दिल का ख्याल रखें, दिल उम्र भर ख्याल रखेगा-‘विश्व हृदय दिवस’
29 सितंबर दुनियाभर में 'विश्व हृदय दिवस' के रूप में मनाया जाता है। जीवन शैली में सुधार लाकर हृदयाघात जैसी बीमारी से बहुत हद तक बचा जा सकता है ।
विजय केसरी
स्वस्थ रहने के लिए इस स्लोगन को आत्मसात करने की जरूरत है। दिल का ख्याल रखें,.. उम्र भर दिल, आपका ख्याल रखेगा । अगर आप ऐसा करते हैं, तब आपके जीवन की दिशा और दशा ही बदल जाएगी । दिल आपका है। इसे कभी टूटने ना दीजिए। नाराज ना होने दीजिए । परेशान ना कीजिए। दिल को जो स्वस्थ खुराक चाहिए, वही दें। दिल के अनुकूल कार्य कीजिए। दिल को स्वस्थ रखने के लिए खानपान की शुद्धता, शारीरिक व्यायाम और सक्रियता बहुत जरूरी है । दिखावे की जिंदगी से दूर रहिए, जो आपके पास है , उसी में संतुष्ट रहने का प्रयास कीजिए। दूसरे की संपत्ति देखकर अकारण परेशान नहीं हों । सहज, सरल बनिए और मधुर व्यवहार कीजिए । आपकी सहजता और सरलता से आपका दिल मजबूत होगा । विपरीत परिस्थितियों में भी स्वयं को अनुकूल बना कर रखें। ईमानदारी पूर्वक जीवन जिएँ । इससे आप तनाव से दूर रहेंगे । आप जितना तनाव से दूर रहेंगे, आपका दिन उतना ही दुरुस्त रहेगा। आज की बदली परिस्थिति और भागम भाग भरी जिंदगी के संदर्भ में कुछ बातें रख रहा हूं। शायद,.. ये बातें आपके मन मस्तिष्क को दिल का ख्याल रखने के लिए कुछ प्रेरित कर सकें।
आज की भागम भाग भरी जिंदगी में जितनी भी कोशिश कर लें, तनाव बन ही जाता है। बाद में यही तनाव कई मानसिक बीमारियों के साथ हृदयाघात जैसी बीमारी के रूप में तब्दील हो जाती है। हम सब को अपने हृदय के संबंध में जरूर जानना चाहिए। अपने हृदय को विपरीत परिस्थितियों में कैसे बेहतर बनाकर रखें ? हृदय की बीमारियों से कैसे बचें ? यह जानना जरूरी हो जाता है। झारखंड प्रांत, रांची के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ दीपक गुप्ता ने ‘विश्व हृदय दिवस’ पर कहा कि जीवन शैली में सुधार लाकर हृदयाघात जैसी बीमारी से बहुत हद तक बचा जा सकता है ।
वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि पहले यह बीमारी 50 से 60 वर्ष के लोगों में पाई जाती थी । लेकिन बाद के दिनों में 35 से 40 वर्ष के उम्र के लोगों में भी पाई जाने लगी। अब तो यह बीमारी 30 वर्ष के उम्र के लोगों में भी पाई जा रही है। यह सभी जानते हैं कि कई बार हृदयघात जैसी बीमारी व्यक्ति की जीवन लीला ही समाप्त कर देती है। आज युवाओं को यह बीमारी अपनी चपेट में ले रही है। अचानक हृदयाघात जैसी बीमारी के चपेट में ले लेने से संपूर्ण विश्व के सामने एक बड़ी समस्या आ खड़ी हुई है। विश्व भर के वैज्ञानिक इसके कारण की खोज और निवारण में लगे हैं। हृदय रोग विशेषज्ञ दीपक गुप्ता का मानना है कि अगर युवाओं को हृदयाघात जैसी बीमारी से बचना है, तो समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराएं। खान पान पर विशेष ध्यान दें। नियमित रूप से व्यायाम करें और टहलें।
व्यायाम करें और धूम्रपान से बचें
आज हर व्यक्ति की जीवन शैली किसी न किसी उलझन और परेशानियों से जुड़ी हुई है । तनाव का होना लाजमी है। यह व्यक्ति की सोच पर निर्भर करता है कि वह तनाव को किस रूप में लेता है ? व्यक्ति अपने जीवन शैली में सुधार लाकर हृदयाघात जैसी बीमारी से बच सकता है । नियमित रूप से व्यायाम को अपने जीवन शैली का हिस्सा बनावें। व्यायाम करें। ट्रेडमिल करें । व्यक्ति की शारीरिक गतिविधि 4 किलोमीटर तेज टहलने के बराबर हो । साथ ही खानपान में चार सफेद चीजों से दूरी बनाएं । चीनी, सफेद चावल, आलू और मैदा का उपयोग जितना कम से कम हो करें । अगर डायबिटीज है, तो इन चीजों का बिल्कुल ही प्रयोग ना करें । प्रत्येक दिन केवल 15 मिलीमीटर तेल का ही उपयोग करें । साथ ही यह भी ध्यान रखें कि जमने वाली वसा यानी वनस्पति, घी अथवा मक्खन से जितना हो सके बचने का प्रयास करें। हर 6 महीने में खाने पीने वाला तेल बदलें। पोषक और संतुलित आहार लें। आज लोगों का वजन दिन-ब-दिन बढ़ता चला जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण व्यक्ति का खानपान