ठंड में सर्दी और प्रदूषण से अपने बच्चों को ऐसे बचाएं
सर्दी के मौसम में शरीर की अधिकांश ऊर्जा का उपयोग शरीर का तापमान संतुलित बनाए रखने में ही खर्च हो जाता है। नतीजन, शरीर प्रतिरक्षा प्रणाली पर उतना ध्यान नहीं दे पाता और रोगों से लड़ने की क्षमता घट जाती है। इसके अलावा, सर्दी विभिन्न रोगाणुओं और वायरस के संक्रमण को बढ़ाने वाला मौसम है। यही कारण है कि बच्चे अक्सर बीमार पढ़ते रहते हैं।
सर्दी के मौसम में शरीर की अधिकांश ऊर्जा का उपयोग शरीर का तापमान संतुलित बनाए रखने में ही खर्च हो जाता है। नतीजन, शरीर प्रतिरक्षा प्रणाली पर उतना ध्यान नहीं दे पाता और रोगों से लड़ने की क्षमता घट जाती है। इसके अलावा, सर्दी विभिन्न रोगाणुओं और वायरस के संक्रमण को बढ़ाने वाला मौसम है। यही कारण है कि बच्चे अक्सर बीमार पढ़ते रहते हैं।
किसी भी नवजात शिशु के लिए सर्दी का पहला मौसम चुनौती भरा रहता है। ठंड के साथ ही प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। सोचिए, दिल्ली जैसी जहरीली हवा ने स्वस्थ्य इन्सानों का जीना मुश्किल कर रखा है तो मासूम बच्चों को पर तो क्या गुजरती होगी। इसलिए नवजात बच्चों को ठंड और प्रदूषण, दोनों से समान रूप से बचाव करना जरूरी है। बचाव का तरीका यही है कि उनकी देखभाल में कोई कमी न रखी जाए।
बच्चे के शरीर की देखभाल को पांच हिस्सों में बांटा जा सकता है- त्वचा, आंख, कान, मुंह, नाभी और गुप्तांग। सबसे महत्वपूर्ण होती है त्वचा की देखभाल। बच्चा जितना प्री-मैच्योर होता है, उसकी त्वचा उतनी ही उतना पतली और कोमल होती है होगी। त्वचा में ही सबसे पहले इन्फेक्शन होता है जो अन्य अंगों में फैलता है।
सर्दी में बच्चों को होने वाली बीमारियां और लक्षण
– गले में इन्फेक्शन इन्फ्लुएंजा और ब्रोंकियोलाइटिस के कारण होता है
– सांस की समस्या। कई बार साधारण खांसी से सांस लेने में की गंभीर समस्या पैदा हो सकती है। बच्चे की खांसी दूर न हो और उल्टी भी आए तो तत्काल इलाज करवाएं।
– सांस लेते समय खर-खर की आवाज हो तो यह फेफड़ों का इन्फेक्शन हो सकता है। इसके कारण बच्चों को सीने में दर्द भी होता है।
– नाक लगातार बहती रहे, बुखार बना रहे और बच्चा सुस्त महसूस हो तो भी बिना देरी डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
बरतें सावधानियां :
– घर को गर्म रखने की कोशिश करें। तापमान में ज्यादा गिरावट आए तो बिजली से चलने वाले उपकरणों का इस्तेमाल कर सकते हैं। बच्चे के पास लकड़ी या अन्य कोई चीज न जलाएं। इसका धुआं उसे बीमार कर सकता है।
– बच्चों की त्वचा संवेदनशील होती है और विभिन्न वायरस भी त्वचा पर ही पनपते हैं। इसलिए बच्चों की त्वचा ठीक से साफ करें। डॉक्टर की सलाह के अनुसार मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे हल्के हाथों से लगाएंगे तो त्वचा नरम रहेगी।
– त्वचा का को ख्याल रखना जरूरी है, लेकिन इस पर ढेर सारी चीजें न लगाएं। कई बार तरह-तरह के लोशन, क्रीम, साबुन, शेम्पू नुकसानदायक हो सकते हैं। ज्यादा साबुन और शेम्पू से बच्चे की त्वचा ड्राय (सूखी) हो जाएगा और वह परेशान होगा।
बॉडी मसाज बहुत फायदेमंद है। हल्की धूप में बच्चे को लिटाकर सरसों या किसी अन्य तेल से मालिश की जाए तो बच्चा स्वस्थ्य रहता है।
– रात में बच्चे को सर्दी से बचाएं, लेकिन बहुत ज्यादा कंबल या रजाई उस पर न डालें। वह आसानी से सांस ले सके, इसका ख्याल रखें। कमरे का तापमान बढ़ाने की कोशिश करें और हल्का कंबल ओढ़ाएं। यही बात कपड़ों पर लागू होती है। नए कपड़े पहले पानी से धोएं, फिर पहनाएं।
– बच्चों में नाक बंद होने की समस्या आम है। डॉक्टर के बताए अनुसार नेज़ल नोज़ल ड्रॉप्स यानी नाक में डाली जाने वाली दवा जरूर रखें।
– बच्चे का पेट दर्द कर रहा है या पेट साफ नहीं हो रहा है, अजवाइन देना फायदेमंद होता है।
प्रदूषण से अपने बच्चों को बचने के लिए रखें खास ध्यान :
– यूं तो प्रदूषण सभी के लिए घातक है, लेकिन बच्चों की खास देखभाल बहुत जरूरी है। यदि आप दिल्ली जैसे प्रदूषित शहर में रहते हैं तो बच्चे को ऐसे स्थानों पर लेकर न जाएं जहां बहुत अधिक धुआं रहता है। कोशिश करें घर में रहकर उसकी देखभाल करें। गार्डन में या बाहर सड़क पर तभी निकलें जब वाहनों की आवाजाही कम हो जाए।
– मां अपने साथ-साथ बच्चे के हाइजिन यानी साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। इसमें थोड़ी-सी लापरवाही मुश्किल पैदा कर सकती है।
– मां नवजात को अपना दूध पिलाती रहे। इससे उसमें रोगों से लड़ने की क्षमता आएगी, खासतौर पर प्रदूषण वाले माहौल में।
– बच्चे का टीकाकरण ध्यान से पूरा करवाएं। यदि कोई टीका नहीं लगा तो उसकी रोगों से लड़ने की ताकत कम पड़ सकती है। यदि किसी टीके की तारीख निकल गई है तो डॉक्टर से अगली तारीख लें और टीका जरूर लगवाएं।
– यदि बच्चा ठोस आहार खाने लगा है तो सर्दी का मौसम उसे सूप पिलाने के लिए सबसे बढ़िया है। इससे बच्चे के शरीर में गर्मी बनी रहेगी और रोगों से लड़ने की ताकत भी मिलेगी।