अमेरिकन आर्मी राइफल हैं बालू माफियाओं की पहली पसंद, टिक नहीं पाते दुश्मन , बोरियों में भरी रहती है कारतूसें
मुख्य सचिव से दोगुना बालू माफिया के आर्म्स गार्ड का वेतन ।
पटना:
बिहार में आर्थिक तौर पर सरकार से कहीं ज्यादा मजबूत बालू माफिया दिखाई दे रहे हैं । अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की जहां बिहार सरकार के मुख्य सचिव को 2.25 लाख रूपये वेतन मिलता है वहीं बालू माफिया अपने आर्म्स गार्ड को मिनिमम 15 हजार रूपये प्रतिदिन ,मतलब 4.50 लाख रूपये प्रति महीने वेतन देते हैं । वहीं लाठी पार्टी को 60 -90 हजार प्रति महीने एवं भरोसेमंद चौकीदार को 1- 1.5 लाख रुपये प्रति महीने देते हैं ।
सोन नदी में अवैध बालू खनन और अवैध बालू कारोबार करने वाले करीब 5 गिरोह सक्रिय है और प्रति गिरोह में करीब 25 -30 आर्म्स गार्ड ( अपराधी ) ऑटोमेटिक हथियार से 24 घंटे लैस रहते हैं और आज भी इन बालू माफियाओं के यहां वैकेंसी है, बस एक शर्त हैं की दुश्मनों से आखिरी दम तक लड़ना हैं और किसी कीमत पर पीछे नहीं हटना है चाहें जान ही क्यों न चली जाएं । जब एक-दूसरे बालू माफियाओं से गोलियां चलती है एक बार में एक हजार गोलियां भी कम पड़ती हैं ।
बोरियें में भरी पड़ी रहती है कारतूसें और अवैध बालू कारोबार के रूपये
वर्चस्व कायम रहें इसके लिए बोरियों में कारतूस भरी पड़ी रहती है। अवैध बालू के कारोबार में इतना पैसा होता है की बोरियों में नोटों के बंडल रखे रहते हैं। लाश गिरने पर वहीं ठिकाने लगा दिया जाता हैं ,पुलिस तक को भनक नहीं लगने देते ।
पुलिस में पाल रखें है मुखबिर, रेड के पहले मिल जाती है खबर
पुलिस से पंगा नहीं लेना चाहते इसके लिए हर चौक- चौराहे पर विशेष निगरानी के लिए चौकीदार लगाएं हुये रहते हैं और पुलिस के अंदर मुखबीर। जो इन्हें पल-पल की खबर पहुंचाते है और पुलिस जबतक पहुंचती है बालू माफिया बड़े -बड़े नाव पर सवार हो पॉकलेन और हथियार साथ लें बहुत दूर निकल जाते है और पुलिस खाली हाथ लौट आती हैं ।
मोटरसाइकिल से सीधे फॉरचुनर का सफ़र कर रहे हैं माफिया
सोन बालू को पीला सोना का संज्ञा दिया गया हैं । जिसकी औकात मोटरसाइकिल की नहीं थी उसके घरों पर 50 लाख की कई फॉरचुनर शोभा बढ़ाती हैं । बालू पर वर्चस्व की लड़ाई कोई नई बात नहीं हैं । गाजर-मुली की तरह काटे जाते हैं । ऐसे तो बालू को लेकर सभी जगहों पर वर्चस्व है लेकिन पटना और भोजपुर जिले के सीमा पर स्थित सुअरमरवा ,अमनाबाद, संगम और 84 बालू घाट के वर्चस्व को लेकर खून-खराबा और गोलीबारी आम बात है । इसके लिए बालू माफिया अत्याधुनिक हथियारों से लैस आर्म्स गार्ड रखते हैं । ताकि बेधड़क अवैध बालू खनन होता रहें । वर्चस्व कायम रहें इसके लिए लंबे समय से सक्रिय बालू माफिया मनोहर यादव ,शत्रुध्न यादव ,बिदेशिया राय, श्री यादव ,सतेन्द्र पंडित गिरोह में आज भी अत्याधुनिक आर्म्स गार्ड की वैकेंसी हैं । जिन्हें बिहार सरकार के मुख्य सचिव से दोगुना तक वेतन दिये जाने की व्यवस्था बना रखी हैं ।
