कमल राम मेहता का संपूर्ण जीवन समाज सुधार को समर्पित रहा था 

(2 अगस्त, समाज सुधारक, शिक्षाविद कमल राम मेहता की चौथी पुण्यतिथि पर विशेष)

कमल राम मेहता का संपूर्ण जीवन समाज सुधार को समर्पित रहा था 

कमल राम मेहता झारखंड के एक ऐसे शख्सियत थे, जिनका संपूर्ण जीवन समाज सुधार व समाजोत्थान को समर्पित रहा था। उन्होंने अपने जीवन काल में जो शिक्षा और नव जागृति का जो दीप जलाया था,आज वह दीप दूरदराज गांवों बहुत ही तेजी के साथ जलता दिखाई दे रहा है। कमल राम मेहता एक साधारण कद काठी के व्यक्ति थे, लेकिन उनका कृतित्व असाधारण सिद्ध हुआ। एक शिक्षक को कैसा होना चाहिए ? एक शिक्षक का अपने विद्यार्थियों के प्रति क्या दायित्व होना चाहिए ?  एक शिक्षक का समाज के प्रति क्या दायित्व होना चाहिए ? कमल राम मेहता के जीवन से सकल समाज को अनुकरण करने की जरूरत है। शिक्षक राष्ट्र के निर्माता होते हैं। इस बात को उन्होंने खुद के जीवन में चरितार्थ कर दिखाया था ‌। उन्होंने शिक्षा दान के साथ समाज सुधारक की  दिशा में जो कार्य किया सदैव याद किया जाता रहेगा। आज की बदली परिस्थिति  में जहां एक ओर शिक्षा का पूरी तरह व्यवसायी कारण हो गया है,उसके विपरीत कमल राम मेहता ने आजीवन निःशुल्क शिक्षा का दान कर अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया था।
  उनका जन्म हजारीबाग जिला के करियातपुर पंचायत के अंतर्गत चंदा गांव के एक कृषक परिवार में जन्म हुआ था। उन्होंने अपने स्वाधीनता सेनानी पिता रामेश्वर महतो से प्रेरणा पाकर शिक्षा दान करने का संकल्प लिया था। उन्होंने रांची  विश्वविद्यालय से हिन्दी में स्नातकोत्तर किया था । वे छात्र जीवन से ही गांव में व्याप्त निर्धनता, अशिक्षा,अंधविश्वास आदि और रूढ़ियों के  खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे थे। वे चाहते तो कई अन्य सरकारी नौकरियों में जाते और अपना जीवन बहुत ही अच्छे तरीके से निर्वाह कर सकते थे । परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया बल्कि गांव में ही रह कर एक शिक्षक के रूप में अपने जीवन की शुरुआत कर आजीवन  शिक्षा का दान किया ।
कमल राम मेहता इस धरा पर 81 वर्षों तक रहे थे। वे इस  उम्र में भी एक युवा की तरह क्रियाशील रहे । वे मृत्यु से पूर्व तक समाज की गतिविधियों, बैठकों आदि में व्यस्त रहे। हालांकि मृत्यु से कुछ महीने पूर्व  बीमार जरूर पड़े थे, किन्तु बीमारी की हाल में भी उनकी सक्रियता कम नहीं हुई थी।  उनके पिता रामेश्वर महतो देश के जाने-माने  स्वाधीनता सेनानी थे । कमल राम मेहता को बचपन से ही अपने घर पर  जिले के कई बड़े स्वाधीनता सेनानियों को देखने का अवसर मिला था । इस छोटी सी उम्र में स्वाधीनता सेनानी पिता एवं उनके कुछ मित्रों द्वारा कही गई बातों का कमल राम पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा था।  कमल राम मेहता ने अपने संबोधन कहा था कि 'उस छोटी सी उम्र में बहुत सी बातें समझ में नहीं आती थी, लेकिन जैसे-जैसे उम्र और अनुभव बढ़ते गए, उनकी बातें समझ में आने लगी थी।
   वे बचपन से ही एक मेधावी छात्र रहे। वे हम उम्र बच्चों एवं बच्चियों को पढ़ाया करते थे।  गांव में हाई स्कूल नहीं रहने के कारण उन्हें बड़ा दुख होता था। गांव में हाई स्कूल नहीं रहने के कारण बहुत सारे  बच्चे- बच्चियों की शिक्षा मिडिल से ऊपर नहीं हो पाती थी । उन्होंने छात्र जीवन में ही संकल्प ले लिया था कि गांव में  हाई स्कूल की स्थापना एक दिन जरूर करेंगे। कमल राम  को बचपन से ही पढ़ने और पढ़ाने का शौक था ।
