झारखंड के सांस्कृतिक-सामाजिक क्षेत्र में सूनापन आ गया : सुबोधकांत सहाय
रांची। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने झारखंडी कला-संस्कृति व साहित्य के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए जीवन पर्यंत प्रयासरत रहने वाले शख्सीयत डॉ.गिरधारी राम गोंझू के असामयिक निधन पर शोक जताया है। श्री सहाय ने अपनी शोक संवेदना में कहा कि झारखंडी संस्कृति व भाषा की अस्मिता को बचाए रखने के लिए सतत प्रयासरत रहने वाले नागपुरी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार डॉ. गोंझू का अकस्मात इस संसार से विदा हो जाना समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।
उन्होंने कहा कि स्व. डॉ गोंझू झारखंड की लोक कला, नृत्य, गायन, वादन, भाषा और अन्य विधाओं के जानकार थे। दो दर्जन से अधिक किताबें भी लिखी। झारखंड के पारंपरिक वाद्य यंत्रों, नागपुरिया संस्कृति, नृत्य, गीतों पर किताब लिखकर उन्होंने झारखंड की विरासत और पहचान को संरक्षित रखने का काम किया था। श्री सहाय ने उनकी आत्मा की शांति और परिजनों को इस दुख की घड़ी में दुख सहने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से कामना की।