गुलाम कश्मीर भारत का अभिन्न अंग, भारत में विलय की मांग

देश की आजादी के समय गुलाम कश्मीर जम्मू कश्मीर रियासत के अंतर्गत था ।  15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली ।  566 देसी रियासतों का भारत संघ में एक-एक कर विलय  प्रारंभ हुआ । लेकिन जम्मू कश्मीर के महाराजा हरी सिंह ने भारत संघ में अपनी रियासत का विलय करने के निर्णय में थोड़ा विलंब कर दिया।

गुलाम कश्मीर भारत का अभिन्न अंग, भारत में विलय की मांग

गुलाम कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।  इस बात की पुरजोर तरीके से देश भर में चर्चा हो रही है । गुलाम कश्मीर का भारत में विलय की मांग देशभर से उठ रही है।  पांच वर्ष पूर्व जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35a हटाए जाने के बाद गुलाम कश्मीर की सही तस्वीर व स्थिति से अब देशवासी परिचित हो रहे हैं।  पाक अधिकृत कश्मीर ही गुलाम कश्मीर के नाम से जाना व पुकारा जाता है । सोशल मीडिया पर भी गुलाम कश्मीर को भारत में मिलाए जाने की मांग जोर पकड़ती जा रही है ।

72 वर्षों तक जम्मू कश्मीर ने भारत को क्या दिया ?

भारत की आजादी के बाद भी जम्मू कश्मीर भारत में रहकर भी इस देश से अलग थलग रहा था।  भारत ने क्या  - क्या  न किया था , जम्मू कश्मीर  के लिए ?  बदले में 72 वर्षों तक जम्मू कश्मीर ने क्या लौटाया ?  आतंकवाद और अशांति।  जम्मू कश्मीर के भारत संघ में विलय के समय हुई राजनीतिक भूल की कोख से गुलाम कश्मीर का जन्म हुआ था । देश की आजादी के समय गुलाम कश्मीर जम्मू कश्मीर रियासत के अंतर्गत था ।  15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली ।  566 देसी रियासतों का भारत संघ में एक-एक कर विलय  प्रारंभ हुआ । लेकिन जम्मू कश्मीर के महाराजा हरी सिंह ने भारत संघ में अपनी रियासत का विलय करने के निर्णय में थोड़ा विलंब कर दिया।  पाकिस्तान इसी बिलंब का लाभ उठाते हुए अपनी सेना और काबिलियों  को संयुक्त रूप से जम्मू कश्मीर  को हथियाने का आदेश दे दिया।  पाकिस्तान के निर्माता मोहम्मद अली जिन्ना किसी भी कीमत पर जम्मू कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना चाहते थे ।  पाकिस्तानी सेना काबिलियों संग एक योजनाबद्ध तरीके से गुलाम कश्मीर को लूटते रहे और आगे बढ़ते रहे थे । इसी दरमियान पाकिस्तानी सेना ने गुलाम कश्मीर में जबरदस्त कहर ढाया और महिलाओं के साथ सामूहिक रूप से बलात्कार तक किया था।

भारत संघ के विलय पत्र पर राजा हरि सिंह का हस्ताक्षर

धारा 370 और 35a का समर्थन करने वाले नेताओं को जम्मू कश्मीर को हथियाने के लिए किए गए कबिलियों के हमले के इतिहास को पढ़ने की जरूरत है। पाकिस्तान से हमदर्दी जताने वाले नेताओं को यह नहीं भूलना चाहिए कि यही पाकिस्तानी सेना और कबिली ने संयुक्त रूप से हमारे गुलाम कश्मीरियों पर कितना जुल्म ढाया था ।  पाकिस्तान की सेना ने हमारे कश्मीरी माताओं बहनों की अस्मत लूटी, संपदा लूटी और घरों को जला दिया।  क्या भारत ने कभी भी जबरन जम्मू कश्मीर को भारत में विलय के लिए कोई ऐसा दबाव बनाया था ?  पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर को हथियाने के लिए जैसा तांडव मचाया , इस तरह की कार्रवाई के बारे में भारत सोच भी नहीं सकता । देश की आजादी 15 अगस्त को मिली थी और पाकिस्तान का निर्माण 14 अगस्त को हुआ था।  पाकिस्तानी सेना की कबिली हमला जम्मू कश्मीर में अक्टूबर माह में हुई थी। भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर के महाराजा हरी सिंह को विचार करने के लिए पर्याप्त समय दिया भारत संघ में विलय के लिए। जब पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर पर हमला कर दिया और हमलावर कश्मीर पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़ते चले जा रहे थे, तब हरि सिंह ने भारत सरकार से जम्मू कश्मीर को बचाने के लिए गुहार लगाई और भारत संघ के विलय पत्र पर हस्ताक्षर किया। अगर महाराजा हरि सिंह और विलंब करते तो जम्मू कश्मीर के लिए बड़ा अनर्थ हो जाता।  क्योंकि तब तक पाक के हमलावर जम्मू कश्मीर एयरपोर्ट पर कब्जा जमा चुके होते। ऐसे हालात में भारतीय सेना हवाई जहाज से जम्मू कश्मीर में कैसे उतरती।  खैर ! समय पर भारतीय सेना जम्मू कश्मीर पहुंच गई और कश्मीर को एक बड़ी तबाही से बचाया।  

