हजारीबाग जिले में बार बार हो रही पत्थरबाजी जैसी घटनाओं पर अंकुश जरूरी
पत्थरबाजी जैसी घटना में लिप्त असामाजिक तत्वों के विरुद्ध समाज के हर वर्ग के लोगों को खुल कर सामने आना चाहिए ।

हजारीबाग जिले में धार्मिक जुलूस के दौरान बार-बार हो रही पत्थर बाजी जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाना बहुत जरूरी हो गया है। पत्थरबाजी जैसी घटना के घटित हो जाने के बाद स्थिति तनावपूर्ण बन जाती है। इसके साथ ही अफवाहों का बाजार गरम हो जाता है । परिणाम स्वरूप आम लोगों सहित सरकारी संपत्तियों का काफी नुकसान हो जाता है । यह किसी भी सभ्य समाज के लिए कदापि उचित नहीं है। समाज में जो भाईचारे का एक माहौल बना रहता है, ऐसी घटनाओं उसमें दरार पड़ जाता है। इसलिए इस तरह की घटना घटित न हो, समाज के सभी वर्ग के लोगों को गंभीरता पूर्वक विचार करने की जरूरत है। ऐसी घटनाओं के घटित हो जाने के तुरंत बाद संबंधित थानों के पुलिसकर्मियों सहित जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद स्थिति नियंत्रण में जरूर आ जाती है। लेकिन तब तक जन संपत्तियों का काफी नुकसान हो चुका होता है। इसलिए जरूरी है कि जिला प्रशासन पत्थरबाजी जो घटनाओं के अंजाम देने वालों को शीघ्र चिन्हित उन सबों के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई करें। ताकि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो सके।
पत्थरबाजी जैसी घटना में लिप्त असामाजिक तत्वों के विरुद्ध समाज के हर वर्ग के लोगों को खुल कर सामने आना चाहिए । ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों के नामों को जिला प्रशासन के समक्ष खुलकर रखना चाहिए। ताकि ऐसे असामाजिक तत्वों को उसके किए की सजा मिल सके। तभी बार-बार हो रही पत्थर बाजी जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है । पत्थरबाजी जैसी घटनाओं ने हमारे भाईचारे और सांप्रदायिक सौहार्द को हर बार बिगाड़ने का प्रयास करता चला रहा है । यह किसी भी सूरत में उचित नहीं है। एक तरफ ऐसी घटनाओं के घटित होने पर समाज में एक अशांति का माहौल बन जाता है। वहीं दूसरी ओर संबंधित क्षेत्र के विकास के कार्य भी रुक जाते हैं। इसके साथ ही रोजी रोजगार के सभी कार्य रुक जाते हैं। दैनिक मजदूरी करने वाले गरीबों को काफी परेशानियों का सामना तक करना पड़ जाता है। कई घरों में राशन न होने के कारण पूरे परिवार को भूखे तक सोना पड़ जाता है।
गत शनिवार 13 अप्रैल को हजारीबाग जिले के बरकट्ठा थाना अंतर्गत झुरझुरी ग्राम में नौ दिवसीय महायज्ञ जुलूस के नगर भ्रमण के दौरान अचानक पथराव हो जाने से अफरातफरी का मच गई । जुलूस में शामिल लोग इधर-उधर भागने लगे । पत्थरबाजी से कई लोग चोटिल भी हुए। लोग संभल पाते तभी यह अफवाह फैल गई कि जुलूस में शामिल तीन बच्चे और एक महिला गायब हो गई हैं । इस अफवाह से लोगों में आक्रोश बढ़ गया। और देखते ही देखते बरसों से झुरझुरी में स्थापित भाईचारे का माहौल दरक स गया। स्थिति तनावपूर्ण हो गई। परिणाम स्वरूप तीन घर, एक माचा और एक मोटरसाइकिल को आग के हवाले कर दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि इस तरह की आगजनी से लोगों को क्या मिला ? ऐसी घटनाओं से बरसों के बने भाईचारे तार तार होकर रह जाते हैं। वहीं दूसरी ओर घटना स्थल पर पुलिस और जिले के वरीय पदाधिकारी गण पहुंच कर मोर्चा संभाला और स्थिति को पूरी तरह नियंत्रण में कर लिया है। जब मैं यह आलेख लिख रहा हूं, तब झुरझुरी की स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।
