झारखंड भाजपा में घमासान, समर्पित कार्यकर्ताओं में नाराजगी, विधानसभा चुनाव में बढ़ सकती है मुश्किलें

झारखंड भाजपा की हालत खराब । लोकसभा चुनाव के परिणामों से भी सबक़ नहीं ले रही है भाजपा । लोकसभा चुनाव 2024 में अपनी कई मज़बूत सीटों को गँवाने के बाद भी भाजपा की आँख नहीं खुल रही है । भाजपा के चुनावी प्रबंधन की पोल दिन ब दिन खुलती जा रही है। 

झारखंड भाजपा में घमासान, समर्पित कार्यकर्ताओं में नाराजगी, विधानसभा चुनाव में बढ़ सकती है मुश्किलें

झारखंड की सत्ता में वापसी के लिए भाजपा जोर-शोर से लगी हुई है। भाजपा के चुनाव प्रभारी केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के सीएम हिमंता विश्व सरमा लगातार झारखंड के दौरे कर रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद झारखंड में भाजपा की स्थिति बिगड़ती ही जा रही है। पिछले विधानसभा चुनाव और हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव से सबक़ लेने की बजाय झारखंड भाजपा उससे भी बड़ी ग़लतियाँ करती जा रही है। भाजपा ने लोकसभा के लिए अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पांच सीटों पर उसे इस बार हार का सामना करना पड़ा है। इन पांच संसदीय सीटों के अंतर्गत विधानसभा की 28 सीटें आती हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा सिर्फ दो ही आरक्षित सीटें जीत पाई थी। पिछले विधानसभा चुनाव में भी झारखंड की प्रमुख राजनीतिक पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने स्थानीयता के मुद्दे पर भाजपा को कड़ी शिकस्त दी थी। इसके बावजूद भी इसबार भाजपा अपने स्थानीय नेताओं को कोई ख़ास तवज्जो देती नज़र नहीं आ रही है। जिसके परिणामस्वरूप 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपनी जीती हुई 4 सीटों को गँवाना पड़ा। सबक़ लेना तो दूर, झारखंड भाजपा इस जीत पर अपनी पीठ थपथपा रही है। 

झारखंड भाजपा के कई कद्दावर नेताओं को दरकिनार करते हुए, पार्टी ने फिर से बाहर के नेताओं को झारखंड फतह करने का जिम्मा सौंप दिया है। जो वास्तव में विपक्षी पार्टियों के लिए एक सुनहरा मौक़ा देती दिख रही है। झारखंड में भाजपा के दिग्गज नेता माने जानेवाले अर्जुन मुंडा लोकसभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद लगभग शांत हैं।

झारखंड से रघुवर दास की वजह से ही भाजपा के पांव भी उखड़े थे। अव्वल तो उन पर गैर आदिवासी सीएम होने का ठप्पा लगा। दूसरा सीएनटी एक्ट में उनकी सरकार ने संशोधन कर आदिवासियों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की तो इसे विपक्ष ने आदिवासियों की जमीन छीनने के नैरेटिव के रूप में प्रचारित किया। नतीजा यह हुआ कि भाजपा की सरकार दोबारा नहीं बन पाई।

पूरे प्रदेश में भाजपा के अंदर घमासान मचा है। झारखंड भाजपा के नेताओं-कार्यकर्ताओं की लड़ाई अब सड़कों तक आ पहुंची है। धनबाद, जमशेदपुर और अब रांची, सभी जगह भाजपा के कार्यकर्ताओं का यही कहना है कि इस बार जो नई कमेटियां बनी हैं, उसमें लोगों का चयन स्थानीय लोगों के रायशुमारी से न कर, ऊपर से थोप दिया गया है। कमिटी में वैसे लोग ज्यादा शामिल हैं, जिन्होंने पार्टी के लिए कुछ किया ही नहीं। जो बर्दाश्त से बाहर है। झारखंड प्रदेश संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह के खिलाफ धीरे-धीरे भाजपा कार्यकर्ताओं का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। 

जमशेदपुर में धरना प्रदर्शन 

जमशेदपुर में भाजपा नेताओं ने अपने ही नेताओं के खिलाफ महानगर कार्यालय के समक्ष धरना दिया और महानगरध्यक्ष को हटाने की मांग की।

जमशेदपुर महानगर भाजपा बचाओ अभियान के बैनर तले भाजपा के कार्यकर्ताओं ने महानगर कार्यालय के समक्ष धरना दे दिया। धरना दे रहे भाजपा कार्यकर्ता तख्तियां लेकर नारे लगा रहे थे। नारा था – भ्रष्टाचारी जिलाध्यक्ष को हटाना होगा। कार्यकर्ताओं का अपमान करना बंद करो।

