पत्नी से प्रताड़ित अतुल की आत्महत्या पर उठते सवाल
अतुल सुभाष ने अपनी जान देने से पूर्व 24 पृष्ठों के सुसाइड नोट पर पत्नी प्रताड़ना के जिन सवालों को उठाया है, हमारे सकल समाज को इस पर गंभीरता के साथ विचार करने की जरूरत है।
अंततः 34 वर्षीय अतुल सुभाष को अपनी पत्नी से प्रताड़ित होकर आत्महत्या करने के लिए विवश हो पड़ा। इस आत्महत्या की खबर ने संपूर्ण देश को महिलाओं के पक्ष में बने कानून के दुरुपयोग पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। अतुल सुभाष ने अपनी जान देने से पूर्व 24 पृष्ठों के सुसाइड नोट पर पत्नी प्रताड़ना के जिन सवालों को उठाया है, हमारे सकल समाज को इस पर गंभीरता के साथ विचार करने की जरूरत है। अतुल ने आत्महत्या करने से पूर्व 80 मिनट का जो वीडियो रिकॉर्ड किया था, देखकर और सुनकर मन सिहर जाता है। क्या कोई पुरुष अपनी पत्नी की प्रताड़ना से इतना परेशान और आतंकित भी हो सकता है ? जिस तरह अतुल ने आत्महत्या करने से पूर्व अपनी बातों को रखा है, इससे प्रतीत होता है कि उसकी जिंदगी एक नरक के सामान बन गई थी। सुसाइड नोट में अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी द्वारा प्रताड़ित किए जाने के मुद्दे को उठाते हुए सामाजिक, पारिवारिक रिश्ते, कानून और न्याय व्यवस्था की भी पोल खोलकर रख दी है।
अतुल सुभाष का कसूर सिर्फ इतना था कि 2019 में हिंदू रीति रिवाज से उसने निकिता सिंघानिया से शादी की थी। शादी के कुछ महीने बाद ही निकिता सिंघानिया ने अपना रंग दिखलाना शुरू कर दिया था। अतुल का परिवार एक सीधा-साधा परिवार है । उनके माता-पिता बड़ी मेहनत कर अतुल सुभाष को उच्च शिक्षा प्रदान कर इंजीनियर बनाया था। वह बचपन से ही एक सीधा-साधा लड़का रहा था । अतुल सुभाष बेंगलुरु में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर के रूप में कार्यरत था । उसकी पारिवारिक गृहस्थी बहुत ही अच्छी चल रही थी। लेकिन शादी के बाद उसके जीवन में एक बड़ा बदलाव आ गया था । शादी के बाद से ही रोजाना अपनी पत्नी के ताने सुन सुनकर परेशान रहने लगा था । वह कई महीने तक इस प्रयास में भी लगा रहा था कि आगे चलकर उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया का व्यवहार ठीक हो जाएगा । लेकिन ठीक होने की जगह वह और भी क्रूर होती चली गई ।
अतुल का सुसाइड नोट पढ़ने के बाद यह प्रतीत होता है कि अतुल एक सीधा-साधा व होनहार लड़का था । वह अपने परिवार के साथ हंसी-खुशी जीवन व्यतीत करना चाहता था। लेकिन शादी के बाद उसकी इस इच्छा पर पानी फिर गया । शादी के एक साल बाद उसे एक पुत्र रत्न की भी प्राप्ति हुई । तब अतुल में एक उम्मीद जग सी गई थी कि बेटा होने के बाद निकिता के व्यवहार में सुधार आ जाएगा । लेकिन, इसके उल्टे निकिता के व्यवहार में कोई फर्क नहीं पड़ा । अतुल को हमेशा निकिता का ताना सुनना ही पड़ता था। इसके साथ ही निकिता की मां , पिता और भाइयों की भी धमकी सुननी पड़ती थी ।
अतुल अपने वैवाहिक रिश्ते को बचाने का हर संभव प्रयास किया था। लेकिन रिश्ता बनने की जगह बिगड़ता चला गया । आखिर वह किस किससे फरियाद करता ? उसने अपने माता-पिता, मित्रों और समाज के लोगों को भी अपनी पीड़ा से अवगत कराया था। उनके माता-पिता, समाज के लोग और रिश्तेदारों ने भी अतुल और निकिता सिंघानिया के रिश्ते को मधुर बनाने का पारिवारिक रूप से हर प्रयास भी किया था। लेकिन सभी प्रयास असफल रहे थे । इसी दौरान अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया ने क्रमवार नौ मुकदमे उसके ऊपर दर्ज कर दिया। इन मुकदमों में दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा यहां तक कि एटेंप्ट टू मर्डर जैसी संगीन धाराएं शामिल थीं । अतुल एक निजी कंपनी में बतौर एक इंजीनियर के तौर पर काम कर रहा था । उसे प्रति दिन समय पर ऑफिस जाना होता था। समय से ऑफिस आना और ऊपर से नौ मुकदमें में उसे हाजिरी भी देना पड़ता था। ऐसी स्थिति में वह अपना ऑफिस का काम करें या मुकदमें से निपटाए। उसने न्यायालय में अपने वकील के माध्यम से अपनी बातों को रखने का पुरजोर प्रयास भी किया था। लेकिन हर जगह उसे निराशा ही हाथ लगी थी ।
जब उसका मुकदमा फैमिली कोर्ट में चल रहा था । तब फैमिली कोर्ट की एक जज रीता कौशिक ने उनसे सेटलमेंट करवाने के नाम पर पांच लाख रुपए तक की मांग की थी कि। भारत सरकार ने समाज में पति-पत्नी के बीच बढ़ते तलाक और बढ़ती दूरियों को देखकर लोगों को तुरंत न्याय मिले फैमिली कोर्ट का स्थापना किया गया था। ताकि फैमिली कोर्ट में जल्द से जल्द पति-पत्नी के बीच चल रहे मुकदमों का निपटारा हो सके। लेकिन फैमिली कोर्ट भी रिश्वतखोरी मुक्त नहीं रहा । ऐसे में कैसे एक प्रताड़ित पुरुष को न्याय मिल सकता है ?
