नौनिहालों का भविष्य संवारने में कारगर साबित होगी नई शिक्षा नीति : तुषार कांति
रांची। शहर के जाने-माने समाजसेवी व शिक्षाविद् तुषार कांति शीट ने कहा है कि तकरीबन साढ़े तीन दशक के बाद शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन की जमीन तैयार हो पाई है। इसके साथ ही नई नीति का लाभ छात्रों को मिलने लगेगा। इससे देश की शिक्षा को नई दिशा मिलेगी। उन्होंने कहा कि सही मायने में नई शिक्षा नीति नौनिहालों का भविष्य संवारने में काफी कारगर साबित होगी। निश्चित तौर पर यह विकसित भारत की सोच को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार नई शिक्षा नीति में डिजिटल मोड को शिक्षा व्यवस्था में व्यापक तरीके से जोड़ने की योजना है, यह आने वाले समय में युवाओं को बहुत बड़ा प्लेटफार्म प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि नई नीति में स्कूली शिक्षा में जिस प्रकार से स्थानीय भाषा में प्रारंभिक कक्षाओं में पढ़ाई की व्यवस्था करने का प्रावधान किया गया है, वह काफी सराहनीय है। यह भारत के गौरव को पुनः स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि स्वामी जी ने भी शिक्षा में विविधता व समायोजन पर बल दिया था, इसे भी नई शिक्षा नीति में समाहित किया जाना महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति से देश की शिक्षा को नई दशा व दिशा मिलेगी। रोजगार के अवसर सृजन की दिशा में भी यह काफी सहायक होगा। उन्होंने कहा कि लंबे समय से शिक्षा में व्यापक सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। नई शिक्षा नीति से उच्च शिक्षा में भी क्रांतिकारी बदलाव आएगा। नई शिक्षा नीति शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए संजीवनी का काम करेगी। भारतीय संस्कृति पर आधारित नई शिक्षा नीति- 2020 के लागू होने से भारत के शिक्षा जगत में एक नई क्रांति आएगी। उन्होंने कहा कि वास्तव में नई शिक्षा नीति ने सदियों से चली आ रही लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति से हमें आजादी दिलाई है। इसका सकारात्मक परिणाम जल्द ही दिखने लगेगा। उन्होंने कहा कि राज्य की विशेषताओं और जानकारियों के आधार पर सभी राज्य अपना पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए इस नई शिक्षा नीति के तहत स्वतंत्र होंगे। सभी स्थानीय भाषाओं में स्कूली किताबों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने पर इस नई नीति में फोकस किया गया है, यह सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति शिक्षा के क्षेत्र में बहुप्रतीक्षित सुधार है। इससे एक भारत-श्रेष्ठ भारत का सपना साकार हो सकेगा। साथ ही भारतीय सभ्यता व संस्कृति का संवर्द्धन होगा।