  देश की आजादी के बाद पिता  रामेश्वर महतो का सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के कारण छात्र जीवन में ही उनके कंधों पर घर की जवाबदेही आ गई थी।  कमल राम मेहता ने इस जवाबदेही को सहर्ष स्वीकार किया। वे खेती किसानी  करते हुए भी अपनी पढ़ाई जारी रखे थे। 1958 में मैट्रिक पास करने के पश्चात वे आदर्श मध्य विद्यालय में सहायक शिक्षक बन गए। उन्होंने सहायक शिक्षक बनने के बाद भी खेती किसानी से कभी कदम पीछे नहीं हटाया बल्कि एक शिक्षक और किसान की दोहरी भूमिका को बखूबी निभाया ।  ये दोनों भूमिका निभाते हुए जो समय मिलता, समाज में व्याप्त कुरीति, अंधविश्वास, रूढ़िवादिता और दहेज प्रथा  को जड़ से समाप्त करने में लगा देते । वे विद्यालय छुट्टी के दिन का  पूरा का पूरा समय सामाजिक बैठकों में लगाते । समाज में व्याप्त दहेज प्रथा जैसी कुरीति को मिटाने के लिए उन्होंने असंख्य बैठकें की ।  परिणामस्वरूप इन बैठकों का समाज में बहुत ही अनुकूल प्रभाव पड़ा। फलत: इन्होंने सैकड़ों  शादियां बिना दहेज की पर करवाई। इसी बीच इनका स्थानांतरण पदमा प्रखंड के नावाडीह विद्यालय में हो गया हो गया ।  वे प्रतिदिन पैतृक गांव चंदा से नावाडीह विद्यालय, लगभग साठ किलोमीटर साइकिल से आना-जाना करते थे । लेकिन कमल राम के कदम पीछे हटे नहीं । वे नावाडीह विद्यालय में रहकर दलित, वंचित वर्ग के बच्चों को स्कूल में विशेष रूप से दाखिल किया करते थे। इन बच्चों को  पढ़ाने में उनकी भूमिका आज भी याद की जाती है।
   वे अगल - बगल के गांव में घूम - घूम कर बच्चों को स्कूल में दाखिला देने का काम किया करते थे।  वे स्कूल में रहते हुए  समाजिक कार्यों को कभी छोड़े नहीं ।  इनसे जितना बन पड़ता, समाज सेवा जरूर करते। कमल राम मेहता ने कई बार अपनी पूरी तनख्वाह गरीबों के बीच वितरण कर दिया था । साथ ही वे अपने घर से भी गरीबों के बीच अनाज वितरण किया करते थे । ताकि कोई भूख से मरे नहीं ।
   1978 में उन्होंने अपने पिता रामेश्वर महतो के साथ मिलकर ग्राम चंदा में रामेश्वर महतो उच्च विद्यालय की स्थापना की । इस निमित्त उन्होंने अपने पारिवारिक हिस्से पांच  एकड़ जमीन भी दान किया था। 1981 में उक्त उच्च विद्यालय का सरकारी करण के पश्चात वे इस स्कूल के प्रिंसिपल बन गए। स्कूल से प्राप्त होने वाले वेतन को बच्चों की शिक्षा और समाजोत्थान में खर्च कर दिया करते थे। वे सेवानिवृत्ति के पूर्व तक इस स्कूल के प्राचार्य रहे थे । इस स्कूल का प्राचार्य रहते हुए उन्होंने इचाक प्रखंड को एक शिक्षा हब में परिवर्तित कर दिया।  इसके लिए उन्होंने दिन रात एक कर दिया । फलस्वरूप इचाक प्रखंड में दर्जन भर से अधिक छोटे बड़े स्कूल चल रहे हैं। उनके प्रयास से ही प्रखंड में कॉलेज की भी स्थापना हो गई । 
  कमल राम मेहता प्रारंभ से ही स्त्री शिक्षा के पक्षधर रहे । उनका मानना था कि 'बिना स्त्री शिक्षा के समाज में नवजागरण आ नहीं सकता ।' इसलिए उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए घर घर जाकर लड़कियों को स्कूल में दाखिला किया।  लड़कियों के अभिभावकों से बार-बार मिलना।लड़कियों की शिक्षा के प्रति अभिभावकों समझना। कमल राम मेहता के इस कार्य से कई ग्रामवासी नाराज भी हो गए थे। कई ग्रामीण वासी उनकी आलोचना भी किया करते थे । कई अभिभावक उनके मुंह पर ही कई तरह की बातें कह दिया करते थे । लेकिन वे अभिभावकों की बातों को अनसुना कर अपने काम में नियमित रूप से जूटे रहते। फलस्वरुप इचाक प्रखंड में जो लड़कियों के शिक्षित होने का  परिणाम देखने को मिल रहा है, इसमें कमल राम मेहता की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। कमल राम मेहता के दो पुत्र । उन्होंने अपने दोनों पुत्रों की शादी बिना तिलक दहेज के कर अपने समाज में एक मिसाल कायम की। उन्होंने अपनी चारों बच्चियों को उच्च शिक्षा प्रदान किया।  उन्होंने अपने छोटे भाई झारखंड स्वाधीनता सेनानी विचार मंच के अध्यक्ष बटेश्वर प्रसाद मेहता को भी उच्च शिक्षा प्रदान कर प्रांत का एक प्रमुख नेता बनने का मार्ग प्रशस्त  किया था। कमल राम मेहता एक सफल शिक्षक के साथ एक अनुभवी सामाजिक मनोवैज्ञानिक भी थे।  उनका मत था कि 'सच्चे अर्थों में परिवार की खुशहाली से ही देश की खुशहाल बनता है । संयुक्त परिवार में बड़ी ताकत निहित होती है। संपूर्ण भारत भी एक परिवार के  समान है ।  इसलिए लोगों को मिलजुल कर एक परिवार की तरह रहना चाहिए। तभी भारत अपने पुराने गौरव को प्राप्त कर सकता है। कमल राम मेहता ने कभी भी किसी को पराया नहीं  बल्कि सबको परिवार का अंग ही माना।