मत्स्य कृषकों को हरसंभव सहयोग देने को तत्पर है मत्स्य निदेशालय: डॉ.एचएन द्विवेदी 

पंगेशियस मछली के प्रजनन व बीज उत्पादन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम में झारखंड के छह मत्स्य कृषक हुए शामिल 

मत्स्य कृषकों को हरसंभव सहयोग देने को तत्पर है मत्स्य निदेशालय: डॉ.एचएन द्विवेदी 

रांची: केन्द्रीय मीठाजल जीव पालन अनुसंधान (सीआईएफए) के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, विजयवाड़ा मे 19 से 23 अगस्त तक पंगेशियस मछली के प्रजनन एवं बीज उत्पादन पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण में झारखंड के गुमला, लातेहार, सरायकेला, गोड्डा एवं रांची जिले के छह मत्स्य कृषकों ने भाग लिया। सर्टिफिकेट वितरण के इस मौके पर क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र के क्षेत्र प्रभारी डाॅ. रमेश राठौर, वरीय वैज्ञानिक, डाॅ. अजीत चौधरी, वरीय वैज्ञानिक के साथ अन्य राज्यों (कर्नाटक, तेलंगाना आदि) से मत्स्य किसान उपस्थित थे।

मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता लाने की मत्स्य निदेशालय की सराहनीय पहल 

विदित हो कि झारखंड राज्य में केज कल्चर से मत्स्य पालन व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है, जिसमें प्रमुख रूप से पंगेशियस मछली का पालन किया जाता है। पंगेशियस एक कैट फिश है, जिसकी उत्पत्ति वियतनाम देश की  है। यह बहुत तेजी से बढ़ने वाली मछली है। इसमें काफी मात्रा में प्रोटीन के साथ अन्य मिनरल्स व पोषक तत्व मौजूद रहते हैं। इस मछली को बासा मछली के नाम से भी जाना जाता है। इस मछली का फिलेट बहुत बढ़िया होता है, जिसके कारण होटलों एवं रेस्टोरेंट्स में व्यापक रूप से उपयोग में लाया जाता है। इस मछली का बीज उत्पादन भारतीय मुख्य कार्प मछली से अलग है। यह मछली 3-4 वर्ष में परिपक्व होती है तथा 2-4 लाख प्रति किलो भार की दर से अंडे देती है। इसके अंडे चिपचिपे तथा आकार में बहुत छोटे होते हैं। अंडों से बच्चे 36-40 घंटो के बाद निकलते हैं। इन पौने हैचलिंग को प्रारंभिक अवस्था में लैक्टोजेन पाउडर का घोल, अंडे की जर्दी, जन्तु प्लावक आदि दिया जाता है। भोजन के अभाव में ये एक दूसरे को खाने लगते हैं।  इनमें स्वभोजी प्रकृति देखी जाती है, जिसके कारण इसके बीज बहुत कम संख्या में प्राप्त होते हैं।  प्रशिक्षण को सफल बनाने में सीआइएफए के डायरेक्टर, वैज्ञानिक तथा सहयोगी कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।


डॉ.एचएन द्विवेदी (निदेशक, मत्स्य) झारखंड के प्रयासों से राज्य को बीज उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से राज्य के बाहर भी प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने के लिए किसानों तथा पदाधिकारियों को भेजा जा रहा है। ताकि केजों तथा तालाबों में पंगेशियस मछली का पालन आसानी से हो सके। डाॅ.एचएन द्विवेदी, निदेशक मत्स्य ने बताया कि राज्य में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत पंगेशियस तथा जीआईएफटी तिलापिया की हैचरी शीघ्र स्थापित की जाएगी। इसके लिए सीफा, भुवनेश्वर के वैज्ञानिकों का एक दल भ्रमण करेगा तथा आवश्यक संभावनाओं को तलाशेगा। 
मत्स्य कृषकों में  मो.साजीम आलम, लाल जयकिशोर नाथ शाहदेव, ज्योति लकड़ा, नरेन किस्कू, जगरनाथ मुंडा शामिल थे। मत्स्य कृषकों के दल का नेतृत्व मुख्य अनुदेशक प्रशांत कुमार दीपक ने किया।

मत्स्य कृषकों ने आरजीसीए का भी किया भ्रमण 

मत्स्य कृषकों ने राजीव गांधी सेंटर फॉर एक्वाकल्चर (आरजीसीए), मोनीकोंडा, उन्गुटुरु, मंडाल, जिला -कृष्णा, आंध्रप्रदेश ने जीआईएफटी, तिलपिया हैचरी  का भी भ्रमण किया। जहां उन्होंने तिलापिया के दो-दो किलोग्राम वजन की मछलियों को भी देखा।