किसानों का आज ‘दिल्ली चलो’ मार्च, पुलिस ने सीमेंट की दीवारें खड़ी की, क्या है किसानों की माँगें….
किसान यूनियन अपनी कई मांगों को लेकर आज दिल्ली कूच कर रहे हैं। उनकी माँगों में मुख्य रूप से बिजली अधिनियम 2020 को निरस्त करना, लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों के लिए मुआवजा और किसान आंदोलन में शामिल लोगों के खिलाफ मामलों को वापस लेना शामिल है। इस किसान आंदोलन में 250 से अधिक किसान यूनियन शामिल हैं। 150 यूनियन वाले सबसे बड़े संयुक्त किसान मोर्चा ने पिछले साल दिसंबर में इस दिल्ली चलो मार्च का आहवान किया था। किसानों का उद्देश्य सरकार को दो साल पहले किए गए वादों की याद दिलाना है।
केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा के साथ बैठक बेनतीजा
सोमवार रात किसान नेताओं के साथ केंद्रीय मंत्रियों ने पांच घंटे से अधिक समय तक बैठक किया। चंडीगढ़ के सेक्टर 26 में महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान में खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने किसान नेताओं के साथ बैठक की। जिसमें किसानों की मुख्य मांग फसलों के अधिकतम समर्थन मूल्य पर कोई समाधान नहीं हो सका। बैठक में 2020-21 के आंदोलन के दौरान दर्ज किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की सरकार की इच्छा पर किसानों ने चिंता व्यक्त किया। किसान मजदूर संघर्ष समिति के सरवन सिंह पंढेर जैसे किसान नेताओं ने सभी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में संदेह व्यक्त किया। इस बैठक में कोई नतीजा नहीं निकालने पर कई किसान संघों, जिनमें ज्यादातर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से हैं, ने अपनी उपज के लिए एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून की मांग के लिए आज दिल्ली कूच कर गये हैं।
हालांकि, केंद्र की ओर से जारी बयान के अनुसार, आधी रात के बाद इन मुद्दों पर सहमति बन गई, लेकिन किसान अपने संकल्प पर कायम हैं और उन्होंने कहा कि सरकार ने दो साल पहले जो वादे किए थे, वे पूरे नहीं हुए हैं।
किसान अपनी किन माँगों पर अड़े हैं?
सरकार ने एमएसपी, कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए कानूनी गारंटी पर विचार-विमर्श के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव रखा है। लेकिन, किसान प्रतिनिधि इससे सहमत नहीं हैं। किसानों का कहना है कि समिति के बनने और उसकी सिफारिशों को लागू करना एक लंबी प्रक्रिया है।
- एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून की मांग
- बिजली अधिनियम 2020 को निरस्त करना
- लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों के लिए मुआवजा
- किसान आंदोलन में शामिल लोगों के खिलाफ मामलों को वापस लेना
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 की बहाली
- विश्व व्यापार संगठन से वापसी
- पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजा
कंक्रीट ब्लॉक, लोहे की कीलें और कंटीले तारों से रोकेगी पुलिस
जैसे-जैसे ‘दिल्ली चलो’ मार्च जोर पकड़ रहा है, सिंघु, टिकरी और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिए गए हैं। दिल्ली पुलिस ने राजधानी में प्रदर्शनकारी वाहनों के प्रवेश को रोकने के उद्देश्य से कड़े कदम उठाए हैं, जिनमें बैरिकेड्स सहित सड़क को अवरुद्ध करने के लिए क्रेन और अर्थमूवर्स का उपयोग शामिल है। पुलिस ने सार्वजनिक बैठकों और शहर में प्रवेश करने वाले ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों पर एक महीने का प्रतिबंध लगा दिया है. प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली में 12 मार्च तक सभी बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध रहेगा।
हरियाणा में पुलिस ने अंबाला, जिंद, फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र और सिरसा समेत कई स्थानों पर पंजाब से सटे अन्य राज्य के बॉर्डर्स सुरक्षा बल तैनात कर दिया है। सड़कों पर बैरिकेडिंग करने और प्रदर्शनकारियों को राज्य में घुसने से रोकने के लिए कंक्रीट ब्लॉक, लोहे की कीलें और कंटीले तारों का इस्तेमाल किया गया है।