हजारीबाग लोक सभा संसदीय क्षेत्र के चुनाव का गौरवशाली इतिहास

1946 में जब संविधान सभा का गठन हुआ था, तब केंद्रीय विधानसभा को भंग कर दिया गया । केंद्रीय विधानसभा के सारे सदस्यों को अंतरिम संसद में सांसद तौर पर मनोनीत कर लिया गया था।

हजारीबाग लोक सभा संसदीय क्षेत्र के चुनाव का गौरवशाली इतिहास

हजारीबाग लोक सभा संसदीय क्षेत्र में हुए चुनाव का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। इस इतिहास से हम सबों को जरूर परिचित होना चाहिए। 1947 में देश को आजादी मिली थी। 26 जनवरी, 1950 में लोकसभा में भारत का संविधान पारित हो जाने के बाद 1950 में ही अंतरिम संसद का गठन कर लिया गया था। 1950 में हजारीबाग के ज्ञानी राम (स्वाधीनता सेनानी) को अंतरिम संसद में एक सांसद के रूप में मनोनीत किया गया था। बाबू राम नारायण सिंह (स्वाधीनता सेनानी) 1927 से लेकर 1946 तक केंद्रीय विधानसभा में छोटा नागपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे थे। 1946 में जब संविधान सभा का गठन हुआ था, तब केंद्रीय विधानसभा को भंग कर दिया गया । केंद्रीय विधानसभा के सारे सदस्यों को अंतरिम संसद में सांसद तौर पर मनोनीत कर लिया गया था। इसलिए बाबूराम नारायण सिंह अंतरिम संसद में स्वत: सांसद मनोनीत कर लिए गए थे। 1947 में देश की आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री के रूप जवाहरलाल नेहरू ने शपथ लिया था। स्वाधीनता सेनानी बाबू राम नारायण सिंह केंद्रीय सत्ता की दिशा से काफी नाराज थे। उन्होंने 1950 में ही अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। तब वे देश के एक चौकीदार के रूप में अपनी महती भूमिका अदा किए थे । 1947 से लेकर 1952 तक लोकसभा अंतरिम मनोनीत सांसदों के द्वारा संचालित रहा था। भारत में पहला आम चुनाव 1952 में संपन्न हुआ था।
1952 में हुए देश का पहला चुनाव हजारीबाग लोकसभा संसदीय क्षेत्र से बाबू राम नारायण सिंह ने एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था । उन्हें रामगढ़ राज्य के पूर्व राजा स्वर्गीय कामाख्या नारायण सिंह की पार्टी छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी का समर्थन प्राप्त था। इस चुनाव में बाबूराम नारायण सिंह ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार स्वाधीनता सेनानी स्वर्गीय ज्ञानी राम पच्चीस हजार वोटो से पराजित किया था। तब देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे।
1957 में राजमाता ललिता राजलक्ष्मी जनता पार्टी के सीट पर चुनाव लड़ी थी । उन्होंने कांग्रेस पार्टी के बदरू जमा खान को पराजित कर विजय दर्ज की थी । इस संदर्भ में दिलचस्प बात यह है कि 1957 के चुनाव के पूर्व रामगढ़ राज्य के पूर्व राजा कामाख्या नारायण सिंह ने बाबू राम नारायण सिंह के समक्ष यह शर्त रखी थी आप एक बाउंड लिख कर दीजिए कि आप छोटा नागपुर संताल परगना जनता पार्टी के आजीवन सदस्य रहेंगे। तब बाबूराम नारायण सिंह ने कहा था कि ‘शेर को बांधकर नहीं रखा जा सकता है।’ इस घोषणा को प्रात उन्होंने 1957 का चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया था। तब देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे।
1962 में देश का तीसरा लोकसभा चुनाव हुआ था। हजारीबाग लोक सभा संसदीय क्षेत्र से रामगढ़ राज्य के पूर्व राजा कामाख्या नारायण सिंह के छोटे भाई डॉ वसंत नारायण सिंह जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे । उन्होंने कांग्रेस पार्टी के जमाल अंसारी को भारी मतों से हराया था। तब भी देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे।
1967 में देश का चौथा लोकसभा चुनाव संपन्न हुआ था । जनता पार्टी की ओर से डॉ बसंत नारायण सिंह ने कांग्रेस पार्टी के नेता दामोदर पांडेय को पराजित किया था। तब देश के प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी थीं। यहां यह लिखना जरूरी हो जाता है कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का निधन 1964 में हो गया था। कुछ दिनों के लिए कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में गुलज़ारीलाल नंदा ने योगदान दिया था। उसके बाद लाल बहादुर शास्त्री कुछ वर्षों के लिए देश के प्रधानमंत्री बने थे। 11 जनवरी 1966 को लाल बहादुर शास्त्री के अकस्मात निधन हो जाने पर इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री देश बनी थी।