पाक हमलावरों ने गुलाम कश्मीर में तबाही मचाई थी

भारतीय सेना बिना समय गवाएं रणभूमि में उतर पड़ी। भारतीय सेना के पहुंचते ही पाक हमलावरों को पीछे मुड़ने को विवश होना पड़ा।  हमारे भारतीय सैनिकों ने बहुत ही बहादुरी के साथ पाक हमलावरों को पीछे धकेला।  इस युद्ध में कई भारतीय सैनिक भी शहीद हुए । यहां यह जिक्र करना जरूरी समझता हूं कि भारतीय सेना को जम्मू-कश्मीर पहुंचने में थोड़ी भी देरी होती तो पाक हमलावर कश्मीर का नक्शा ही बिगाड़ कर रख देते।  जिस पाक हमलावरों ने गुलाम कश्मीर में तबाही मचाई थी,  उससे भी बड़ी तबाही मचाने की योजना कश्मीर के लिए बनी थी। गुलाम कश्मीर को लूटने और स्थानीय स्त्रियों की अस्मत लूटने में पाक हमलावर ने चार-पांच दिन बिता दी । इन कबिलाई लड़ाकों को सिर्फ और सिर्फ जम्मू कश्मीर को हथियाना था । वहां की जीती जागती आवाम से उन्हें कुछ भी लेना देना ना था। 

इस्लाम के नाम पर कश्मीरियों को गुमराह कर गंदी राजनीति

कश्मीर के चंद पाक परस्त नेता व आवाम सहित देश के वैसे नेताओं को यह जानना जरूरी हो जाता है कि पाकिस्तान के लिए आज भी जम्मू कश्मीर एक पृथ्वी का टुकड़ा भर है । जम्मू कश्मीर की संस्कृति, रहन-सहन, पहनावा, रीति-रिवाज से पाकिस्तानी फौजों को कुछ भी लेना देना नहीं है । पाकिस्तान सिर्फ इस भूखंड पर अपना अधिकार चाहते हैं ।  बस  !  इसी की खातिर पाकिस्तान आजादी के बाद से अब तक इस्लाम के नाम पर चंद कश्मीरियों को गुमराह कर गंदी राजनीति करता चला आ रहा है। देश की आजादी के बाद  बीते 77 वर्षों में पाकिस्तान ने गुलाम कश्मीर का क्या हाल कर दिया है  ?  कहने को तो गुलाम कश्मीर में प्रधानमंत्री भी है।  अब सवाल यह उठता है कि क्या गुलाम कश्मीर के प्रधानमंत्री अपनी आवाम की भलाई व स्वतंत्रता के लिए कुछ कर सकते हैं  ?  जवाब एक ही है ।  नहीं । गुलाम कश्मीर पर पाकिस्तानी फौजों की हुकूमत है । आज भी गुलाम कश्मीर के आवाम पाकिस्तानी फौजों द्वारा सताए जा रहे हैं।

कश्मीरी घुट घुट कर जीने को विवश

गुलाम कश्मीर के नागरिक एक गुलाम देश के नागरिक के रूप में अपना जीवन बिताने को मजबूर है ।  गुलाम कश्मीर  को पाकिस्तानी हुकूमत ने आतंकवादी ट्रेनिंग केंद्र के रूप में तब्दील कर दिया है । इन आतंकवादी ट्रेनिंग केंद्र की मुक्ति की बात जब भी गुलाम कश्मीर के आवाम उठाते हैं,  उनकी आवाजें बलपूर्वक दबा दी जाती है। वहां के लोग घुट घुट कर जीवन काटने को विवश है। इतनी ज्यादातियां सहन के बावजूद भी गुलाम कश्मीर के लोग एकजुट होकर कड़े शब्दों में पाक हुकूमत का विरोध कर रहे हैं । वे  पाक की गुलामी से मुक्त होना चाहते हैं। गुलाम कश्मीर को पूरी तरह भारत में विलय करना चाहते हैं।

