मत्स्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में रोजगार सृजन की असीम संभावनाएं : डॉ आशीष कुमार झा
रांची। मत्स्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में रोजगार सृजन की असीम संभावनाएं हैं। झारखंड में मत्स्य पालन के प्रति खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले आर्थिक रूप से कमजोर कृषकों की अभिरुचि बढ़ रही है। मत्स्य पालन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो रही है। उक्त बातें सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ फिशरीज टेक्नोलॉजी (सीआइएफटी) के वैज्ञानिक डॉ. आशीष कुमार झा ने कही। डॉ. झा गुरुवार को राजधानी स्थित एचईसी आवासीय परिसर में अवस्थित मत्स्य किसान प्रशिक्षण केंद्र में विशेषकर अनुसूचित जनजाति के मत्स्य पालकों के लिए आयोजित प्रशिक्षण शिविर में बतौर विशेषज्ञ संबोधित कर रहे थे। दो दिवसीय विशेष प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर उन्होंने कहा कि फिश प्रोसेसिंग (मत्स्य प्रसंस्करण) के क्षेत्र में रोजगार सृजन की असीम संभावनाएं हैं। मत्स्यपालकों को समुचित बाजार मिलना भी जरूरी है। इसके साथ ही साथ मूल्य संवर्धन द्वारा रोजगार सृजन के विभिन्न आयामों पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। डॉ. झा ने कहा कि मछली को प्रसंस्कृत (प्रोसेस्ड) कर नए-नए उत्पाद बनाना, पैकेजिंग करना आदि का प्रशिक्षण भी मत्स्य पालकों को दिया जाना आवश्यक है। उन्होंने मत्स्य प्रसंस्करण से संबंधित उत्पादों का जीवंत प्रदर्शन कर मत्स्य पालकों को फिश प्रोडक्ट्स तैयार करने के गुर भी बताए। प्रशिक्षण शिविर का आयोजन आईसीएआर की इकाई सीआईएफटी और झारखंड सरकार के मत्स्य निदेशालय के संयुक्त सौजन्य से किया गया। डॉ. झा ने मत्स्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों और आधुनिक तकनीकों की जानकारी दी। साथ ही इससे संबंधित प्रचार-प्रसार करने का मत्स्यपालकों से आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मत्स्य कृषक मत्स्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में आगे आएंगे, तो इससे उनकी आमदनी में भी वृद्धि होगी। साथ ही यह रोजगार का एक सशक्त जरिया भी बनेगा। दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर मत्स्य निदेशक डॉ. एचएन द्विवेदी, मुख्य अनुदेशक प्रदीप कुमार, रांची जिला मत्स्य पदाधिकारी अनूप कुमार चौधरी सहित अन्य मौजूद थे। मत्स्य विभाग के सभी पदाधिकारियों ने मत्स्य पालकों के उज्जवल भविष्य की कामना की।