1968 में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से हुए लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी की ओर से मोहन सिंह ओबेरॉय ने कांग्रेस पार्टी के राम नारायण शर्मा को हराया था। गौरतलब यह है कि मोहन सिंह ओबेरॉय का हजारीबाग से कोई भी लेना-देना नहीं था ।‌मोहन सिंह ओबेरॉय, ओबेरॉय ग्रुप के मालिक थे। उन्होंने रामगढ़ राज्य के पूर्व राजा कामाख्या नारायण सिंह से चुनाव लड़ने का पेशकश किया था । मोहन सिंह ओबेरॉय को मालूम था कि जनता पार्टी के टिकट पर आसानी से चुनाव जीतकर संसद पहुंच जाएंगे।‌ इसलिए उन्होंने हजारीबाग से चुनाव लड़ने निर्णय लिया था। यह बात सही साबित हो गई थी । वे आसानी से यहां से चुनाव जीतकर दिल्ली संसद तक पहुंच गए थे। उन्होंने चुनाव जीतने के बाद दोबारा हजारीबाग की ओर रूख नहीं किया था।
1971 के लोकसभा चुनाव में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के दामोदर पांडेय ने रामगढ़ राज्य की राजमाता ललिता राजलक्ष्मी को हराया था। तब देश की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी थी। इसी कालखंड में भारत पाकिस्तान युद्ध हुआ था । उस युद्ध में भारत विजयी रहा था। श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपनी कूटनीति के तहत पाकिस्तान को बांग्लादेश और पाकिस्तान दो भागों में विभक्त कर दिया था। भारत-पाकिस्तान के इस युद्ध में भारत ने अपना सरदार शौर्य का प्रदर्शन किया था। तब और इंदिरा गांधी की जय जय कार चहुंओर हो रही थी।
1977 के लोकसभा चुनाव में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से जनता पार्टी की ओर से डॉ वसंत नारायण सिंह ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार दामोदर पांडेय को भारी मतों से पराजित किया था। यह चुनाव देश में लागू आपातकाल के बाद हुआ था । लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में इंदिरा गांधी की तानाशाही के खिलाफ देशभर में जबरदस्त आंदोलन हुआ था। देश के तमाम विरोधी पक्ष के नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। 1977 के हुए लोकसभा चुनाव में केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनी थी। मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने थे ।
1980 के लोकसभा चुनाव में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर डॉ बसंत नारायण सिंह ने कांग्रेस पार्टी की अजीमा हुसैन को भारी मतों से हराया था। इस बीच जनता पार्टी की मिली जुली सरकार आपसी खींचातानी में मोरारजी देसाई की सरकार चली गई थी। कुछ समय के लिए चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री बने थे। उसके बाद श्रीमती इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बनी थीं।
1984 लोकसभा चुनाव में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के दामोदर पांडेय ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के भुवनेश्वर प्रसाद मेहता को हराया था । इसी वर्ष 31 अक्टूबर, 1984 को श्रीमती इंदिरा गांधी की निर्मम हत्या कर दी गई थी। श्रीमती गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे ।
1989 लोकसभा चुनाव में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी की ओर से बिल्कुल एक नए उम्मीदवार यदुनाथ पांडेय प्रवेश हुआ था । उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के भुवनेश्वर प्रसाद मेहता को पराजित किया था। यदुनाथ पांडेय का प्रवेश रामनवमी जुलूस के मार्ग को तत्कालीन जिला प्रशासन द्वारा रोक दिए जाने के कारण प्रवेश हुआ था। रामनवमी जुलूस के आंदोलन को गंतव्य तक पहचाने के चलते ही यदुनाथ पांडेय हजारीबाग से सांसद चुन लिए गए थे। इसी कालखंड में 21 मई 1991 को राजीव गांधी की निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस दौरान कुछ महीनो के लिए चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने थे। उसके बाद पी.वी.नरसिंह राव देश के प्रधानमंत्री बने थे
