उपलब्धियों भरा रहा कोल्हान के डीआईजी राजीव रंजन सिंह का एक वर्ष का कार्यकाल

उपलब्धियों भरा रहा कोल्हान के डीआईजी राजीव रंजन सिंह का एक वर्ष का कार्यकाल

कोल्हान से विनय मिश्र की रिपोर्ट

चाईबासा : कोल्हान के 15 वें डीआईजी राजीव रंजन सिंह के कार्यकाल का एक वर्ष पूरे हो गए। गत वर्ष एक मई को उन्होंने तत्कालीन डीआईजी कुलदीप द्विवेदी से पदभार ग्रहण किया था। श्री सिंह भारतीय पुलिस सेवा के वैसे जांबाज अधिकारियों में शामिल हैं, जो नक्सल विरोधी अभियान को गति देने के साथ-साथ, नक्सलियों के नापाक मंसूबों पर पानी फेरने में सफल रहे हैं। कोल्हान प्रमंडल के पन्द्रहवें डीआईजी के रूप में 1 मई 2020 को पदभार ग्रहण करने वाले राजीव रंजन सिंह के कुशल मार्गदर्शन का ही यह परिणाम है कि इस क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगा है। विगत कुछ दिनों से चल रहे नक्सल विरोधी सघन अभियान में नक्सलियों को भारी क्षति हुई है। मुठभेड़ में पुलिस को भारी पड़ता देख उल्टे पैर नक्सलियों को लौटना पड़ा। श्री सिंह के कुशल नेतृत्व में पश्चिम सिंहभूम जिला पुलिस व सरायकेला पुलिस का संयुक्त अभियान काफी कारगर साबित हुआ। श्री सिंह की यह विशेषता है कि वे नक्सल विरोधी अभियान को बेहतर तरीके से गति देने के साथ-साथ कारगर रणनीति बनाकर उनके मंसूबों को तो विफल करते ही हैं, इसके अलावा नक्सलियों को यह भी साफ संदेश देते हैं कि या तो सरेंडर करें या फिर मरने के लिए तैयार रहें। नक्सल विरोधी अपराधमुक्त कोल्हान उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसे ही मुख्य लक्ष्य रखकर निरंतर आपरेशन चलाया जा रहा है। भारतीय पुलिस सेवा 2006 बैच के अधिकारी राजीव रंजन सिंह अति नक्सल प्रभावित जिला के रूप में चिन्हित सिमडेगा में साढ़े तीन वर्षों तक पुलिस अधीक्षक के रूप में पदस्थापित रहे हैं। नक्सल गतिविधियों के विरूद्ध सघन अभियान चलाकर नक्सलियों की नकेल कसने में कामयाब रहे हैं। इसके अलावा गोड्डा और पाकुड़ में भी बतौर पुलिस अधीक्षक इनका कार्य सराहनीय रहा है। रांची में ग्रामीण एसपी के रूप में भी इनका कार्यकाल काफी सराहा गया था। श्री सिंह का मानना है कि अपराधमुक्त समाज से ही सामाजिक सशक्तिकरण की परिकल्पना साकार हो सकती है। उन्होंने खासकर भटके हुए ग्रामीण युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि अपने बेहतर भविष्य के लिए समाज की मुख्य धारा से जुड़ें। वहीं नक्सलियों से भी अपराध का रास्ता त्यागकर सरेंडर नीति का लाभ लेने की अपील की।
डीआईजी श्री सिंह संभवतः झारखंड के पहले ऐसे अधिकारी हैं, जो पुलिस सेवा में आने से पू्र्व एमपीएससी में चयनित होकर मध्यप्रदेश में अनुमंडल पदाधिकारी के पद पर सेवारत रहे हैं। तत्पश्चात कोडरमा जेजे कॉलेज में केमिस्ट्री के लेक्चरर भी रह चुके हैं।