जान दे देंगे पर कश्मीर नहीं देंगे 

पिछले दिनों देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान पहले आतंकवाद रोके।  बातचीत होगी तो सिर्फ पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर पर।  राजनाथ सिंह की इस बात पर पाकिस्तान में बहुत ही तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। बात परमाणु युद्ध तक पहुंच गई थी। देश के गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में यहां तक कह दिया कि जान दे देंगे पर कश्मीर न देंगे । उक्त दोनों बयानों का देश वासियों ने स्वागत किया ।  अब मैं पाकिस्तानी हुकूमत से पूछना चाहता हूं कि पाक किस आधार पर गुलाम कश्मीर पर अपना अधिकार चाहता है  ?  14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान एक नए देश के रूप में विश्व के मानचित्र में जुड़ा था ।  इसके पूर्व पाकिस्तान अखंड भारत का हिस्सा था।  दोनों देशोँ के लोगों ने समान रूप से स्वाधीनता आंदोलन में भाग लिया था । तब  पाक अलग देश बनाने की कोई बात सामने नहीं आई थी। 1906  मे  मुस्लिम लीग की स्थापना के बाद मुसलमानों के लिए एक अलग देश की मांग उठी थी । उस देश का क्या भूभाग होगा  ?  इसकी कोई स्पष्ट रेखा नहीं खींची गई थी। ब्रिटिश हुकूमत ने मुस्लिम लीग की मांग को स्वीकार करते हुए अखंड भारत को दो खंडों में विभक्त होने दिया था। अंग्रेजी हुकूमत यही चाहती  रही थी । मुस्लिम लीग ने अंग्रेजों की चाहत को अमली जामा पहना दिया था।

जीतकर भी भारत को पराजय का मुंह देखना पड़ा

अखंड भारत के नक्शे में प्रारंभ से जम्मू कश्मीर का संपूर्ण क्षेत्र रहा है । इस संपूर्ण क्षेत्र के अंतर्गत पूरा गुलाम कश्मीर आता है । इसलिए भारतीय संसद ने बहुत पहले ही गुलाम कश्मीर क्षेत्र के लिए 22 विधानसभा सीटें निर्धारित कर रखा है।  क्योंकि अब जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35a हट गया है।  इसलिए भारत सरकार, गुलाम कश्मीर को भारत संघ में विलय  करने  का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।  नरेंद्र मोदी की सरकार अधुरे कार्य को पूरा  करे। इतिहासकारों के अनुसार भारत की सेना जब लाहौर तक तिरंगा फहरा चुकी थी , तब इस विजय की बेला में नेहरू जी को संयुक्त राष्ट्र संघ में जाने की क्या जरूरत थी ?  और ऊपर से सीजफायर का आदेश।  युद्ध में जीतकर भी भारत को पराजय का मुंह देखना पड़ा था।  भारत का एक बड़ा भूखंड जो पाकिस्तान के अधिकार में चला गया था, जिस पर आज देश भर में चर्चा हो रही ।  इस युद्ध में जीत के बाद तत्कालीन गृह मंत्री बल्लभ भाई पटेल के विचार के अनुसार संपूर्ण जम्मू कश्मीर का भारत में विलय होना था,  जैसा कि अन्य देसी रियासतों का भारत में विलय हुआ था।  लेकिन नेहरू जी के कारण यह संभव नहीं हो पाया था । अखंड भारत के ही  दुकड़े पाकिस्तान और बांग्लादेश से है ।

गुलाम कश्मीर का भारत संघ में विलय होने की उम्मीद 

बीते दस वर्षों  से केंद्र में एक मजबूत और दृढ़ इच्छा शक्ति वाली सरकार है । सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण ही जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35 a समाप्त हो पाया था। चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी  है । 18 वीं लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर के नागरिकों ने खुलकर मतदान किया था। जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव के बाद एक जनतांत्रिक ढंग से सरकार चुनकर आएगी। उम्मीद है कि गुलाम कश्मीर को भारत संघ में विलय के लिए सरकार आगे कदम बढ़ाएगी।