अमेरिकन आर्मी राइफल है बालू माफियाओं की पहली पसंद
द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिकन आर्मी राइफल ,सेमी ऑटोमेटिक( 30.06 ) बेहतर व शक्तिशाली हथियार साबित हुआ था। इसका रेंज करीब 2000 गज हैं । एक बार कॉक करने के बाद दनादन 8 गोलियां भयंकर दहार की तरह निकलती हैं । मानें आसपास में बिजली गिरी हो। हालाँकि काफी वजनदार होने के कारण, द्वितीय विश्वयुद्ध बाद अमेरिका ने इस हथियार को अपने सेना से अलग कर दिया । भारत में इसके जोर का रेगुलर पुलिस राइफल 3 नोट 3 राइफल है। इसका भी रेंज करीब 2000 गज है और सेमी ऑटोमेटिक की तरह ही काफी वजनदार हैं । सेमी ऑटोमेटिक राइफल भारत में प्रोविटेड बोर की श्रेणी में आता हैं । इसके खरीद -बिक्री और रखने पर पाबंदी हैं । जिला प्रशासन द्वारा इसका नवीकरण नहीं किया जाता हैं । कुछ लोगों ने गलत ढंग से इसे लाइसेंस पर खरीद रखा था। सुत्रों की मानें तो सेमी ऑटोमेटिक राइफल की अवैध कीमत करीब 6-8 लाख है लेकिन बालू माफिया इसे 10-12 लाख में भी खरीदने में गुरेज नहीं करते । चुकी लंबी दूरी तक मारक क्षमता इनकी पहली पसंद होती हैं और इनका मानना है की दुश्मन इसके सामने नहीं टिक नहीं पाते । हाल में ठेकेदार कल्लू राय ,भोजपुर जिले के कोईलवर स्थित बालू घाट पर पूजा करने गये थे तो बालू माफियाओं ने अंधाधून गोलीबारी किया था इसमें दो लोगों की मौके वारदात पर मौत हो गयी थीं । इसमें सेमी ऑटेमेटिक राइफल का इस्तेमाल की बातें सामने आ रही हैं । इसके अलावा बालू माफियाओं के पास 30 ( थर्टी ) माउजर राइफल, इंसास राइफल , ए के 47 राइफल , थर्टी जीरो सीक्स रेगुलर राइफल, एसएलआर है।
नदी के रास्ते बलिया, डोरीगंज, फतुहा जाता है बालू
पटना व भोजपुर के सीमा पर स्थित अमनाबाद, सुअरमरवा, 84 घाट एवं संगम बालू घाटों पर आज भी अवैध खनन जारी हैं । सक्रिय बालू माफिया मनोहर यादव ,शत्रुध्न यादव ,बिदेशिया राय, श्री यादव ,सत्येन्द्र पंडित एवं अन्य दर्जनों के पास एक-एक गिरोह में 10 -15 पॉकलेन मशीन दिन-रात अवैध खनन में जुटा हैं । एक नाव पर 4-4 ट्रक के बराबर बालू लदा होता है और करीब 500 -600 नाव अवैध बालू लेकर नदी के रास्ते बलिया ,डोरीगंज, फतुहा जाता हैं । नाव में हैवी ट्रक का इंजन लगा होता है जो नदी में तेज गति से चलता हैं । सस्ती बालू उपलब्धता के कारण यूपी सरकार कार्रवाई में कोई रूचि नहीं लेती और सीमा विवाद में बालू माफिया बच जाते हैं । अमनाबाद, सुअरमरवा ,84 घाट एवं संगम बालू घाट से प्रतिदिन करोड़ों का अवैध कारोबार होता हैं ।