हिंदी विश्व भर में लगभग दो सौ से अधिक विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रही है

(10 जनवरी, विश्व हिन्दी दिवस पर विशेष)

हिंदी विश्व भर में लगभग दो सौ से अधिक विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रही है

आज विश्व हिंदी दिवस है। हिंदी को कैसे विश्व भर में प्रचारित प्रसारित किया जाए ? ताकि हिंदी विश्व की एक प्रमुख भाषा के रूप में स्थापित हो सके। देश की आजादी के बाद इस निमित्त हिंदी भाषा अनुरागियों ने बहुत ही सार्थक प्रयास किया है । फलस्वरुप हिंदी विश्व की एक मजबूत भाषा के रूप में स्थापित हो पाई है। हिंदी विश्व भर में लगभग दो सौ से अधिक विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रही है । हिंदी पर नियमित शोध कार्य हो रहे हैं। हिंदी भारत के लिए एक गर्व की भाषा है। जिस पर समस्त देशवासियों को नाज है।
स्वामी विवेकानंद ने विश्व धर्म सभा में उपस्थित सभी विचारकों को भारत के सभी हिंदुओं की ओर से धन्यवाद किया था। स्वामी विवेकानंद एक बंगला भाषी संत थे। जिनका लालन पालन बंगाली विधि से हुआ था। लेकिन उन्होंने बांग्ला भाषा के अलावा हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषा पर पांडित्य पूर्ण ज्ञान अर्जित किया था। वे धाराप्रवाह हिंदी, अंग्रेजी, बंगला और संस्कृत बोल सकते थे। उन्हें एक भारतीय होने पर गर्व था। वे इस बात को लेकर अपने आप को भाग्यशाली मानते थे कि मेरा जन्म भारत जैसे गौरवशाली देश में हुआ। हिंदी के प्रति उनकी धारणा बहुत ही सराहनीय थी। वे जितना बांग्ला भाषा से प्रेम करते थे, उतना ही हिंदी और संस्कृत से भी प्रेम करते थे।
हिंदी के संदर्भ में कहा जाता है कि हिंदी की विकास यात्रा में कई वर्ष लगे थे । तब हिंदी भाषा आकार ग्रहण कर पाई में थी । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलवाना चाहते थे । देश की आजादी के बाद हिंदी राजभाषा जरूर बन गई, लेकिन अभी भी राष्ट्र की भाषा नहीं बन पाई है । इस निमित्त स्वाधीनता सेनानी स्वर्गीय खत्री जी के सहयोग को विस्मृत नहीं किया जा सकता है। स्वाधीनता सेनानी स्वर्गीय खत्री जी ने हिंदी को राष्ट्रभाषा और राजभाषा का दर्जा दिलाने के लिए बहुत ही मेहनत की थी । अब देखना यह है कि हिन्दी कब देश की राष्ट्रभाषा बनेगी ?
हिंदी मीठी भाषा है। हिंदी प्रेम की भाषा है । हिंदी लेखकों और कवियों की भाषा है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी में निरंतर काम हो रहे हैं। खड़ी हिंदी के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हिंदी में रचनाकर हिंदी को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया था । आज भी उनकी कहानियां और उपन्यास बहुत ही चाव के साथ पढ़े जाते हैं। भक्ति काल के संत कवि कबीर, सूरदास, रहीम, नरहरी, रैदास, तुलसीदास के दोहे आज भी हिंदी भाषियों को प्रेरित करते नजर आते रहे हैं। इनकी रचनाओं का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद यह साबित करता है कि हिंदी की रचनाएं कितनी प्रभावशाली हैं।
हिंदी प्यारी व मीठी भाषा है। जिसने भी हिंदी का पान किया। समझो! वह हिंदी का हो गया । फादर कामिल बुल्के पश्चिम से ईसाई मिशनरी के लिए एक शिक्षक के तौर पर भारत की आए थे । जब वे भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली हिंदी भाषा का पान किया, सदा सदा के लिए हिंदी का हो गए । जब उन्होंने हिंदी का अध्ययन प्रारंभ किया, तब उन्हें हिंदी की व्यापकता का अहसास हुआ । उन्होंने हिंदी में बीए ऑनर्स, एमएऔर पीएचडी भी किया। हिंदी अध्ययन के दौरान उन्हें तुलसीकृत रामचरितमानस से सामना हुआ। उन्होंने रामचरितमानस का गहराई से अध्ययन किया । वे रामचरितमानस के अध्ययन में ऐसा लीन हो गए, जैसे उन्हें भगवान राम का साक्षात्कार हो गया हो। रामचरितमानस से प्रेरित होकर उन्होंने भगवान राम के संबंध में विशेष जानकारी के लिए संपूर्ण देश की यात्रा की । देश के विभिन्न प्रांतों में भगवान राम पर वर्णित विभिन्न भाषाओं के रामायण का अध्ययन किया । तब उन्होंने एक वृहद रामायण की रचना की । उनकी यह कृति कालजई कृति बन गई । हिंदी प्रेम ने उनसे हिंदी का शब्दकोश तक लिखवा दिया। भारत में उनका संपूर्ण जीवन हिंदी शिक्षा ग्रहण और लेखन में बीता था। अर्थात उन्होंने भारत आकर अपना संपूर्ण जीवन हिंदी को ही समर्पित कर दिया था । यह हिंदी की विशालता, सार्वभौम और व्यापकता का परिचायक है ।
आज हिंदी विश्व के कई देशों में धड़ल्ले के साथ बोली जा रही है । लोग हिंदी भाषा सीखने के लिए आगे आ रहे हैं।
मित्रों ! हिंदी सच्चे अर्थों में मन की भाषा है। आप हिंदी में किसी भी विषय पर जितनी बार भी तलाश करगें, हर बार आपको कुछ ना कुछ नई चीजें ही प्राप्त होगीं। यह हिंदी साहित्य की व्यापकता का परिणाम है।
विश्व हिंदी दिवस पर हिंदी के महान साधक भारत यायावर का स्मरण करना उचित समझता हूं । उन्हें छात्र जीवन से ही हिंदी से प्रेम था । उन्होंने विपुल साहित्य का सृजन किया। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन हिंदी को समर्पित कर दिया था। भारत यायावर ने हिंदी के महान कथाकार फणीश्वर नाथ रेनू, महावीर प्रसाद द्विवेदी के बिखरे पड़े रचनाओं को देशभर के पुस्तकालयों से ढूंढ ढूंढ कर रचनावली का निर्माण किया। दोनों रचनावली राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुई । इसके अलावा उन्होंने हिंदी के कई महान लेखकों, कथाकारों, कवियों, आलोचकों और समीक्षकों की कृतियों और जीवनी पर महत्वपूर्ण काम किया। वे एक लेखक, संपादक, आलोचक के साथ कवि भी थे । उन्होंने एक कवि के रूप में लेखन प्रारंभ की थी। बाद के कालखंड में वे संपादन के क्षेत्र में आगे बढ़ते चले गए। उन्होंने चार सौ से अधिक कविताओं का लेखन किया। उनका लगभग चार कविता संग्रह प्रकाशित है। उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कारों के अलावा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। उनकी कई कविताओं का रूसी भाषा में भी अनुवाद हुआ । उनकी एक कविता संग्रह पर रूस की एक हिंदी साहित्यिक संस्था ने ‘पुश्किन पुरस्कार’ से नवाजा था। भारत के एक नहीं, कई ऐसे लेखक हैं, जो हिंदी लेखन के बल पर विश्व मानचित्र पर सदा सदा के लिए अपनी कृतियों को अंकित कर दिया।

