‘गांधी के विचार और हमारा समाज’ विषय पर गोष्ठी का आयोजन

गांधी के विचार सदा विश्व के मार्ग प्रशस्त करतें रहेंगे - विजय केसरी

‘गांधी के विचार और हमारा समाज’ विषय पर गोष्ठी का आयोजन

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 76 वीं पुण्यतिथि पर स्वर्ण जयंती पार्क में सागर भक्ति संगम के तत्वावधान में ‘गांधी के विचार और हमारा समाज’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। गांधी के मन पसंद भजन ‘रघुपति राघव राजा राम’ सामुहिक गायन से विचार गोष्ठी का शुभारंभ हुआ।

संगम के संयोजक विजय केसरी ने कहा कि गांधी के विचार सदा विश्व के मार्ग प्रशस्त करते रहेंगे। आज की बदली परिस्थिति से मुकाबला करने के लिए विश्व समाज को गांधी के विचारों को आत्मसात करना चाहिए। गांधी का सत्याग्रह का विचार एक ऐसा मार्ग है, जो बड़े से बड़े संघर्ष को एक सही मार्ग प्रशस्त कर सकता है। इस बात को आज दुनिया भी मान रही है, बस जरूरत है उस मार्ग पर चलने की।

शिक्षाविद विरेन्द्र जायसवाल ने कहा कि- “गांधी की राजनीति सत्य और अहिंसा पर आधारित रही थी। वे अपने बाद किसी वाद को नहीं चलाना चाहते थे। उनकी राम राज्य की कल्पना आज भी अधूरी है। वे समाज में व्याप्त कुरीति और जातिवाद को जड़ से समाप्त कर देना चाहते थे। उन्होंने कम से कम वस्त्र धारण कर एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया था।

पूर्व कार्यपालक अभियंता शंभू शरण सिन्हा ने कहा कि जब गांधी की हत्या हुई थी, मेरी उम्र आठ साल की थी । हर ओर गांधी की निर्मम हत्या की चर्चा हो रही थी । घर परिवार के लोग दुख प्रकट कर रहे थे ।आज उनकी पुण्यतिथि पर गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का जो मार्ग दिखाया, एक संकल्प के साथ उस मार्ग पर चलने की जरूरत है।

लायंस क्लब ऑफ़ हज़ारीबाग़ के पूर्व संस्थापक सदस्य सतीश होर्रा ने कहा कि गांधी जी का व्यक्तित्व और कृतित्व दोनों बेमिसाल है। वे सच्चे अर्थों में विश्व को सत्य और अहिंसा का एक नूतन मूल मंत्र दिया था, अगर विश्व उनके बताएं मार्ग पर चला होता तो आज विश्व बारूद की ढेर पर खड़ा नहीं होता।

पूर्व प्राचार्या बीना अखौरी ने कहा कि गांधी के विचार उनके जीवन काल में जितना प्रासंगिक थे, आज भी उनके विचार उतने ही प्रासंगिक है। उन्होंने संपूर्ण विश्व मानव कल्याण के लिए सत्य और अहिंसा का विचार दिया था। उनके विचार “वसुधैव कुटुंबकम” से ओतप्रोत हैं।

व्यवसायी सह समाजसेवी सुरेंद्र गुप्ता ने कहा कि गांधी का संपूर्ण जीवन त्याग और बलिदान से ओतप्रोत है। देशवासियों की गरीबी और कम वस्त्र धारण करने के कारण ही गांधी जी ने सिर्फ ढाई मीटर वस्त्र से अपना पूरा जीवन निभा दिया था।

व्यवसायी सह समाजसेवी जयप्रकाश गुप्ता ने कहा कि गांधी के जीवन से हम सबों को सत्य और अहिंसा का पाठ सीखना चाहिए। गांधी का जीवन साधारण होकर भी असाधारण था। उन्होंने स्वाधीनता संग्राम के दौरान सत्य और हिंसा का प्रयोग किया था। यह विश्व इतिहास का पहला ऐसा संग्राम था जो, सत्य और अहिंसा पर आधारित था।

इन वक्ताओं के अजीत गुप्ता,संजय खत्री, अशोक प्रसाद, प्रकाश विश्वकर्मा, कृष्णा गुप्ता, उमेश केसरी, सुरेश मिस्त्री आदि ने भी अपने- अपने विचार रखे। सभा का संचालन अजीत गुप्ता एवं धन्यवाद ज्ञापन सुरेंद्र गुप्ता ने किया। आयोजित कार्यक्रम में काफी संख्या में नगर के गणमान्य लोग सम्मिलित हुए।