मत्स्यपालन के लिए व्यापक संभावनाओं को तलाशने में जुटी NBFGR की टीम
झारखंड में पहली बार किसी नदी पर हो रहा अनुसंधान कार्य । राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो द्वारा स्वर्णरेखा नदी पर अनुसंधान कार्य शुरू ।
रांची: राष्ट्रीय मत्स्य अनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज), लखनऊ द्वारा राज्य के स्वर्णरेखा नदी पर अनुसंधान किया जा रहा है। जिसमें संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. अजय कुमार पाठक, डाॅ. जसविंदर सिंह, वैज्ञानिक, रवि कुमार, तकनीकी सहायक तथा कनिष्ठ अनुसंधानकर्ता का चार सदस्यीय दल विगत तीन दिनों से स्वर्णरेखा नदी का भ्रमण कर रहा है। NBFGR, लखनऊ द्वारा यह सर्वे कार्य पहली बार झारखंड के किसी नदी पर किया जा रहा है।
मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम: डॉ.एचएन द्विवेदी
इस परियोजना का उद्देश्य नदी के मत्स्य पालन में पारिस्थितिक सेवाओं और पारंपरिक ज्ञान प्रथाओं के अनुमान के साथ सुवर्णरेखा नदी की इचिथियोफ़नल विविधता और निवास स्थान की स्थिति का आकलन करना है। परियोजना का उद्देश्य संरक्षण और प्रबंधन के लिए गहरे पूल और उनकी मछली विविधता पर स्थानिक डेटाबेस के अलावा नदी के विभिन्न खंडों में आनुवंशिक स्टॉक संरचना का आकलन करना भी है। इसके अतिरिक्त परियोजना में नदी के किनारे जलीय कृषि प्रथाओं का मूल्यांकन करना भी शामिल है । इस कार्य में डाॅ. यूके सरकार, निदेशक, एनबीएफजीआर, लखनऊ के साथ-साथ डाॅ.एचएन द्विवेदी निदेशक, मत्स्य, (झारखंड) की महत्वपूर्ण भूमिका है।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक यह प्रोजेक्ट तीन वर्षों के लिए है, जिसमें स्वर्णरेखा नदी के बायोडायवर्सिटी के ऊपर जानकारी प्राप्त हो सकेगी, ताकि नई योजनाओं को बनाने में सहायक प्राप्त हो सके।
मछलियों के संरक्षण में सहायक साबित होगा प्रोजेक्ट
यह प्रोजेक्ट स्वर्णरेखा नदी में पाई जानेवाली जीव-जंतुओं के संरक्षण में काफी मददगार साबित होगा।
इस परियोजना में स्वर्णरेखा नदी के उद्गम स्थल (रानीचुंआ) नगड़ी से कार्य प्रारंभ किया गया, जो बंगाल की खाड़ी तक बालासोर (उड़ीसा) तक चलेगा। बालासोर के पास ही यह नदी समुद्र में मिल जाती है।
गौरतलब है कि स्वर्ण रेखा नदी पर ही हटिया डैम, गेतलसूद डेम, चांडिल डेम आदि निर्मित है, जो राज्य की जीवन रेखा है। इन डैम के पानी से उधोग, कृषि, पशुपालन, मछली, तथा रांची एवं जमशेदपुर शहर को पानी की आपूर्ति भी होती है। चांडिल डैम से ना सिर्फ झारखंड, अपितु बंगाल, उड़ीसा के कुछ जिलों में कृषि कार्य हेतु सिंचाई की सुविधा भी मुहैया होती है।
उक्त जानकारी मत्स्य निदेशालय के मुख्य अनुदेशक प्रशांत कुमार दीपक ने दी।