जयचंद नहीं मूलचंद प्रोडेक्ट के कारण हारी भाजपा – सरयू राय
निर्दलीय विधायक व पूर्व कैबिनेट मंत्री सरयू राय ने कहा है कि भाजपा जयचंद नहीं, मूलचंद प्रोडेक्ट के कारण हारी है. रघुवर दास पृथ्वीराज चौहान हैं, तो जयचंद को ना खोजें, उनको मूलचंद को खोजना चाहिए.
रांची : जमशेदपुर पूर्वी से मुख्यमंत्री रघुवर दास को शिकस्त देनेवाले भाजपा के बागी निर्दलीय विधायक व पूर्व कैबिनेट मंत्री सरयू राय ने कहा है कि भाजपा जयचंद नहीं, मूलचंद प्रोडेक्ट के कारण हारी है. रघुवर दास पृथ्वीराज चौहान हैं, तो जयचंद को ना खोजें, उनको मूलचंद को खोजना चाहिए.
अटल-आडवाणी के समय से भाजपा के कार्यकर्ता देव दुर्लभ कहे जाते हैं. आज भाजपा जहां पहुंची है, वह कार्यकर्ताओं के कारण है. रघुवर दास पहले कार्यकर्ता को चिरकुट कहते थे, अब जयचंद कह रहे हैं. इनको पार्टी के कार्यकर्ताओं से माफी मांगनी चाहिए.
श्री राय गुरुवार को रांची स्थित अपने आवास पर प्रभात खबर से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि रघुवर छोटी-बड़ी जांच करा लें. जमशेदपुर में इनके लोगों का क्या कहर था, ठेला-खोमंचा को नहीं छोड़ा. थाना हाजत से खींच कर मारा, पत्रकारों की पिटाई हुई. गृह सचिव ने सात-सात पत्र लिखे, लेकिन जांच नहीं हुई.
डीजीपी ने चार-चार पत्र लिखे, पुलिस ने जांच नहीं की. मोदी परिवारवाद की बात करते हैं, यहां दीपक तले अंधेरा था. मुख्यमंत्री ने जेब में पार्टी को रख ली थी. कार्यकर्ताओं की अवहेलना हुई, तो निष्क्रिय हो गये. जयचंद और मूलचंद में अंतर करना समझें. जमशेदपुर से वीडियो मंगा लें. भाजपा के आधे कार्यकर्ता हमारे साथ घूम रहे थे. वह किसको जयचंद बोल रहे हैं, पता चल जायेगा.
श्री राय ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बड़े-बड़े पोस्टर छपवाये थे : प्राण जाये, पर वचन ना जाये. इस सरकार मेें कितने वचन चले गये, मालमू नहीं. उनके पार्टी छोड़ने से भाजपा को एक आना फर्क नहीं पड़ेगा. भाजपा बड़ी पार्टी है, लोग आते-जाते हैं.
परंपरा, सिद्धांत, नीति और आदर्श छोड़ देने से फर्क जरूर पड़ेगा. कार्यकर्ता अपनी मेहनत का परिदान खोजता है, सम्मान खोजता है. रघुवर दास की सरकार में कई आइएएस और आइपीएस चरण वंदना कर रहे थे. झुकने को कहा गया, तो रेंगने लगे थे. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने भी आपातकाल के बाद कहा था कि अफसर झुकने के बदले रेंगने लगे.
मैंने टिकट नहीं मांगा था, लेकिन मुख्यमंत्री ने मुझे टिकट नहीं देने पर वीटो लगा दिया : श्री राय ने कहा : 1962 के भारत-चीन लड़ाई के समय हाइस्कूल में था, तब से आरएसएस की शाखा का संचालन करता था. 1977 में जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हुआ, तो युवा मोर्चा का काम मिला. पार्टी से हमने कभी कुछ नहीं मांगा. कभी नहीं कहा कि एमएलसी बना दो, एमएलए बना दो. लेकिन पार्टी ने मुझे सबकुछ दिया.
सम्मान दिया, पद दिया. मैं पार्टी के प्रति आभारी हूं. मैंने इसबार भी टिकट नहीं मांगा था. मेरा यह आखिरी चुनाव होता, मैंने कह भी दिया था. लेकिन मुझे मालूम पड़ा कि मुख्यमंत्री ने मेरे टिकट को ही प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है. वीटो लगा दिया है कि किसी कीमत पर टिकट नहीं लेने दूंगा.
संसदीय बोर्ड की बैठक में भी मेरे टिकट का मामला उठा. श्री राय ने कहा कि मैंने प्रभारी ओम माथुर से कहा था कि टिकट नहीं देना, तो कह दें. उन्होंने कहा कि तैयारी कीजिए. मैंने राजनाथ सिंह से भी मिल कर कहा था कि सूची पर सूची जारी हो रही है, मेरा नाम नहीं है. अगर टिकट नहीं मिलेगा, तो मैं पूर्वी से चुनाव लड़ूंगा. मैंने हिम्मत जुटायी और चुनाव में उतर गया. जमेशदुपर पूर्वी में मैं नहीं, जनता चुनाव लड़ रही थी. मैं केवल लोगों के साथ घूम रहा था. मुझे आश्चर्य हुआ कि जो 25 साल का विधायक है, वह जनता के बीच इतना अलोकप्रिय कैसे हो सकता है.