95 साल बाद भी डालटनगंज में सुरक्षित है गांधी जी का लिखा वो पत्र

देश में आजादी की अलख जगाने वाले मोहन दास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी डालटनगंज के सेठ सागर मल सर्राफ के बगीचे में स्थित घर में रूके थे।

95 साल बाद भी डालटनगंज में सुरक्षित है गांधी जी का लिखा वो पत्र

डेस्क:

आज से ठीक 95 साल पहले यानी 11 जनवरी 1917 को डालटनगंज के सेठ सागर मल सर्राफ के बगीचे में हर्ष और उत्साह का माहौल था। पूस की सर्द हवाएं भी लोगों में ऊर्जा भर रहीं थी। ऐसा होने का विशेष कारण था। देश में आजादी की अलख जगाने वाले मोहन दास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी डालटनगंज के इसी बगीचे में स्थित घर में रूके थे। यूं तो उनसे मिलने के लिए बड़ी संख्या में पलामू जिले से आए लोग पहुंचे थे पर कुछ लोग उनके पास एक जगह चलने का आमंत्रण लेकर आए थे। ये लोग मारवाड़ी सार्वजनिक हिंदी पुस्तकालय से जुड़े थे। इनमें से एक थे रामनिरंजन प्रसाद तुलस्यान। रामनिरंजन बाबू के बेटे नवल किशोर तुलस्यान अभी इस पुस्तकालय के अध्यक्ष हैं। नवल जी अपने पिता जी की स्मृतियों को साझा करते हुए बताते हैं, ‘जब पुस्तकालय से जुड़े लोगों ने गांधी जी से पुस्तकालय में आने के लिए कहा तो वे सहर्ष तैयार हो गए। उनके साथ डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी भी थे। जब ये दोनों बगीचे से पुस्तकालय आने के लिए चले तो सड़क के दोनों ओर भारी संख्या में लोग ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम’, ‘गांधी जी की जय’ के नारे लगा रहे थे।’जब गांधी जी पुस्तकालय पहुंचे तो वह यहां की व्यवस्था देख कर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने वहां मौजूद लोगों से पढ़ने और आजादी की लड़ाई में शामिल होने का आग्रह किया।

गांधी जी के द्वारा लिखे गए शब्द

इसके बाद उन्होंने पुस्तकालय की आगंतुक पुस्तिका में लिखा, ‘इस पुस्तकालय को देख मुझे आनंद हुआ है। मैं पुस्तकालय की उन्नति चाहता हुं।’ गांधी जी के उद्बोधन और उनके संदेश ने लोगों में उत्साह का संचार किया। उनके साथ आए राजेंद्र बाबू ने भी आगंतुक पुस्तिका में लिखा, ‘पूज्य महात्मा गांधी जी के साथ मैंने भी पुस्तकालय को देखा और देखकर बहुत ही आनन्द पाया। इस प्रकार के पु्स्तकालयों से जनता को बहुत लाभ पहुंचता है और मेरी आशा है कि संचालक इसे स्थायी बनावेंगे और इसकी प्रति दिन उन्नति होती जायगी।’ गांधी जी ने अपने संदेश के बाद तारीख में ‘पौ. शु. 9’ लिखा तो राजेंद्र बाबू ने ‘ता. 11 जनवरी 1927, मंगलवार’ लिखा। इसी दिन शहर में गांधी जी का दो जगह सम्मान समारोह भी हुआ था। इनमें हिंदी तिथि ‘पौष शुक्ल 8, 1983 वि. लिखा गया है।

अभिनंदन पत्र

गांधी जी की यात्रा की चर्चा करने पर स्वतंत्रता सेनानी स्व. नीलकंठ सहाय ने कहा था, ‘मेरे पूज्य पिताजी (जयवंश सहाय) स्वागत समारोह में मौजूद थे। वह डालटनगंज में वकालत करते थे। मेरे पिताजी की लाइब्रेरी में इस बात का प्रमाण मौजूद है कि गांधी जी कब डालटनगंज आए थे।’ डालटनगंज दूरदर्शन के इंटरव्यू में सहाय जी ने गांधी जी की यात्रा की दो तस्वीरें भी साझा की थी। इन्हें दिखाते हुए उन्होंने कहा था, ‘पूज्य पिताजी की लाइब्रेरी में महात्मा गांधी का जो फोटो रखा था उसे कीड़ा खा गया था। उसको साफ करके हमलोग ठीक से रखे हैं। पहले जमाना की गाड़ी है, तस्वीर वहीं की है।’ कोई भी व्यक्ति डालटनगंज आए और उसके सामने पलामू की गंगा “कोयल” की चर्चा न हो यह संभव ही नहीं है। देखिए, अभिनंदन पत्र में क्या लिखा है-‘भगवन! हमारी यह डालटनगंज की म्युनिसिपलिटी सुरम्य ‘कोयल नदी के तट’ पर साढ़े तीन वर्गमील में एक अपूर्व शोभा धारण करती है और हमें इस बात का पू्र्ण विश्वास है कि आप भी हमारी इस ‘वनभूमि’ के वनविहार में विशेष आनन्द लाभ करेंगे।’ नोट-गांधी जी का संदेश नवल किशोर तुलस्यान ने और अभिनंदन पत्र स्वतंत्रता सेनानी स्व. नीलकंठ सहाय के पुत्र अमित सहाय ने उपलब्ध कराया है जबकि गांधी जी की तस्वीर डालटनगंज दूरदर्शन के इंटरव्यू का स्क्रीन शॉट है। दोनों अभिनंदन पत्र डाउनलोड करके पढ़ा जा सकता है।