इस तरह की पत्थर बाजी कर पत्थर बाज अपने मिशन में सफल हो जाते है । वे पत्थर बाज इस तरह की पत्थर बाजी कर आखिर समाज में क्या साबित करना चाहते हैं ? इसका सीधा जवाब यह है कि समाज में बरसों स्थापित शांति, भाईचारे और सांप्रदायिक सौहार्द को कुचल देना चाहते हैं । ऐसे लोग समाज में शांति चाहते ही नहीं। उनका एक ही मकसद होता है कि कैसे शांति से रह रहे लोग आपस में लड़े और माहौल बिगड़े। इस तरह की घटनाओं के घटित होने के बाद पुलिस प्रशासन पूरी तरह सक्रिय हो जाता है। तुरंत सख्त कार्रवाई कर पुलिस प्रशासन स्थिति को नियंत्रण में भी जरूर कर लेता है। जुलूस के दौरान जुलूस मार्गों पर अगर पुलिस पहले से चौकन्ना करना रहती, तब शायद इस तरह की घटना घटती ही न हो पाती। जिला पुलिस प्रशासन में गुप्तचर पुलिसकर्मी भी होते हैं। इस गुप्तचर पुलिस सेवा के लिए एक अलग से विभाग भी होता है। जुलूस निकलने से पूर्व अगर गुप्तचर पुलिस ईमानदारी से काम किए हुए होते, तो शायद पत्थर बाजों को इस तरह की घटना करने की हिम्मत न होती।
ध्यातव्य है कि बरकट्ठा थाना के थाना प्रभारी को यह जानकारी जरूर होगी कि झुरझुरी ग्राम में नौ दिवसीय महायज्ञ का जुलूस 13 अप्रैल को निकाला जाएगा। इस जुलूस में काफी संख्या में महिलाएं, बच्चें,वृद्ध और युवा सम्मिलित होंगे । यह जुलूस किन-किन मार्गो से होकर गुजरेगा ? यह भी उन्हें भली भांति ज्ञात होगा। तब संबंधित थाना के थाना प्रभारी ने जुलूस मार्ग पर पुलिस बल की उचित संख्या में तैनाती क्यों नहीं की ? आगे से इस तरह के जुलूसों के भ्रमण मार्गो पर सुरक्षा की सख्त बंदोबस्त की जानी चाहिए ताकि पत्थर बाजों को पत्थर बाजी करने के कोई भी अवसर न मिल सके। झुरझुरी के घटना के बाबत हजारीबाग के पुलिस अधीक्षक ने कहा कि उपद्रवियों को चिह्नित कर पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर माहौल बिगाड़ने वाले लोगों पर कानूनी कार्रवाई करेगी। ऐसे असामाजिक तत्वों के विरुद्ध निश्चित तौर पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।पुलिस की इस कार्यवाही में समाज के सभी वर्ग के लोगों को सामने आना चाहिए।
हजारीबाग में बीते दिनों रामनवमी के मंगला जुलूस के दौरान रात्रि में
पत्थरबाजी की घटना के बाद जुलूस में शामिल लोगों के बीच अफरातफरी मच गई थी । जिस तरह की झुरझुरी में अफरातफरी अप्रैल मच गई । मंगला जुलूस में शामिल कई लोग भी चोटिल हुए थे। माहौल पूरी तरह तनावपूर्ण हो गया था । लेकिन घटनास्थल पर पुलिस बल के पहुंच जाने से एक बड़ी घटना को बढ़ने से रोका जा सका था । इस घटना को रोकने में पुलिस को हवाई फायर तक करनी पड़ी थी। तब जा हजारीबाग जिले में बार-बार पत्थरबाजी की घटनाएं बढ़ती चली जा रही है ऐसी घटनाएं हजारीबाग के अमन और शांति कोकर कहीं स्थिति नियंत्रण में हो पाई थी । यहां भी मंगला जुलूस के दौरान पत्थरबाजी से स्थिति बिगड़ी थी। झुरझुरी में भी पत्थर बाजी से ही स्थिति बिगड़ी। इससे पहले अमनारी ग्राम में 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर धार्मिक झंडे और लाउडस्पीकर लगाने को लेकर दो समुदाय के लोग आपस में भिड़ गए थे। इस दौरान दोनों तरफ से पत्थरबाजी हुई, जिसमें कुछ लोग घायल हो गए थे। यहां भी पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण में लिया था। एहतियात के तौर पर यहां पर भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात करना पड़ा था।
ऐसी घटनाएं हजारीबाग जिले के विभिन्न हिस्सों में बार-बार घटित होती चली जा रही है । यह अमन चैन की दृष्टि में किसी भी तरह उचित नहीं है। ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाना बहुत जरूरी हो गया है। हम सब वर्षों से साथ रहते चले आ रहे हैं। हजारीबाग जिला झारखंड के एक शांतिप्रिय जिला के रूप में जाना जाता रहा है। हम सब बरसों से यहां मिलजुल कर रहते चले आ रहे हैं । हम सबों के मिलजुल कर रहने की संस्कृति को लेकर इसे गंगा जमुनी नाम से भी संबोधित किया जाता है । बार-बार पत्थर बाजी की घटनाओं पर अंकुश लगाना बहुत जरूरी हो गया है। हजारीबाग में शांति बहाल की दिशा में पुलिस प्रशासन के कंधों पर विशेष रूप से जवाबदेही है। पुलिस प्रशासन को जिले भर में निकलने वाले जुलूसों के मार्गों पर सख्त पुलिस प्रबंध करने की जरूरत है। साथ ही पुलिस गुप्तचर सेवा से जुड़े पुलिस कर्मियों को पूरी मुस्तैदी के साथ काम करने की जरूरत है। इस तरह के पत्थर बाज योजनाकारों को समय से पूर्व गिरफ्तार कर लेने की जरूरत है। इसके साथ ही समाज में ऐसे पत्थर बाजों को कभी भी प्रश्रय नहीं मिलना चाहिए।