विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस: जागरूकता ही बचाव है – डॉ संजय कुमार
जो रेडिएशन के संपर्क में अधिक रहते हैं और धूमपान अधिक करते हैं, ऐसे लोगों को ब्रेन ट्यूमर का बहुत ज्यादा खतरा होता है।
विश्वभर में हर साल 8 जून को वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाया जाता है। पहली बार 8 जून, 2000 को जर्मन ब्रेन ट्यूमर एसोसिएशन (ड्यूश हिरनटूमोरहिल्फ़ ई.वी.) द्वारा ब्रेन ट्यूमर रोगियों का समर्थन करने के लिए विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाया गया था। इसका मुख्य मक़सद ट्यूमर रोगियों और उनके परिवारों को सहायता प्रदान करना और ब्रेन ट्यूमर के बारे में जागरूक करने का है, ताकी लोग इस बीमारी के बारे में जान सके और समय रहते इसका इलाज करवा सकें।
पारस अस्पताल राँची के चिकित्सा निदेशक और राँची के प्रख्यात न्यूरो विशेषज्ञ डॉ संजय कुमार बताते हैं कि – भारत में भी ब्रेन ट्यूमर बढ़ता जा रहा है। इस बीमारी में ब्रेन में कोशिकाओं और ऊतकों की गांठ बन जाती है जिसे ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। ब्रेन ट्यूमर बहुत ही खतरनाक बीमारी है। सही समय पर अगर इसका इलाज न किया जाए तो ये जानलेवा साबित होती है। लोगों को इसके खतरों के प्रति आगाह करने के लिए ब्रेन ट्यूमर डे पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और इसके बारे में जागरूक किया जाता है।
न्यूरो विशेषज्ञ डॉ संजय कुमार बीमारी के लक्षण और इसके ख़तरनाक प्रभाव के बारे में जागरूक करते हुए कहा कि –
लक्षण:
ब्रेन ट्यूमर होने पर आम लक्षण जो शरीर में दिखाई देते हैं उनमें धीरे- धीरे सिरदर्द का बढ़ना, घबराहट या उल्टी, शरीर के एक हिस्से में धीरे धीरे पक्षाघात(पैरालायसिस), मिर्गी का झटका आना, एक कान से कम सुनाई पड़ना आदि शामिल हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार नशीली दवाइयां और शराब का अधिक सेवन करने के कारण भी इस बीमारी का शिकार होना पड़ सकता है। जो रेडिएशन के संपर्क में अधिक रहते हैं और धूमपान अधिक करते हैं, ऐसे लोगों को ब्रेन ट्यूमर का बहुत ज्यादा खतरा होता है, इन्हीं लोगों को सचेत करने के लिए इस दिन का आयोजन किया जाता है। ब्रेन ट्यूमर अनुवांशिक भी हो सकता है।
बचाव:
समय रहते इस बीमारी के प्रति सावधान हो जाना बहुत जरूरी है। इन लक्षणों को कभी भी नजरअंदाज न करें। यदि किसी व्यक्ति में ऐसे लक्षण पाये जाते हैं तो उन्हें तत्काल डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। अक्सर लोग सिर दर्द, उल्टी, हाथ पैर की कमजोरी आदि को नजरअंदाज कर देते हैं जिसके कारण आगे चलकर उन्हें गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इस बीमारी का इलाज बहुत ही जरूरी है। इसका इलाज कई अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरपी आदि जैसे इलाज के विकल्प हैं। ब्रेन ट्यूमर के मरीज़ को ठीक होने के बाद भी रेगुलर फ़ॉलोअप में रहना चाहिये। उन्हें हर एक साल पर CT Scan और MRI जाँच करानी चाहिए जिससे ये पता चल सके कि ट्यूमर कहीं फिर से तो विकसित नहीं हो गया है!
पारस अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ संजय कुमार ने ब्रेन ट्यूमर के बारे में विस्तार से बताया:
हमारे मस्तिष्क में अचानक ही असामान्य कोशिकाओं का बढ़ना ब्रेन ट्यूमर कहलता है। ब्रेन ट्यूमर कई प्रकार के होते हैं। कुछ ब्रेन ट्यूमर कैंसर के साथ होते हैं, जो कि बहुत खतरनाक होते हैं और कुछ साधारण होते हैं। सामान्य ब्रेन ट्यूमर की शुरुआत मस्तिष्क से होता है, वहीं कैंसर के साथ वाले ब्रेन ट्यूमर शरीर के अन्य भागों से शुरू होते हुए हमारे दिमाग तक फैल सकता है। कुछ ब्रेन ट्यूमर काफ़ी छोटे ( 3 सेंटीमीटर से भी कम) होते हैं। इनका इलाज गामानाइफ़ रेडियोसर्जरी के द्वारा किया जाता है, जिसमें हाई एफिशिएंसी रेडियोथेरेपी के माध्यम से ट्यूमर को जला दिया जाता है। एक ट्यूमर होता है पिट्यूटरी ट्यूमर, जिसका इलाज नाक से दूरबीन के द्वारा किया जाता है।
विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस का उद्देश्य
इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों में ब्रेन ट्यूमर के प्रति जागरूकता फैलाना है। ब्रेन ट्यूमर की घातक स्थिति की जानकारी लोगों तक पहुंचाना है, जो कि आगे चलकर अक्सर मस्तिष्क कैंसर का कारण बनती है। यह महत्वपूर्ण है कि अधिक से अधिक लोग बीमारी के लक्षणों, उपचार और तथ्यों के बारे में जानें, तभी वे इस रोग से बच सकते हैं, नहीं तो दिन-ब-दिन यह रोग और भी गंभीर होता जाता है और मनुष्य की जान तक बचाना मुश्किल हो जाता है।