राष्ट्रवाद के प्रखर संवाहक नरेंद्र मोदी का जीवन त्याग और समर्पण से ओतप्रोत 

देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अब तक के सफर को देखकर यह बात कही जा सकती है कि  उनका जन्म सिर्फ और सिर्फ देश की सेवा करने के लिए हुआ है।

राष्ट्रवाद के प्रखर संवाहक नरेंद्र मोदी का जीवन त्याग और समर्पण से ओतप्रोत 

राष्ट्रवाद के प्रखर संवाहक  नरेंद्र मोदी का जीवन त्याग और समर्पण से बहुत ओतप्रोत है । उनका जन्म देश की सेवा और भारत की खोई पहचान को  वैश्विक स्तर पर फिर से प्रतिष्ठित करने के लिए हुआ है। उन्होंने जब से होश संभाला राष्ट्र सेवा ही उनके जीवन का एक मकसद रहा है । सक्रिय राजनीति में आने से पूर्व उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं संघ के एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर प्रचारक तक  के सफर  में जो काम किया, अपने आप में एक रिकॉर्ड है। राष्ट्र के प्रति उनकी निष्ठा देखते बनती है।  उन्होंने एक सौ चालीस करोड़ देशवासियों को एक परिवार कहकर राष्ट्रवाद की गांठ को और भी मजबूती के साथ बांधने का सार्थक प्रयास किया है।  विपरीत परिस्थितियों में भी देश की एक एकता और अखंडता बाधित न हो, इस पर उन्होंने विशेष रूप से जोर दिया है। उन्होंने बार-बार देशवासियों को सावधान रहने को भी कहा है कि एक वैश्विक साजिश के तहत देश की एकता और अखंडता को तोड़ने की कोशिश भी की जा रही है। उन्होंने बेहतर सूझबूझ के साथ इस विदेशी साजिश को नाकाम कर एक सफल प्रधानमंत्री होने का परिचय भी दिया है। उन्होंने  राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खात्मे के लिए जो संकल्प दोहराया है, आज विश्व के तमाम बड़े नेता उसे संकल्प के साथ  हैं। यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि के समान है।

विलक्षण एकाग्रता के धनी 

देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अब तक के सफर को देखकर यह बात कही जा सकती है कि  उनका जन्म सिर्फ और सिर्फ देश की सेवा करने के लिए हुआ है। नरेंद्र मोदी बाल कल से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। वे काम के समय सिर्फ काम किया करते थे। वे पढ़ने के समय सिर्फ पढ़ाई किया करते थे। उनका खेलने के समय पूरा ध्यान खेल पर होता था। उन्होंने काम को कभी भी छोटा अथवा बड़ा नहीं माना। उन्होंने काम को बस काम  माना । उन्होंने किसी भी काम को  दिल लगाकर किया । उन्होंने एकांत में  परम सत्ता पर ही ध्यान केंद्रित किया। इसी का प्रतिफल है कि वे चाय बेचते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंच पाए हैं। सच्चे अर्थों में उनके जीवन से समस्त देशवासियों को सीख लेने की जरूरत है। उनका व्यक्तित्व और कृतित्व दोनों बेमिसाल है।

अल्पायु में ही संगठन से जुड़े 

उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा गुजरात में ही पूरी की। उनका आठ साल की उम्र में  आर एस एस से परिचय हुआ था। एक बाल स्वयं सेवक के रूप में उन्होंने कई महत्वपूर्ण कामों को निष्पादित किया।  राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखा में उन्हें बहुत ही मन लगता था। वे बहुत ही कम उम्र में एक निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हुए थे। बाद के कालखंड में वे 1971 में गुजरात में संगठन के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। आर एस एस ने उन्हें 1985 में भाजपा की ओर अग्रसर किया। उन्होंने इस रूपांतरण आदेश को सहर्ष स्वीकार किया।

2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने 

उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में प्रवेश एक साधारण सदस्य के रूप में किया।वे पार्टी के  पदानुक्रम में ऊपर उठे और 1998 में महासचिव बने। उन्होंने सोलह  वर्षों तक गुजरात की राजनीति में सक्रिय भूमिका अदा की। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के  संगठन को पूरे प्रदेश में मजबूती के साथ स्थापित किया।  फलस्वरुप 2001 में गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत प्राप्त हुआ।  नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री नियुक्त किए गए। इसके बाद ही वे विधान सभा के लिए चुने गए।  

गुजरात को वैश्विक तौर पर नई पहचान दिलाई 

नरेंद्र मोदी 2001 से लेकर 2014 तक लगातार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने चार बार विधानसभा चुनावों में पार्टी को प्रचंड बहुमत दिलवाया। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए राष्ट्रीय स्तर पर उनकी लोकप्रियता काफी बढ़ती चली गई थी। वे देश के सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री रूप में जाना-जाने लगें। इन चौदह वर्षों के दौरान राज्य का बजट लगभग पांच गुणा अधिक बढ़ गया था। यह सूचकांक देश के अन्य प्रदेशों की तुलना में काफी अधिक था।  मुख्यमंत्री के रूप में उनकी नीतियों को आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने का श्रेय दिया गया। उनके प्रशासन की राज्य में स्वास्थ्य, गरीबी और शिक्षा सूचकांकों में उल्लेखनीय सुधार हुआ। लेकिन इतना कुछ राज्य के लिए करने के बावजूद विपक्ष की आलोचना से बच नहीं पाए। उन पर विपक्ष द्वारा राज्य के विकास की विफलता का आरोप बार-बार लगता ही रहा था। वे विपक्ष के तमाम आरोपों को सहर्ष स्वीकार कर विकास की दिशा में आगे बढ़ते रहे थे।  

