पत्रकारों पर हमले के मामलों पर सरकार की चुप्पी दुर्भाग्यपूर्ण : प्रीतम भाटिया
जमशेदपुरः ऑल इंडिया स्माॅल एंड मीडियम जर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के बिहार/ झारखंड व बंगाल प्रभारी प्रीतम सिंह भाटिया ने कहा है कि आए दिन मीडियाकर्मियों पर पुलिसिया अत्याचार के मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन इस मुद्दे पर सरकार के साथ-साथ विपक्षी पार्टियां भी मौन है. उन्होंने कहा कि सरकार और विपक्ष की ओर से मीडिया को कमजोर करने की साजिश की जा रही है. चतरा हो या दुमका, हजारीबाग हो या फिर रांची, लगातार पत्रकारों पर हो रहे अत्याचार,झूठे मामले और बदसलूकी से राज्य के पत्रकारों में आक्रोश व्याप्त है.
हजारीबाग दौरे पर गई एआईएसएम जेडब्लूए की टीम को पता चला कि हजारीबाग के पत्रकारों को फर्जी मामले में जेल भेजने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई न कर उल्टे दोषियों को बचाने की कोशिश की जा रही है.
हालांकि इस मामले में एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल डीजीपी से भी मिला था और डीजीपी के आश्वासन पर यह उम्मीद जताई गई थी कि जल्द ही दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी. लेकिन अब तक नतीजा शून्य है.
उन्होंने कहा कि अभी यह मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि रांची के वरिष्ठ पत्रकार केबी मिश्रा पर बेबुनियाद और मनगढ़ंत आरोप लगाते हुए फर्जी मामला दर्ज कर दिया गया.इस मामले की जानकारी जब एसोसिएशन को हुई तो एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल केबी मिश्रा के आवास जाकर मिला और जब शिकायतकर्ता का लिखित आवेदन देखा तो प्रतीत हुआ कि यह कृत्य महज पत्रकार को डराने की साजिश है.
गोड्डा में भी कुछ ऐसा ही मामला था, जहां एक सरकारी कर्मचारी ने घूसखोरी की. जब पत्रकार दिलखुश कुमार ने खबर चलाई तो उसके ऊपर फर्जी मामला दर्ज कर दिया गया.
अभी ये मामले ठंडे नहीं हुए थे कि चतरा में डीएसपी और उसके बॉडीगार्ड ने मिलकर पत्रकार मोहम्मद अरबाज को बेवजह पीट दिया.इससे आहत होकर अरबाज जब शिकायत करने पहुंचा तो उल्टे उससे बांड लिखवाकर छोड़ दिया गया कि पुलिस से कोई शिकायत नहीं है.अब अरबाज चीख-चीख कर कह रहा है कि सारी घटना सीसीटीवी में कैद है, तो फिर चतरा पुलिस बताए,देर किस बात की है,क्या सीसीटीवी खराब है या फिर कोई सुन नहीं रहा?मामले का खुलासा कब करेंगे एसपी साहब?
इन सब घटनाओं में सरकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं आती.जहां ट्विटर पर छोटी-छोटी बातों में मुख्यमंत्री साहब संज्ञान ले लेते हैं और दीन-दुखियों की सेवा का आदेश संबंधित जिला के अधिकारी को देते हैं. वैसे हमारे न्यायप्रिय मुख्यमंत्री ऐसी घटनाओं पर ट्विटर में कोई जवाब ही नहीं देते.
श्री भाटिया ने कहा कि इससे भी दुखद बात यह है कि हर छोटे-बड़े मामले को मीडियाकर्मियों के माध्यम से उजागर करने वाले विपक्षी विधायकों और सांसदों की भूमिका इस मामले में नगण्य है.
तो अब सवाल यह है कि क्या मीडियाकर्मी कमजोर है या उनके संगठन सो चुके हैं.
उन्होंने ऐलान करते हुए कहा कि एआईएसएम जर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन इस लड़ाई को तब तक लड़ेगा, जब तक पत्रकारों को न्याय नहीं मिलेगा और अंजाम तक सारे मामले न पहुंच जाएं.