भारतीय सभ्यता और संस्कृति की गौरवशाली परंपरा है रक्षाबंधन

श्रावण पूर्णिमा पर विशेष: 

भारतीय सभ्यता और संस्कृति की गौरवशाली परंपरा है रक्षाबंधन

रक्षाबंधन, जिसे राखी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो भाई-बहन के रिश्ते की भावना को दर्शाता  है। यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, और भाई अपनी बहनों को सुरक्षा का वादा करते हैं और उन्हें उपहार देते हैं।
इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इसके बदले में भाई बहन को सुरक्षा का आश्वासन देते हैं और उपहार देते हैं।
इस त्योहार का सांस्कृतिक महत्व गहरा है। यह रिश्तों की मजबूती, परिवारिक स्नेह, और सामाजिक एकता को प्रोत्साहित करता है। रक्षाबंधन न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मान्यता देता है, बल्कि यह पूरे परिवार और समाज में प्यार और सामंजस्य को बढ़ावा देता है। यह त्योहार भारतीय परंपरा और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।
रक्षाबंधन का इतिहास प्राचीन है और इसे कई पौराणिक कथाओं से जोड़ा जाता है। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब देवताओं और दैत्यों के बीच युद्ध चल रहा था, भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की राखी को बचाने के लिए उनका सम्मान किया। इसके अतिरिक्त रक्षाबंधन का महत्व सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बड़ा है। यह भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है और परिवार में प्रेम और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है।
समकालीन समय में रक्षाबंधन केवल पारंपरिक रिश्तों तक सीमित नहीं है। यह त्यौहार अब दोस्तों और समाज के अन्य सदस्यों के बीच भी मनाया जाता है। यह एक अवसर है जो न केवल भाई-बहन के रिश्ते को, बल्कि समाज के विविध रिश्तों को भी मजबूत करता है।