर ही ना मिले । खनिज लीज मामले को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों एवं पार्टी विधायकों के साथ मीटिंग में व्यस्त दिख रहे हैं। वे अपनी सरकार बचाने में और सुरक्षित रखने में ज्यादा व्यस्त दिख रहे हैं। अंकिता हत्याकांड को लेकर जब राज्यवासी राज्यव्यापी विरोध करने पर उतारू हो गए, तब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपना मौन तोड़ा । उन्होंने भी इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने मृतक परिवार को दस लाख सहायता राशि देने की घोषणा की है। आगे उन्होंने इस घटना की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में करवाने की भी बात कही है।

ऐसी घटनाओं के लिए कौन है ज़िम्मेवार?

मैं माननीय मुख्यमंत्री महोदय से यह पूछना चाहता हूं कि आखिर एक के बाद एक अंकिता जैसी घटनाएं झारखंड में क्यों घटती चली जा रही है ? इन घटनाओं के लिए जिम्मेवार कौन है ? शाहरुख और नईम उर्फ छोटू खान जैसे मनचले लड़कों पर अंकुश कौन लगाएगा ? राज्य की विधि व्यवस्था की जवाबदेही, आखिर है, किसकी ? राज्य की जनता ने भारी बहुमत से यूपीए के हाथ में सत्ता सौंपी है। क्या इसीलिए सत्ता सौंपी थी ? मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कुछ भी कह लें। वे इस नैतिक जवाबदेही से नहीं बन सकते हैं । वे जितना ध्यान अपनी सरकार को सुरक्षित करने में लगा रहे हैं, अगर विधि व्यवस्था को लेकर राज्य के चौबीसों जिलों के डीसी और एसपी के साथ विधि व्यवस्था पर बातचीत करते, तब शायद अंकिता हत्याकांड जैसी विभत्स घटना सामने नही आ पाती। और न ही शाहरुख और नईम उर्फ छोटू जैसे अपराधी अपराध करने में सफल हो पाते।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को उत्तर प्रदेश की सरकार से सबक लेना चाहिए। यूपी के मुख्यमंत्री किस तरह उत्तर प्रदेश के अपराधियों को अपराध छोड़ने पर विवश कर दिया है। अंकिता हत्याकांड पर राजनीति बिल्कुल नहीं होनी चाहिए । अंकिता झारखंड की एक बेटी है, जिसका झारखंड के ही दो बदमाशों ने पेट्रोल छिड़ककर निर्मम हत्या कर दी। ऐसे अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दी जाए, यही अंकिता के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी । अंकिता जैसी दूसरी घटना अस्तित्व में ना आए , राज्य सरकार को विधि व्यवस्था को लेकर लगातार समीक्षात्मक बैठके करनी चाहिए।