जनविरोधी बिजली वितरण निगम अब सरकार विरोधी हरकतों पर उतरी : झारखंड चैंबर

प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि कुछ बडे उपभोक्ताओं के लिए मामूली वृद्धि प्रस्तावित की गई है तथा छोटे उद्योगों और डोमेस्टिक उपभोक्ताओं पर 50 से 300 फीसदी टैरिफ में बढोत्तरी की जा रही है। प्रस्तावित बढोत्तरी से उद्योग धंधे प्रभावित होगे।

जनविरोधी बिजली वितरण निगम अब सरकार विरोधी हरकतों पर उतरी : झारखंड चैंबर

झारखण्ड बिजली वितरण निगम लिमिटेड जनविरोधी होने के साथ ही सरकार विरोधी भी हो गई है। वर्तमान दरें मार्च 2024 से लागू की गई फिर तुरंत चार महीने के बाद नई दरों में बढोत्तरी को लेकर दोबारा प्रयास शुरू किये गए हैं। ऐसा 30-35 वर्षों में कभी नहीं हुआ है। सरकार की मंशा निम्न वर्ग और मध्यम वर्ग की जनता को राहत देने की है जिसके तहत उपभोक्ताओं को 200 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाती है फिर जेबीवीएनएल द्वारा ऐसा क्यों किया जा रहा है ? उक्त बातें चैंबर भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में कही गईं।

चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि हमने प्रस्तावित बढोत्तरी का विश्लेषण किया है। प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि कुछ बडे उपभोक्ताओं के लिए मामूली वृद्धि प्रस्तावित की गई है तथा छोटे उद्योगों और डोमेस्टिक उपभोक्ताओं पर 50 से 300 फीसदी टैरिफ में बढोत्तरी की जा रही है। प्रस्तावित बढोत्तरी से उद्योग धंधे प्रभावित होगे। इस प्रस्ताव के द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि पांच प्रतिशत बडे उपभोक्ताओं का बोझ 95 प्रतिशत छोटे उपभोक्ताओं पर डाल दिया जाय। जेबीवीएनएल की प्रस्तावित वृद्धि का हम विरोध करते हैं। हम अपनी बात नियामक आयोग की जनसुनवाई में भी रखेंगे। यदि वहां भी सकारात्मक विचार नहीं किया गया तब हम माननीय न्यायालय में भी जायेंगे।

प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए सदस्य अजय भंडारी ने कहा कि वर्तमान में जेबीवीएनएल का टी एंड डी लॉस 35 फीसदी से अधिक है, बिलिंग एफिसियेंशी 85-90 फीसदी है जबकि कलेक्शन एफिसियेंसी 85-90 फीसदी है। ऐसी स्थिति में तो बिजली का खरीद मूल्य दोगुणा हो जायेगा। यदि जेबीवीएनएल अपनी टी एंड डी लॉस कम कर ले तो दर बढाने की आवश्यकता ही नहीं होगी। जमशेदपुर में जुसको और जेबीवीएनएल दो लाइसेंसी हैं। जुसको का टी एंड डी लॉस 2 फीसदी है जबकि जेबीवीएनएल का 35 फीसदी। फिक्स चार्ज में बढोत्तरी के प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि प्रस्तावित बढोत्तरी के आधार पर उपभोक्ताओं पर 1000-1500 रू0 अतिरिक्त बिजली बिल का भार बढेगा। नियामक आयोग की कार्यप्रणाली पर भी उन्होंने प्रश्नचिन्ह उठाते हुए कहा कि आयोग के शेड्यूल देखें तो आनन फानन में पब्लिक हियरिंग करने की तैयारी की जा रही है जो आपत्तिजनक है। नई टैरिफ से छोटे उपभोक्ता, कृषि, ग्रामीण क्षेत्र के लोग अधिक परेशान होंगे, जो सरकार के उद्देश्यों के विपरीत है। ऐसा प्रतीत होता है कि जेबीवीएनएल का यह षडयंत्र जनता के साथ ही नहीं वर्तमान सरकार के साथ भी किया जा रहा है, जिसपर सरकार को गंभीरता दिखाने की आवश्यकता है। यदि जेबीवीएनएल सक्षम नहीं है तब क्यों नहीं आप प्राइवेट प्लेयर्स को अवसर देते हैं। सरकार को यह समझना होगा कि औद्योगिकीकरण की सरकार की सारी कोशिशों में सबसे बडा बाधक बिजली बोर्ड ही है।

चैंबर के उर्जा उप समिति चेयरमेन बिनोद तुलस्यान ने फिक्स चार्ज में बढोत्तरी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि घरेलू उपभोक्ताओं पर लोड के अनुसार फिक्स चार्ज लगना प्रस्तावित किया गया है जो अनुचित है। पुराने उपभोक्ताओं से फिक्स चार्ज 40 वर्षों से अधिक समय से लिया जा रहा है, वह भी बढे हुए दर पर। इस फिक्स चार्ज की तुलना हम सडक पर लगनेवाले टोल टैक्स से कर सकते हैं जो एक अवधि के बाद बंद हो जाता है, यही बिजली में फिक्स चार्ज के साथ होना चाहिए। उद्योग उप समिति के चेयरमेन बिनोद अग्रवाल ने पडोसी राज्यों से बिजली व्यवस्था की तुलना करते हुए कहा कि पडोसी राज्य पश्चिम बंगाल में शट डाउन से तीन दिन पूर्व से सूचित किया जाता है किंतु यहां पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। पिछले 14 वर्षों से बंगाल में भी उद्योग है जहां पर आज तक मुझे कोई भी बिलिंग डिस्पयूट का सामना नहीं करना पडा। कार्यकारिणी सदस्य रोहित पोद्दार ने अवगत कराया कि इमरर्जिंग स्टेट गुजरात में अधिकतम 5.05 पैसा प्रति यूनिट है, इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में अधिकतम 7 रू0 प्रति यूनिट है, जबकि झारखण्ड में 9.50 पैसा प्रस्तावित किया गया है। अर्थात् जिस राज्य की पर्चेसिंग पावर हमसे कई गुणा अधिक है वो भी हमसे कम शुल्क वसूल रहा है।

प्रेस वार्ता में चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री, उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, सह सचिव शैलेष अग्रवाल, उर्जा उप समिति चेयरमेन बिनोद तुलस्यान, अजय भंडारी, उद्योग उप समिति चेयरमेन बिनोद अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य रोहित पोद्दार और सदस्य अरूण जोशी, अमित अग्रवाल शामिल थे।