विस्थापन और बढते प्रदूषण के खिलाफ अब होगा आंदोलन - बृंदा कारात

संताल परगना रैयत अधिकार एवं विस्थापन रोको हूल मोर्चा का कंवेंशन संपन्न.

विस्थापन और बढते प्रदूषण के खिलाफ अब होगा आंदोलन - बृंदा कारात

झारखंड के संताल परगना प्रमंडल के अंतर्गत आने वाले 6 जिलों में से 4 जिले और एक जिला गोड्डा का दो प्रखंड पुरी तरह संविधान की 5 वीं अनुसूची के अन्तर्गत आता है. देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से पहले ही सन 1855 - 56 में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ यहां रहने वाले सभी शोषित समुदायों के लोगों ने किसान विद्रोह जिसे संताल हूल कहा जाता है का बिगुल फूंका  था.   इस संताल हूल ने इतिहास में आजादी की लड़ाई की भूमिका तय कर दी थी.
इस क्षेत्र में जमीन का सवाल एक प्रमुख सवाल है क्योंकि देशी विदेशी कंपनियों और कार्पोरेट घरानों की नजर यहां की खनिज संपदा पर है. मोदी सरकार ने कोल ब्लाक की नीलामी द्वारा सरकारी और निजी कंपनियों को  कोयला खनन के लिए कोल ब्लाक आवंटित किए  हैं. ये कंपनियाँ यहां के आदिवासियों और अन्य गरीबों की जमीन की रक्षा के लिए बने संताल परगना काश्तकारी कानून की धज्जियाँ  उड़ाते हुए ग्राम सभा को दर किनार कर स्थानीय दलालों के माध्यम से रैयतों के जमीन की लूट जारी रखे हुए हैं. अमरा पाड़ा के  पचुआडा कोल ब्लाक के समीप बसे गांवों में इन दलालों का इतना आतंक है कि आम आदिवासी रैयत कंपनी के खिलाफ मुंह तक नहीं खोलते हैं. दुसरी ओर सार्वजनिक क्षेत्र के उधम कोल इंडिया की कंपनी ईसीएल ने भी कोयला खनन का काम कुख्यात आउटसोर्सिंग  कंपनियों के हवाले कर दिया है जिन्हें न तो कामगारों के हितों की परवाह है और न ही रैयतों के अधिकारों की. इस मुद्दे पर यहां के सांसद और विधायक भी अघोषित रुप से निजी कंपनियों के पक्ष में ही खड़े रहते हैं. 
मोदी सरकार द्वारा कोयला उधोग का निजीकरण  किए जाने की दिशा में कदम उठाते हुए कार्पोरेट घरानों को कोल ब्लाकों की नीलामी के माध्यम से कोयला खनन के लिए यहां कोल ब्लाक आवंटित किए गए. इसलिए कंपनियों द्वारा जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है. सरकारी क्षेत्र की कोयला कंपनी ईसीएल ने भी किसानों की अधिग्रहण की गई जमीन का मुआवजा, पुनर्वास और नौकरी दिए जाने का सैकड़ों मामला लंबित रखा है. ईसीएल प्रबंधन की इस मनमानी से यहां रैयतों और प्रबंधन के बीच टकराव होता रहता है  
झारखंड के साहेबगंज जिले से गंगा नदी गुजरती है गंगा की सफाई के नाम पर केंद्र सरकार की  'नमामी गंगे' परियोजना के नाम पर करोड़ों रुपये  खर्च किए जाने के बावजूद साहेबगंज शहर के समीप गंगा नाले में तब्दील हो गयी है. एक ओर 'नमामी गंगे' परियोजना की विफलता और दूसरी ओर अडानी के गोड्डा स्थित पावर प्लांट के लिए सकरी गली में निर्मित बंदरगाह के पास से 36 एमसीएम प्रतिवर्ष यानि  10 करोड़ लीटर प्रति दिन गंगाजल का दोहन इस इलाके के लोगों के लिए खतरे की घंटी है. क्योंकि जैसे- जैसे गंगाजल का दोहन बढेगा इस इलाके में जलस्तर नीचे होता जाएगा. जिसका दुष्परिणाम यहां के लोगों को झेलना पड़ेगा. साहेबगंज जिले के बगल में अवस्थित गोड्डा जिले में गौतम अडानी का पावर प्लांट है जहां से उत्पादित एक सौ प्रतिशत  बिजली बांग्लादेश को भेजी जाती है. लेकिन यहां के लोग बिजली की अनियमित आपूर्ति को झेलते  रहते हैं. एक बड़ी समस्या यहां निजी कोयला कंपनियों द्वारा कोयले का खनन करने के बाद उसके परिवहन सेे आ रही है. आमरा पाड़ा स्थित ओपेन कोयला खानों से कोयला निकाल कर निजी कंपनियों द्वारा बड़े - बड़े हाइवा वाहनों से कोयला दुमका और पाकुड़ के डम्पिंग यार्ड तक संडक मार्ग से भेजा जाता है. कोयला के परिवहन में सैकड़ों वाहन कोयले की धुल उड़ाते हुए राजमार्ग से गुजरते हैं जिसके चलते भारी प्रदूषण हो रहा है और  कभी हरा भरा दिखने वाला यह इलाका कोयले के काले डस्ट से रोड के किनारे बसे गांवों को अपने आगोश में ले लिया है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कोयले को ढंक कर ले जाने और रास्ते में पानी का छिड़काव करने का दिशानिर्देश केवल कागजों तक सीमित रह गया है. इस  प्रदूषण के कारण यहां का  पर्यावरण संतुलन भी नष्ट होता जा रहा है. वातावरण में कोयले के महीन कणों  की मौजूदगी लोगों को सांस की बीमारी का आमंत्रण दे रहे है . इतना ही नहीं कोयला परिवहन के रूट में रोज दुघर्टनाएं होती हैं और ग्रामीण मौत के शिकार बन जाते है.अब नए खनन परियोजनाओं के लिए जंगलों को काटा जा रहा है. गोड्डा जिले के बोआरीजोर और दुमका जिला के गोपीकांदर में 550  हेक्टेयर जमीन में अवस्थित पेड़ - पौधों को काटा जा रहा है यह बात आज दुमका के सिदो - कान्हो इनडोर स्टेडियम में आयोजित संताल परगना रैयत अधिकार और विस्थापन रोको हूल मोर्चा के कंवेंशन मे मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए सीपीएम की पोलिट ब्यूरो सदस्य और पूर्व सांसद श्रीमती बृंदा कारात ने कही.
कंवेंशन की अध्यक्षता आदिवासी अधिकार मंच के सुभाष हेम्ब्रम और  मेरी हांसदा की दो सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने की. कंवेंशन को प्रसिद्ध गांधीवादी और विस्थापन विरोधी आंदोलन के नेता चिंतामणी साह,जनवादी आंदोलन के नेता प्रकाश विप्लव, पुष्कर महतो, एहतेशाम अहमद, बिटिया मांझी, अधिवक्ता शिव प्रसाद, ओम प्रकाश, प्रफुल्ल लिंडा, सनातन देहरी, के. सी. मार्डी, संतोष किस्कू, ब्रेनचिस मुर्मू, बगईचा की दीप्ती मिंज ने संबोधित किया. कंवेंशन में एक प्रस्ताव पारित कर सितंबर के अंतिम सप्ताह में आयुक्त संताल परगना के समक्ष एक धरना आयोजित किए जाने की घोषणा की गयी.