आयुष अस्पतालों की सेहत सुधारने की जरूरत : तुषार कांति

आयुष अस्पतालों की सेहत सुधारने की जरूरत : तुषार कांति

रांची। सामाजिक कार्यकर्ता और श्रीराम कृष्ण सेवा संघ के सहायक सचिव तुषार कांति शीट ने कहा है कि झारखंड में आयुष चिकित्सालय की सेहत सुधारने की जरूरत है। यह वर्तमान समय की मांग भी है। उन्होंने कहा कि फिलवक्त झारखंड में तेजी से पांव पसार रहे वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण के कारण होम्योपैथिक, यूनानी और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की मांग भी बढ़ गई है। इन चिकित्सा पद्धतियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से संबंधित विभिन्न औषधियां उपलब्ध है। कई मरीजों ने आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथिक चिकित्सा से बीमारी से छुटकारा पाया है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से बचाव में आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से संबंधित कई औषधियां काफी कारगर साबित हुई हैं। इन औषधियों की मांग भी बढ़ रही है। श्री शीट ने कहा कि झारखंड जैसे वनाच्छादित प्रदेश में, जहां जड़ी-बूटियों की भरमार है, औषधीय पौधे भी जंगलों में काफी बड़े पैमाने पर उपलब्ध हैं,वहां गांव में आदिकाल से लोग आयुर्वेदिक औषधियों का सहारा ले रहे हैं। ऐसे में यहां आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी चिकित्सा को महत्व देना और इसका व्यापक प्रचार प्रसार करना आवश्यक प्रतीत हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य के आयुष अस्पतालों को संसाधनयुक्त बनाने की आवश्यकता है। राज्य के कई जिलों में आयुर्वेद चिकित्सकों की कमी है। उन्होंने बताया कि जानकारी के मुताबिक राज्य के 12 जिलों (लातेहार, गढ़वा, सिमडेगा, चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, सरायकेला-खरसावां, कोडरमा, पश्चिम सिंहभूम, लोहरदगा, गुमला और पलामू) में आयुर्वेदिक चिकित्सकों के 101 पद सृजित हैं। जिसमें 84 पद अभी भी खाली पड़े हैं। वहीं, यूनानी चिकित्सकों के 22 पदों में 19 रिक्त हैं। होम्योपैथिक चिकित्सकों की बात करें तो 40 पद सृजित हैं, जिसमें 34 पद खाली पड़े हैं। कमोबेश सूबे के अन्य जिलों की स्थिति भी ऐसी ही है। वर्षों से आयुष चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं किए जाने के कारण भी ऐसी स्थिति बनी हुई है। राज्य के लगभग सभी जिलों में बनाए गए आयुष अस्पताल बदहाली का दंश झेल रहे हैं। ऐसे में राज्य सरकार को विशेष रूप से आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति सहित होम्योपैथिक चिकित्सकों की बहाली कर आयुष अस्पतालों की स्थिति में सुधार लाने की आवश्यकता है।