है । अपने खानपान में सुधार रखें । यह ध्यान रखें कि आपका वजन ना बढे। व्यक्ति के गलत आदतों के कारण हृदयाघात जैसी बीमारी अपनी गिरफ्त में ले लेती है। इसलिए जरूरी है कि धूम्रपान से जितना संभव हो सके बचें। धूम्रपान हृदयाघात जैसी बीमारी का एक बड़ा कारण है। भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा धूम्रपान ना करने की हिदायत बार-बार दी जाती है। इसके बावजूद लोग धूम्रपान करते हैं । मैं धूम्रपान करने वालों से निवेदन करना चाहता हूं कि जितना संभव हो सके धूम्रपान से बचें। अल्कोहल भी आपकी सेहत के लिए अच्छी पेय पदार्थ नहीं है। इससे भी दूरी बनाएं। तंबाकू के सेवन से बचें । ये तीनों ऐसी चीजें हैं, जिनसे आप जितनी दूरी बना कर रखेंगे, आपका हृदय उतना तंदुरुस्त रहेगा।
हृदय संबंधी विकार महसूस होने पर तुरंत किसी हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलें
अगर आपको हृदय संबंधी कोई विकार महसूस होता है तो आप तुरंत किसी हृदय रोग विशेषज्ञ से जांच करवा लें । अन्यथा आपके मन में अकारण डर बना रहेगा। इसलिए समय-समय पर अपने स्वास्थ्य की जांच जरूर कराएं। हृदयाघात अकस्मात मृत्यु का प्रमुख कारण है। कोरोनरी आर्टरी ( धमनी) में ब्लॉकेज । इसकी वजह से हार्ट अटैक और अकस्मात मृत्यु का खतरा 20 फ़ीसदी होता है । व्यायाम करते समय, ट्रेडमिल पर दौड़ते वक्त अथवा फिर तनाव की स्थिति में भी हृदय घात हो सकता है। कई बार यह भी सुनने को मिला है कि कोई 30 वर्ष का व्यक्ति कसरत कर रहा था और उसकी ट्रेडमिल पर ही मृत्यु हो गई। इसका मतलब है कि उस व्यक्ति को पहले से कोई न कोई परेशानी रही होगी। जिसका उसे पता नहीं चला । कुछ मामलों में ऐसा भी होता है कि व्यक्ति रात को हंसते खेलते सोया और सुबह उठा ही नहीं। यह सब हृदय की बीमारी के कारण होते हैं । इसलिए शरीर में किसी भी तरह की परेशानी हो तो एक बार चिकित्सक से मिलकर अपने शरीर का स्वास्थ्य जांच जरूर करा लें। समय रहते जांच हो जाने और बीमारी का पता चल जाने से इस बीमारी का इलाज संभव है । शुरुआत में ही बीमारी का इलाज हो जाने पर मरीज़ पूर्ण स्वस्थ हो जाते हैं। इसलिए समय-समय पर स्वास्थ्य की जांच बहुत ही जरूरी है।
पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में हृदय रोग के मरीज़ ज़्यादा हैं
पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में दिल संबंधी बीमारियां अधिक इसलिए है कि हमारी जीवन शैली में कहीं ना कहीं कुछ कमी है । भारत में 10 से 12 फ़ीसदी लोग हृदय रोगों से ग्रसित हैं । जबकि अमेरिका जैसे देशों में यह दर 4 से 5 फ़ीसदी है। अध्ययन बताते हैं कि अमेरिका के मुकाबले हमारे देश में 10 साल कम उम्र में ही हृदय रोग हो जाता है । यह अच्छा संकेत नहीं है । लेकिन इससे बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है। समय पर जांच और जीवनशैली में सुधार कर इन तमाम बीमारियों से बचा जा सकता है। अगर हृदयाघात या उससे जुड़ी साइलेंट बीमारियों से बचना चाहते हैं, तो इसके लिए एक एकजेक्टिव हेल्थ चेक की प्रक्रिया होती है । 30 वर्ष की उम्र में यह टेस्ट करवा लेना चाहिए । यह एक कंप्लीट कांप्रिहेंसिव चेकअप होता है । जिससे रिस्क फैक्टर्स का पता चल जाता हैं। कोलस्ट्रोल हाई तो नहीं है? रक्त में चर्बी का क्या स्तर है? थायराइड या उच्च रक्तचाप तो नहीं है ? अगर परिवार में किसी को हृदय रोग है तो यह जांच 25 वर्ष की उम्र में ही करवा लेनी चाहिए । अगर टेस्ट में सब कुछ ठीक है तो 5 साल बाद फिर से जांच करवाने की सलाह दी जाती है।
अंत में मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि हर बीमारी की दवा है। उसी तरह हृदय रोग की भी दवा है । हृदय रोग होने पर बिल्कुल घबराए नहीं बल्कि समय पर डॉक्टर के पास जाएं । उनसे परामर्श लें। वे जो बताते हैं, समय पर दवा लें। खानपान पर सुधार रखें। व्यायाम करें। हमेशा सकारात्मक रहें। हंसते और मुस्कुराते रहें। आप भी अन्य लोगों की तरह ही पूरी तरह स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। मैं आप सबों की स्वास्थ्य की मंगल कामना करता हूं।