धरना देनेवालों में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कट्टर समर्थक व जमशेदपुर महानगर के पूर्व महामंत्री राकेश सिंह, गणेश विश्वकर्मा, साकची पूर्वी के पूर्व मंडलध्यक्ष ध्रुव मिश्रा, कदमा पूर्व मंडलध्यक्ष राजेश सिंह, बागबेड़ा पूर्व मंडलध्यक्ष संजय सिंह, घाघीडीह पूर्व मंडलध्यक्ष संदीप शर्मा, उलीडीह पूर्व मंडलध्यक्ष अमरेन्द्र पासवान समेत, कृष्णा पात्रो, सपन पात्रो, अजय निषाद, छोटू सरदार, राजकमल यादव, चुन्ना सिंह, नीरु देवी आदि प्रमुख थे।

राँची में विद्रोह 

रांची के चुटिया भाजपा मंडल में अपनी ही पार्टी के खिलाफ विद्रोह की स्थिति देखी जा रही है । रांची के चुटिया मंडल के समर्पित भाजपा कार्यकर्ताओं ने भाजपा मुख्यालय जाकर कर्मवीर सिंह के नाम अपना विरोध पत्र सौंप दिया।इस मामले को शांत करने के लिए विधायक स्तर पर एक मीटिंग भी बुलाई गई थी जिसमें जाने से इन कार्यकर्ताओं ने इनकार कर दिया। इनका कहना था कि पहले सुजीत शर्मा को पद से हटाए, तभी कोई बात होगी। जिन भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपने कार्यों से चुटिया मंडल को सर्वश्रेष्ठ मंडल के रुप में स्थापित किया था, अब उनकी जगह पर वे लोग आ रहे हैं, जिन्हें भाजपा के संविधान के बारे में भी जानकारी नहीं हैं।

अगर भाजपा इस समस्या को नहीं सुलझती है तो भाजपा के लिए रांची विधानसभा का सीट निकाल पाना सदा के लिए मुश्किल हो जायेगा। आम तौर पर रांची का चुटिया मंडल भाजपा का सशक्त मंडल माना जाता है। रांची विधानसभा से भाजपा को जीत यही मंडल दिलाता है। रांची लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की बात करें, तो यही मंडल लोकसभा में भाजपा को बढ़त दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। उसका मूल कारण यहां भाजपा की सशक्त टीम का होना है।

धनबाद में नाराजगी 

धनबाद से विकास महतो को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है. इससे पहले वे आजसू व जेवीएम होते हुए कुछ माह पूर्व ही भाजपा में शामिल हुए. हालाँकि इससे पहले मंडल स्तर तक इन पर कोई दायित्व ही नहीं था। लेकिन संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह और धनबाद के सांसद ढुलू महतो की कृपा से सीधे प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया गया। ऐसे में भाजपा के जो समर्पित कार्यकर्ता हैं, वे हैरान है कि आखिर ये हो क्या रहा है।

आखिर उन्हें कब सम्मान मिलेगा और सम्मान का तरीका यही है तो फिर भाजपा गई काम से, कोई इसे बचा नहीं सकता। यही नहीं भाजयुमो के इस नई टीम को लेकर भाजपा के सांसदों और विधायकों की टीम भी मौन साधे हुए हैं, क्योंकि ये लोग जानते है कि ये टीम किसी काम की नहीं, क्योंकि जो उन्हें करना हैं, वो खुद से ही करना होगा।

आयातित लोगों को पद दिया जा रहा 

भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि पिछले 25-30 वर्षों से निस्वार्थ भाव से काम करनेवाले भाजपा कार्यकर्ताओं को अब वो सम्मान नहीं मिल रहा, जिसके वे हकदार है। प्रदेश से लेकर मंडल स्तर तक उन्हें सम्मान नहीं मिल रहा, बल्कि उसके जगह आयातित लोगों को पद थमा दिया जा रहा है। 

गुस्साए कार्यकर्ताओं का कहना है कि ताजा उदाहरण अभी संगठन में व्यापक फेरबदल के रुप में दिख रहा है, जहां प्रदेश से महानगर में या मंडल में सभी जगह अवसरवादी कार्यकर्ताओं को पद दे दिया गया है। जो एक बूथ का संचालन भी ठीक से नहीं कर सकते। अगर यही हाल रहा तो समर्पित कार्यकर्ता पार्टी कार्यों से विमुख हो जायेंगे और उस वक्त पार्टी की स्थिति और भयावह हो जायेगी।