गुजरात दंगा का आरोप लगा 

2002 के गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी के प्रशासन की भी संलिप्तता का भी आरोप उन पर लगा। उन्होंने अपनी ओर से इस दंगा को रोकने का बहुत प्रयास किया, लेकिन दंगा होकर ही रहा । इस दंगा में  आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार एक हजार से अधिक लोग मारे गए थे।‌ नरेंद्र मोदी के विरुद्ध इस दंगा में उनके  प्रशासन की संलिप्तता को लेकर लंबे समय तक मुकदमा चला।  उन्होंने इस मुकदमा का सामना बहुत ही स्पष्टता के साथ किया। फलस्वरुप सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें निर्दोष करार दिया। 

पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी  

गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी की गिनती अब एक राष्ट्रीय स्तर के नेता के रूप में होने लगा था। देश भर के भाजपा के कार्यकर्ताओं सहित करोड़ों देशवासियों की ओर से यह मांग उठी थी कि नरेंद्र मोदी को देश का अगला प्रधानमंत्री घोषित किया जाए । और यह मांग सच भी साबित हुआ। भारतीय जनता पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा । इस चुनाव में भाजपा को अप्रत्याशित सफलता मिली । 1984 के बाद किसी पार्टी के लिए पहला अवसर था । इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पर्याप्त बहुमत होने के बावजूद जनतांत्रिक गठबंधन धर्म का पालन करते हुए केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ । नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बन गए।

बतौर प्रधानमंत्री कई अहम फैसले लिए 

नरेंद्र मोदी प्रशासन ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाया और स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सामाजिक-कल्याण कार्यक्रमों पर खर्च कम किया। मोदी ने एक हाई-प्रोफाइल स्वच्छता अभियान शुरू किया और पर्यावरण और श्रम कानूनों को कमजोर या समाप्त कर दिया। 2016 में उनके द्वारा बैंक नोटों का विमुद्रीकरण और 2017 में माल और सेवा कर की शुरुआत ने विवाद को जन्म दिया। मोदी के प्रशासन ने पाकिस्तान में एक कथित आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर के खिलाफ 2019 बालाकोट हवाई हमला किया। इस हवाई हमले में कई आतंकवादी शिविरों को ध्वस्त कर दिया गया। एक तरह से आतंकवाद के खिलाफ भारत की एक बड़ी कार्रवाई थी। लेकिन विपक्ष ने आतंकवाद के विरुद्ध मोदी प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई की जबरदस्त आलोचना की थी। पाकिस्तान द्वारा भारत के विरुद्ध की जा रही आतंकवादी कार्रवाई पर नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जबरदस्त ढंग से आलोचना की।  उन्होंने पाकिस्तान को एक आतंकवादी मुल्क घोषित करने का सफल प्रयास किया। आज दुनिया के देश पाकिस्तान को एक आतंकवादी मुल्क मानने लगे हैं।

विवादास्पद कृषि कानूनों के कारण किसानों का विरोध 

विपक्ष द्वारा लोकसभा में मोदी प्रशासन को एक असफल प्रशासन बताने का पुरजोर  प्रयास किया जाता रहा,  जिस कारण लोकसभा काफी हद तक बाधित भी होती रही । इन तमाम प्रतिरोधों के बावजूद 2019 के आम चुनाव में एनडीए ने जीत हासिल की । मोदी प्रशासन के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के कारण देश भर में किसानों ने धरना दिया । किसानों का यह  धरना लंबे समय तक चला।  अंततः मोदी प्रशासन को कृषि कानूनों को औपचारिक रूप से निरस्त करना पड़ा। 

नासूर बन चुके धारा 370 और 35ए को निरस्त किया 

देश की आजादी के बाद जम्मू कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग जरूर था, लेकिन यह प्रांत दो विधान और दो निशान से जुड़ा हुआ था।  मोदी सरकार ने इस दो विधान और दो निशान को राज्यसभा और लोकसभा में एक बिल द्वारा निरस्त कर दिया।  यह कार्य बरसों पूर्व हो जाना चाहिए था। लेकिन नहीं हो पाया था। मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर धारा 370 और 35 ए को खत्म कर अद्वितीय साहस का परिचय दिया।

कोविड काल में भी अर्थव्यवस्था को गिरने नहीं दिया 

2019 में मोदी ने वैश्विक महामारी   कोविड के दौरान जो साहस और बुद्धिमत्ता का परिचय दिया सदा स्मरणीय रहेगा । उन्होंने कोविड से कम से कम जन की हानि हो, राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवा को दुरुस्त किया। उन्होंने देश की प्रांत सरकारों से बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा आम जनता को देने की पेशकश की।  इसका असर यह हुआ कि जिस रफ्तार में कोविड भारत में फैलता चला जा रहा था, उसकी गति धीमी हुई। इस दौरान देश बंद था,  लेकिन देश की अर्थव्यवस्था को मोदी प्रशासन ने गिरने नहीं दिया । देश में घर से काम करने की एक नई प्रथा की शुरुआत हुई। देशवासियों का मनोबल गिरे नहीं, इस  निमित्त नरेंद्र मोदी समय-समय पर देशवासियों को संबोधित भी करते रहे।

आतंकवाद के ख़िलाफ़ ऑपरेशन सिंदूर 

2024 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार देश की जनता ने पुनः एनडीए पर अपना विश्वास जताया।  मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की हत्या के विरुद्ध मोदी सरकार ने पाकिस्तान के विरुद्ध ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाई कर आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने की दिशा में सफल प्रयास किया।