योग एवं नेचुरोपैथी भारतीय संस्कृति की धरोहर है : प्रोफेसर विजय कुमार सिंह (कुलसचिव, सरला बिरला विश्वविद्यालय)
सरला बिरला विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में विभिन्न विभागों के शिक्षकों के अलावा शिक्षकेत्तर कर्मचारियों और बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने नेचुरोपैथी चिकित्सा पद्धति का लाभ उठाया। इस अवसर पर फेस पैक, आंखों की मिट्टी पट्टी, शिरोधारा, कटी बस्ती और जानू बस्ती का लाभ दिया गया।
सरला बिरला विश्वविद्यालय परिसर में योगिक साइंस एवं नेचुरोपैथी विभाग के तत्वावधान में आज से दो दिवसीय नेचुरोपैथी कार्यशाला की शुरुआत हुई।
कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि कुलसचिव प्रोफेसर विजय कुमार सिंह, संकायाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ) नीलिमा पाठक, सह संकायाअध्यक्ष डॉ राधा माधव झा, कार्यक्रम समन्वयक आशुतोष द्विवेदी, प्रधानाचार्य, डॉ. सुभानी बाड़ा की उपस्थिति में दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. विजय कुमार सिंह ने योग एवं नेचुरोपैथी को भारतीय संस्कृति का धरोहर करार दिया। उन्होंने इन दोनों का हमारे जीवन में उपस्थिति को ईश्वरीय वरदान कहा। डीन डॉ. नीलिमा पाठक ने नेचुरोपैथी के महत्व को बताते हुए कहा कि यह हमारी आधुनिक चिकित्सा पद्धति है एवं यह स्व से स्वयं की चिकित्सा करती है। यदि आपका शरीर स्वस्थ है तो धर्म के सभी साधन और जीवन में आप स्वयं सफल होते चले जाएंगे ।
कार्यक्रम में विभिन्न पैक और शिरोधारा आदि में लोगों को सहयोग करने के लिए श्री अमरेंद्र दत्त द्विवेदी, श्री पंकज केसरी, अंजना कुमारी सिंह, गीता दास, रूपा कुमारी, संतोष कुमार, शिव कुमार, अभिजीत कुमार एवं अन्यान्य ने सहयोग किया।
कार्यशाला में विभिन्न विभागों के शिक्षकों के अलावा शिक्षकेत्तर कर्मचारियों और बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने नेचुरोपैथी चिकित्सा पद्धति का लाभ उठाया। इस अवसर पर फेस पैक, आंखों की मिट्टी पट्टी, शिरोधारा, कटी बस्ती और जानू बस्ती का लाभ दिया गया।
कार्यक्रम का संचालन विभागाध्यक्ष डॉ. अर्चना मौर्य तथा धन्यवाद ज्ञापन श्री आशुतोष त्रिवेदी जी ने किया। कार्यशाला के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के माननीय कुलाधिपति श्री बिजय कुमार दलान, माननीय डॉ. प्रदीप वर्मा और माननीय डीजी प्रो. गोपाल पाठक ने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की।
करार दिया। उन्होंने इन दोनों का हमारे जीवन में उपस्थिति को ईश्वरीय वरदान कहा। डीन डॉ. नीलिमा पाठक ने नेचुरोपैथी के महत्व को बताते हुए कहा कि यह हमारी आधुनिक चिकित्सा पद्धति है एवं यह स्व से स्वयं की चिकित्सा करती है। यदि आपका शरीर स्वस्थ है तो धर्म के सभी साधन और जीवन में आप स्वयं सफल होते चले जाएंगे ।
कार्यक्रम में विभिन्न पैक और शिरोधारा आदि में लोगों को सहयोग करने के लिए श्री अमरेंद्र दत्त द्विवेदी, श्री पंकज केसरी, अंजना कुमारी सिंह, गीता दास, रूपा कुमारी, संतोष कुमार, शिव कुमार, अभिजीत कुमार एवं अन्यान्य ने सहयोग किया।
कार्यशाला में विभिन्न विभागों के शिक्षकों के अलावा शिक्षकेत्तर कर्मचारियों और बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने नेचुरोपैथी चिकित्सा पद्धति का लाभ उठाया। इस अवसर पर फेस पैक, आंखों की मिट्टी पट्टी, शिरोधारा, कटी बस्ती और जानू बस्ती का लाभ दिया गया।
कार्यक्रम का संचालन विभागाध्यक्ष डॉ. अर्चना मौर्य तथा धन्यवाद ज्ञापन श्री आशुतोष त्रिवेदी जी ने किया। कार्यशाला के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के माननीय कुलाधिपति श्री बिजय कुमार दलान, माननीय डॉ. प्रदीप वर्मा और माननीय डीजी प्रो. गोपाल पाठक ने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की।