हिन्दी दिवस पर ‘शब्दाक्षर’ ने आयोजित की राष्ट्रीय काव्यगोष्ठी, है हिन्दी साहित्य श्रेष्ठ, गौरवशाली इसकी गाथा
अमरेन्द्र कुमार सिंह
गया । साहित्यिक संस्था ‘शब्दाक्षर’ (रजि०) की ओर से हिन्दी दिवस के सुअवसर पर “शब्दाक्षर की मस्तक बिंदी, बनी हुई है सुरभित हिंदी” विषय पर अॉनलाइन राष्ट्रीय काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता ‘शब्दाक्षर’ के मध्य प्रदेश अध्यक्ष राजीव खरे ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ राजस्थान के शब्दाक्षर प्रदेश अध्यक्ष श्री राम पंचाल भारतीय द्वारा प्रस्तुत स्वागत वक्तव्य से हुआ। प्रधान अतिथि सह शब्दाक्षर के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रवि प्रताप सिंह ने सब को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएंँ दीं। उन्होंने अपनी कविता “सकल विश्व इसको भारत भाषा माने, भारत भर में सबल करो अपनी हिंदी” प्रस्तुत करके सब को हिन्दी का सम्मान करने की बात कही। इस काव्यगोष्ठी में देश के विभिन्न राज्यों से आमंत्रित कवियों की प्रतिभागिता रही जिसमें सबने हिन्दी भाषा और साहित्य का काव्यात्मक महिमामंडन किया। शब्दाक्षर बिहार इकाई की प्रदेश साहित्य मंत्री प्रोफेसर डॉ० कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने अपनी कविता हिन्दी भाषा से “सुख में संग-संग मुस्काती है, दुःख में देती हमें दिलासा, हिन्दी बिन हम यों हैं, ज्यों बिन पानी तड़पे कोई प्यासा, शिक्षक, शिक्षा एवं हिन्दी भाषा का अटूट नाता, बतलाने ही प्रिय सितंबर माह सदा शायद आता, है हिन्दी साहित्य श्रेष्ठ, गौरवशाली इसकी गाथा'” पंक्तियों का सस्वर पाठ किया। शब्दाक्षर के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष-सह-उत्तराखंड के जाने-माने कवि महावीर सिंह ‘वीर’ की खूबसूरत गायिकी के साथ प्रस्तुत पंक्तियों ने सबका मन मोह लिया। उन्होंने कहा- “तरक्की की बुलंदी पर पहुंच कर भूल जाते हैं, पुराने संस्कारों के हम प्रतिकूल जाते हैं, बड़ा होते ही इंग्लिश प्रेमिका के जाल में फँसकर, कई बेटे तो हिन्दी माँ को बिल्कुल भूल जाते हैं।” शब्दाक्षर के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष-सह- लखनऊ के प्रसिद्ध कवि श्यामल मजूमदार ने ” जन-जन की पीड़ा को भाती हिन्दी की रचनाएँ, संबल देती राह सुझाएँ हरती सभी व्यथाएँ…मैं हिन्दी का दीवाना रे” पंक्तियों से खूब वाहवाहियाँ अर्जित कीं। मुख्य अतिथि के रूप में शब्दाक्षर के चंडीगढ़ प्रदेश अध्यक्ष श्री खिलेश शर्मा तथा शब्दाक्षर गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष श्री सुमित मानधना गौरव ने भी कार्यक्रम में उपस्थित कवियों के समक्ष अपनी काव्यात्मक भावाभिव्यक्तियाँ रखीं। ‘शब्दाक्षर’ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष-सह-असम से कवि सत्येन्द्र सिंह सत्य ने संसार में सबसे अनोखा राष्ट्र हिन्दुस्तान है, जय हिन्द का उद्घोष है, जय भारती का गान है” से सबकी प्रशंसा पाई। इस काव्य गोष्ठी में अतिथि कवियों के साथ-साथ कवयित्री अंजू छारिया,ऋचा सिन्हा, सुशीला चनानी, सरजू प्रसाद विश्वकर्मा, विभा जोशी, खिलेश शर्मा, डॉ पोपट बिहारी, निशांत सिंह गुलशन, वंदना चौधरी तथा चन्द्रमणि चौधरी आदि ने हिन्दी भाषा को समर्पित भी अपनी कविताएँ पढ़ीं। ‘शब्दाक्षर’ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दया शंकर मिश्र ने सब को अपना स्नेहाशीष अर्पित करते हुए कार्यक्रम की सफलता पर खुशी जताई। काव्यगोष्ठी का कुशल संचालन दिल्ली की शब्दाक्षर प्रदेश अध्यक्ष संतोष संप्रीति ने तथा धन्यवाद ज्ञापन श्री सत्येन्द्र सिंह ‘सत्य ने किया। इस काव्यगोष्ठी का सीधा प्रसारण शब्दाक्षर के फेसबुक केन्द्रीय पेज से किया गया।