कोरोना की मार, प्रभावित हो रहा करोड़ों का कारोबार
हाल टेक्सटाइल व रेडिमेड वस्त्र व्यवसायियों का
रांची से विनीत कुमार की रिपोर्ट
रांची। कोरोना की मार से झारखंड के टेक्सटाइल व रेडीमेड परिधानों के बिक्रेता बेहाल हैं। लाॅकडाउन के कारण उनका करोड़ों का कारोबार प्रभावित हो रहा है। कोरोना की दूसरी लहर से झारखंड में टेक्सटाइल व रेडीमेड गारमेंट्स उद्योग पर संकट गहरा गया है। तकरीबन दो माह से टेक्सटाइल व गारमेंट्स की बिक्री ठप है। सरकारी निर्देशानुसार सूबे की थोक व रिटेल वस्त्र सहित रेडीमेड परिधानों के सभी रिटेल शॉप, शॉपिंग मॉल व अन्य दुकानें बंद है। इससे राज्य के सभी थोक व रिटेल वस्त्र/रेडीमेड गारमेंट्स बिक्रेताओं के समक्ष गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है।
इस संबंध में झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ के अध्यक्ष प्रकाश अरोड़ा ने बताया कि लॉकडाउन के कारण दुकानें बंद रहने से सिर्फ राजधानी रांची में लगभग एक सौ करोड़ रुपये प्रतिमाह का कारोबार प्रभावित हो रहा है। जबकि पूरे झारखंड में 500 करोड़ के आसपास प्रतिमाह का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। श्री अरोड़ा ने बताया कि रांची में थोक वस्त्र बिक्रेताओं की संख्या 150 है। वहीं, रेडीमेड गारमेंट्स के थोक बिक्रेताओं की संख्या भी लगभग 150 है। उन्होंने कहा कि पिछली बार भी लॉकडाउन के दौरान वस्त्र व्यवसायियों पर संकट गहराया था। बीते वर्ष सीजन और लगन के समय ही बिक्री प्रभावित हुई थी। इस साल हालत और भी अधिक खराब है।
वहीं, झारखंड थोक वस्त्र बिक्रेता संघ के सचिव कमल जैन ने बताया कि झारखंड में थोक वस्त्र बिक्रेताओं के यहां कार्यरत श्रमिकों-कर्मचारियों की संख्या लगभग 60 हजार है। इसमें उनके परिवारों की संख्या जोड़ दी जाए, तो लगभग ढाई से तीन लाख लोग प्रभावित हो रहे हैं।
श्री जैन ने कहा कि दुकानें बंद रहने से एक ओर आमदनी बंद है। वहीं, दूसरी तरफ कर्मचारियों का वेतन, बिजली बिल, जीएसटी सहित अन्य सभी खर्च यथावत हैं। उन्होंने कहा कि राजधानी रांची सहित हजारीबाग, धनबाद, चाईबासा, मधुपुर, गिरिडीह व जमशेदपुर में थोक वस्त्र की बड़ी मंडी है। यहां से झारखंड के अलावा सीमावर्ती राज्य उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के वस्त्र व्यवसायी माल ले जाते हैं। लॉकडाउन के चलते विगत लगभग दो माह से दुकानें/प्रतिष्ठान बंद रहने की वजह से व्यापारियों पर दोहरी मार पड़ रही है।
श्री जैन ने कहा कि वस्त्र और रेडीमेड परिधानों के कुल व्यवसाय का लगभग 50 प्रतिशत कारोबार लगन व पीक सीजन के दौरान होता है। यह हर वर्ष मार्च, अप्रैल, मई-जून तक रहता है। लेकिन पिछले वर्ष भी इसी अवधि में लॉकडाउन लगा। इस बार भी फिर इसी अवधि में लॉकडाउन लगा है। जिससे टेक्सटाइल और रेडिमेड परिधानों का व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
उन्होंने कहा कि व्यवसायियों के अस्तित्व के बारे में सरकार को सोचने की जरूरत है। लाॅकडाउन से वस्त्र व्यवसायियों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि रांची शहर में टेक्सटाइल की 150 थोक दुकानें हैं। वहीं, रेडीमेड गारमेंट्स के थोक बिक्रेताओं की संख्या भी लगभग डेढ़ सौ है।
उन्होंने कहा कि दुकानों के कर्मचारियों का वेतन, दुकान किराया, बिजली बिल, जीएसटी सहित अन्य खर्च रुक नहीं रहा है।
श्री जैन ने कहा कि थोक वस्त्र विक्रेताओं की समस्याओं को देखते हुए सरकार लॉकडाउन के दौरान जीएसटी में तीन महीने की छूट दे। बैंक के ब्याज दरों में भी रियायत दे, तो वस्त्र व्यवसायियों को थोड़ी राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए संघ की ओर से सरकार को अनुरोध पत्र प्रेषित किए जाने का निर्णय लिया गया है।
झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ से जुड़े व्यवसायियों की उत्पन्न समस्याओं के मद्देनजर संघ की प्रबंध समिति के कार्यकारिणी सदस्य प्रमोद सारस्वत ने बताया कि लाॅकडाउन लगने के कारण रेडीमेड वस्त्र सहित टेक्सटाइल वस्त्र विक्रेताओं के समक्ष गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। लॉकडाउन के दौरान दुकानें बंद रहने के कारण भारी मात्रा में पुराना स्टॉक जमा हो गया है। स्थिति सामान्य होने पर भी कम से कम दो-तीन महीने का समय लग जाएगा। ऐसे में व्यवसायियों को सरकार की ओर से राहत देने की मांग की जाएगी।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लॉकडाउन की अवधि में बैंक की ब्याज दरों में छूट और जीएसटी में तीन महीने की रियायत दे, तो व्यवसायियों को थोड़ी राहत मिलेगी।