इलेक्टो होमियोपैथी की राजस्थान के तर्ज पर बिहार में भी मान्यता के लिए दिया गया ज्ञापन
राणा इलेक्ट्रो होम्योपैथिक कॉलेज सह अस्पताल लखीबाग, मानपुर गया के प्राचार्य डॉक्टर राणा प्रताप शर्मा ने इलेक्ट्रो होम्योपैथी की राजस्थान के तर्ज पर बिहार में भी सरकारी मान्यता देने हेतु
गया । राणा इलेक्ट्रो होम्योपैथिक कॉलेज सह अस्पताल लखीबाग, मानपुर गया के प्राचार्य डॉक्टर राणा प्रताप शर्मा ने इलेक्ट्रो होम्योपैथी की राजस्थान के तर्ज पर बिहार में भी सरकारी मान्यता देने हेतु केंद्र सरकार के साथ-साथ बिहार सरकार से मांग करते हुए केंद्रीय मंत्री श्री जीतन राम मांझी, डॉक्टर सुरेंद्र प्रसाद यादव सांसद जहानाबाद, श्री अभय कुमार कुशवाहा सांसद औरंगाबाद, डॉक्टर प्रेम कुमार सहकारिता मंत्री बिहार सरकार, श्री मंगल पाण्डेय स्वास्थ्य मंत्री बिहार सरकार, श्री नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बिहार, श्री नीतीश मिश्रा प्रभारी मंत्री गया जिला एवं श्री तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष बिहार विधानसभा को ज्ञापन दिया । उक्त ज्ञापन में उन्होंने बतलाया है कि इटली के वैज्ञानिक काउंट सीजर मैटी द्वारा 1865 ईस्वी में आविष्कृत विषहीन, हानिरहित, विशुद्ध हर्बल इलेक्ट्रो होम्योपैथी को 22 जनवरी 2015 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली से स्वतंत्र पैथी के रूप में मान्यता मिली तथा चिकित्सा, शिक्षा एवं अनुसंधान का अधिकार देते हुए केंद्र सरकार को निर्देश दिया गया । केंद्र सरकार इसकी मान्यता एवं सर्वेक्षण के लिए IDC समिति का गठन किया तथा सभी राज्यों को नियम बनाने का निर्देश दिया। जिसके तहत राजस्थान में इलेक्ट्रो होम्योपैथिक अधिनियम 2018 पारित करके अन्य पैथियों की तरह अलग विभाग स्थापित करते हुए निबंधक बहाल किया गया और आयुष में इसे शामिल करके डिग्रीधारी चिकित्सकों की नियुक्ति हेतु पैनल बन गया है।जुलाई 2024 में केंद्र सरकार राजस्थान में इलेक्ट्रो होम्योपैथी के विकास के लिए 5 करोड रुपए का अनुदान राशि निर्गत किया। गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में भी कार्य प्रगति पर है लेकिन बिहार में इस आधुनिकतम चिकित्सा प्रणाली के लिए अभी तक कोई पहल शुरू ही नहीं हुआ है जबकि बिहार में भी कई हजार इलेक्ट्रो होम्योपैथिक डिग्री धारी चिकित्सा कार्य कर रहे हैं । इसकी पढ़ाई के लिए इंस्टीट्यूट आफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी ऑफ इंडिया से संबद्ध गया शहर के मानपुर में राणा इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल संचालित है जहां दो वर्षीय D.E.M.S , 4 वर्षीय B.E.M.S और उसके बाद दो वर्षीय M.D.E.H की पढ़ाई के साथ-साथ चिकित्सा कार्य हो रहा है और योग्यता प्राप्त करके लोग पीड़ित मानवों की सेवा कर रहे हैं। उक्त कॉलेज सह अस्पताल की और से प्रत्येक वर्ष स्थानीय जिला प्रशासन की अनुमति से विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला में 15 दिनों के लिए तथा जिले के विभिन्न प्रखंडों में भी निःशुल्क चिकित्सा शिविर के माध्यम से रोगियों का इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवाओं से इलाज किया जाता है, इस सहज, सुलभ,विषहीन, हानिरहित विशुद्ध हर्बल आधुनिकतम चिकित्सा पद्धति में कुल 115 पौधों से गुणधर्म समानता के आधार पर एक साथ कई पौधों के आवश्यक भागों को मिलाकर शीतासब विधि से आसवित जल के साथ संधान करके कुल 38 दावों का निर्माण किया गया है जिससे सभी बीमारियों का इलाज संभव है लेकिन सरकारी मान्यता के अभाव में आम जनता में भी इसकी जानकारी बहुत कम है तथा आर्थिक सहयोग के बिना इस पैथी का समुचित विकास नहीं हो पा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार के कंपनी एक्ट 1956 एवं नीति आयोग से निबंधित इंस्टिट्यूट ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी ऑफ़ इंडिया सर्वोत्तम रूप से पूरे देश में करीब 106 कॉलेजों का संबद्धता देखकर विधिवत परीक्षा के बाद प्रमाण पत्र एवं निबंधन प्रदान कर रही है उन्ही कॉलेज में राणा इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, मानपुर,गया का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है जहां से इस वर्ष 12 छात्र-छात्राएं 90% से अधिक अंक प्राप्त करके विशेष उपाधि के लिए चयनित हुए हैं जिन्हें नवंबर में होने वाले दीक्षांत समारोह में लखनऊ में सम्मानित किया जाएगा।