रतन वर्मा देश के जाने-माने कथाकार है । इन्होंने ढाई सौ से अधिक कहानियां लिखीं, जो देश के विभिन्न प्रतिष्ठित हिंदी पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं । उन्होंने कई उपन्यास, लघु उपन्यास और नाटक भी लिखे हैं। वे नियमित हिंदी साधना में रत हैं । उनका एक नाटक ‘नेटुआ’ विश्व ओलिंपियाड हिस्सा बना। इस नाटक का मंचन देश विविध मंचों से हुआ। विदेशों में भी इस नाटक का सफलतापूर्वक मंचन हो रहे हैं ।
हिंदी लगातार विश्व भर में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करती चली जा रही है। आज हिंदी एक बहुत ही मजबूत स्थिति में है। कई लोग हिंदी को कम ज्ञान वालों की भाषा कहते हैं । दूसरी ओर अंग्रेजी को अधिक ज्ञान वालों की भाषा कहते हैं। देश की आजादी के बाद हिंदी जिस तरह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। हिंदी को कम ज्ञान वालों की भाषा कहने वालों का भ्रम टूट गया है। आज हिंदी में विज्ञान, तकनीकी, कानून, चिकित्सा से संबंधित हर तरह की पुस्तकें उपलब्ध हैं। जब देश परतंत्र था। हिंदी का विकास रुका हुआ था। देश की आजादी के बाद हिंदी लगातार बढ़ती चली जा रही है। हिंदी की खासियत यह है कि हिंदी अपनी प्रांतीय भाषाई बहनों को भी आगे बढ़ाती चली जा रही है । इसी का प्रतिफल है कि हिंदी को देश के सभी प्रांतों फैलने का अवसर मिलता चला जा रहा है। हिंदी के विषय में एक यह भ्रम भी फैलाई जा रही है कि हिंदी सिर्फ हिंदी भाषियों के भाषा है। यह पूरी तरह झूठ है । हिंदी संपूर्ण देश की भाषा है । हिंदी पर संपूर्ण देशवासियों को गर्व है। विश्व हिंदी दिवस पर हम सब इतना जरूर कर सकते हैं कि विदेशों में रह रहे अपने किसी एक मित्र को हिंदी में जरूर संवाद भेजें । आपका यह संवाद हिंदी के प्रचार प्रसार में मील का पत्थर साबित होगा।