वैचारिक भारत-अध्यात्मिक भारत:-अनंतधीश अमन

वैचारिक भारत-अध्यात्मिक भारत:-अनंतधीश अमन

गया । विश्व के लिए युगों-युगों से भारत एक अध्यात्मिक-वैचारिक अनुसंधान केन्द्र रहा है यहीं कारण है जो पंथ धर्म विचार दूसरें देशों में समाप्त होते चले गए वह भी भारत में फलीभूत हुआ और उन्हें सरंक्षण प्रदान हुआ। इसका मूल जड़ भारत के लोगों में तप, त्याग, दान, सहनशीलता, क्षमा, सेवा सात्विक विचार और भक्ति भाव जैसे अनमोल धरोहर होने के कारण ऐसा हुआ। भले हम अंतस के इन गुणों से अपरिचित रहे किंतु हमारे पूर्वजों के द्वारा यह हम तक पहुंचा है और यही कारण है कि विश्व जब भी संकट और विपरीत परिस्थितियों में होता है विश्व हमारी और राह ताकता है। स्वामी विवेकानंद से भक्ति वेदांत प्रभुपाद तक के यात्रा को जब भी मैं पढता हूँ उनके कार्यों को देखता हूँ अनुभव करता हूँ तो मैं यह पाता हूँ कि सात्विक विचार और भक्ति भाव हममें प्रबल है जिस कारण से इस भौतिकतावादी संसार में भी आज भी हम अध्यात्मिक रुप में संबल है जो हमारे पूर्वजों ने विरासत स्वरुप में भेंट किया है। यह एक संयोग भी और शाश्वत सत्य भी है की हम उस विरासत को आज भी दोनों रुप में परिचित और अपरिचित रुप में लेकर चल रहे है। हाँ मेरे विचार से कुछ लोग असहमत भी हो सकते है किंतु जब वो अपने अंतस में झांक कर देखेंगे तो इन बातों से वह भी सहमत होंगे ऐसा मेरा विश्वास है। यह गौरवान्वित होने का विषय है तो उससे भी कहीं ज्यादा संकल्पित होने का विषय है, अपने अंतस के इस धरोहर का सरंक्षण करने हेतु।