1996 लोकसभा चुनाव में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के एक उम्मीदवार के रूप में महावीर लाल विश्वकर्मा ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार भुवनेश्वर मेहता को हराया था । इसी कालखंड में मात्र 16 दिनों के लिए अटल बिहारी वाजपेई देश के प्रधानमंत्री बने थे । उसके बाद लगभग 1 साल के लिए एच.डी देवगौड़ा देश के प्रधानमंत्री बने थे ।
1998 लोकसभा चुनाव में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से यशवंत सिन्हा को उतार गया था।‌ यशवंत सिन्हा ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता भुवनेश्वर प्रसाद मेहता को हराया था। इस दौरान 1997 में देश के प्रधानमंत्री के रूप में आई. के.गुजराल थे ।
1999 लोकसभा चुनाव में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार अकलू रम को हराया था। तब देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई थे। यशवंत सिन्हा एक केंद्रीय मंत्री के रूप में हजारीबाग का नाम राष्ट्रीय पटल पर गौरवान्वित किया था ।
2004 के लोक सभा चुनाव में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने भाजपा के के नेता यशवंत सिन्हा को हराया था ।‌ तब अटल बिहारी वाजपेई की सरकार को लोकसभा चुनाव में बहुमत नहीं आने के कारण उनकी सरकार चली गई थी। तब कांग्रेस पार्टी के डॉ मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने थे
2009 के लोकसभा चुनाव में हजारीबाग संसदीय क्षेत्रसे भारतीय जनता पार्टी के नेता यशवंत सिन्हा ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार सौरव नारायण सिंह को पराजित किया था । सौरव नारायण सिंह विधायक थे। वे पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़े थे। सौरभ नारायण सिंह रामगढ़ राज्य के तीसरी पीढ़ी के थे ।तब देश के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह थे ।
2014 के लोकसभा चुनाव में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने यशवंत सिन्हा के पुत्र जयंत सिंह को उम्मीदवार बनाया था। जयंत सिन्हा ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार सौरभ नारायण सिंह को भारी मतों से पराजित किया था। इस लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को देश की जनता ने अपार जन समर्थन दिया था । फलस्वरुप केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी । नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने थे ।
2019 के लोकसभा चुनाव में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से एक बार फिर जयंत सिन्हा को भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार बनाया था। जयंत सिन्हा ने कांग्रेस पार्टी के गोपाल साहू को लगभग चार लाख से अधिक मतों से पराजित कर अपना परचम लहरा दिया था। देश की जनता ने इस बार के लोकसभा चुनाव में एनडीए को भारी समर्थन दिया था। नरेंद्र मोदी पुणे देश के प्रधानमंत्री बने। 2019 के लोकसभा चुनाव में 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली सीटों की तुलना में अधिक सांसद जीते थे ।
2024 के लोकसभा चुनाव में हजारीबाग लोकसभा संसदीय क्षेत्र से 17 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं । सभी उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत के दावे कह रहे हैं। लेकिन मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मनीष जायसवाल और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार जे.पी. पटेल के बीच है।दोनों के बीच कांटे का संघर्ष है। गौरतलब है कि दोनों उम्मीदवार पहली बार हजारीबाग लोकसभा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों विधायक हैं।है केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है। हजारीबाग लोकसभा संसदीय क्षेत्र में 20 मई को चुनाव होना है। देखना यह है कि हजारीबाग लोक सभा संसदीय क्षेत्र की जनता मनीष और पटेल में किसे अपना सांसद चुनती है ?