अतुल सुभाष ने जिन परिस्थितियों में आत्महत्या की है । उसकी प्रताड़ना को समझने की जरूरत है। अतुल सुभाष एक पढ़ा लिखा नौजवान था। वह बड़ी लगन और मेहनत से इंजीनियर बना था । उसके अपने भी सपने थे । लेकिन शादी के बाद उसके सारे सपने चकनाचूर हो जाते हैं । इस देश में अतुल सुभाष ही अकेला नहीं है बल्कि अतुल जैसे लाखों शादीशुदा पुरुष रोजाना अपनी पत्नियों के द्वारा प्रताड़ित किए जा रहे हैं । लेकिन कोई मुखर होकर अपनी बातों को रखा नहीं रहा है। बहुत सारे पुरुष लाजवस समाज और परिवार के सामने नहीं आ पाते हैं । और प्रताड़ित होते रहते हैं ।
मैं यह कतई नहीं कहता हूं कि किसी भी समस्या का समाधान आत्महत्या है । अतुल सुभाष द्वारा की गई आत्महत्या भी उचित नहीं है। आत्महत्या एक आपराधिक कृत्य है । अतुल सुभाष ने जो आत्महत्या की, यह पलायन है। वह थोड़ा धैर्य रखता। उस पर जो नौ मुकदमे दर्ज थे। अपने वकील के माध्यम से अपनी स्थिति बातों को रखता। मैं समझता हूं कि चार-पांच वर्षों के बाद ही सारे मुकदमे समाप्त हो जातें। इसके बाद वह विधिवत निकिता सिंघानिया से तलाक लेकर अलग हो जाता। अगर उनका मन होता फिर से गृहस्थी बेसन की, तब शादी करते। अगर उसका मन गृहस्थी बसाने की नहीं होती तो कुंवारे रहकर भी पूरा जीवन जी सकते थे ।
अब सवाल यह खड़ा होता है कि अतुल सुभाष ने जिन परिस्थितियों में आत्महत्या किया, उसके गुनहगारों पर समाज मौन क्यों हैं ? सर्वविदित है कि लड़कियों को भारत में पुरुष के समान बराबरी दर्जा दिया जा रहा है। लड़कियां, पुरुषों के समक्ष आगे बढ़ रही हैं। अतुल को जिस रूप में प्रताड़ित किया गया, अगर निकिता को इस रूप में प्रताड़ित किया जाता, तब परिस्थितियां कुछ और होती। हमारा समाज संयुक्त परिवार से एकल परिवार में तब्दील होता चला जा रहा है। एकल परिवार में रहकर हम सब अपने बच्चों को उच्च शिक्षा जरूर दे रहे हैं, लेकिन संयुक्त परिवार में बच्चें अपने दादा-दादी, चाचा - चाची एवं अन्य रिश्तेदारों से पारिवारिक जिम्मेदारियों की जो सीख लेते थें ,आज बच्चें उससे दूर होते चले जा रहे हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि लड़का हो या लड़की आगे चलकर उनके ही कंधों पर जब घर की जवाबदेही आ जाती है, तब वे इस पारिवारिक सिख अंजान रहते हैं। यही निकिता सिंघानिया बन जाती हैं। और अतुल सुभाष जैसे सीधे-साधे युवक को आत्महत्या करने के लिए विवश हो जाना पड़ता है ।
पहले शादियां कम उम्र में होती थी। लेकिन दोनों परिवारों के रजामंदी से होती थी । ऐसी शादियां लगभग सफल होती थी । लेकिन आज अधिकांश साध्य असफल हो रही है। अगर पति-पत्नी एक दूसरे को समझ लेते हैं, तब शादी टिक पाती है । वहीं दूसरी ओर यह भी सवाल खड़ा होता है कि महिलाओं के पक्ष में देश में कई कानून बने हुए हैं। समय-समय पर इन कानूनों को और भी कठोर बनाया जाता रहता है। लेकिन निकिता सिंघानिया जैसी बहुएं इन कानूनों का दुरुपयोग अपने पक्ष में करती हैं । न्यायालय में इन कानूनों का उसे लाभ भी मिल जाता है । वहीं आज की बदली परिस्थिति में पुरुष प्रताड़ित हो रहें हैं । स्त्री द्वारा पुरुष प्रताड़ना से संबंधित कोई विशेष कानून भी अस्तित्व में नहीं है । हमारे सकल समाज को इस पर विचार करने की जरूरत है। खासकर न्याय सेवा से जुड़े और देश की संसद को इन कानूनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए भी प्रावधान लाना चाहिए ।
अतुल ने अपने सुसाइड नोट के अंतिम पैरा में दर्ज किया कि उनकी पत्नी मुकदमा उठाने के बदले तीन करोड रुपए तक की मांग की थी । इससे प्रतीत होता है कि निकिता सिंघानिया कितनी क्रूर और लालची थी। वह अतुल सुभाष से मुकदमा उठाने के लिए पैसे मांग रही थी । जबकि दूसरी ओर निकिता सिंघानिया ने अतुल सुभाष पर दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज की थी । अतुल सुभाष की आत्महत्या से उठते सवालों पर सकल समाज, भारत सरकार और न्याय व्यवस्था को इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में अतुल सुभाष जैसे किसी युवक को आत्महत्या करने के लिए विवश न होना पड़े ।