बिहार के कलाकारों से सजी शॉर्ट फिल्म चंपारण मटन ऑस्कर तक पहुंची

बिहार के कलाकारों से सजी फिल्म चंपारण मटन आस्कर की नैरेटिव श्रेणी में पहुंची रंजन ने किया निर्देशन, हाजीपुर के चंदन और मुजफ्फरपुर की फलक आएंगी नजर

बिहार के कलाकारों से सजी शॉर्ट फिल्म चंपारण मटन ऑस्कर तक पहुंची

पटना : आम आदमी की 800 रुपये किलो का मटन खाने की जद्दोजहद को दिखाती बिहार के कलाकारों से सजी शॉर्ट फिल्म चंपारण मटन ऑस्कर तक पहुंच गई है।

हाजीपुर के चंदन राय ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई है। यह फिल्म ऑस्कर की नैरेटिव (कथा) श्रेणी में शामिल की गई है। फिल्म टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) द्वारा बज्जिका और हिंदी भाषा में बनाई गई 24 मिनट की इस फिल्म का निर्देशक हाजीपुर के रंजन कुमार ने किया है।

12 दिन में बनी शॉर्ट फिल्‍म, बारामती में हुई शटिंग

मुजफ्फरपुर की फलक खान के साथ प्रदेश के करीब 10 कलाकार पर्दे पर बिहार की कहानी बता रहे हैं। पंचायत, जामुन और सनक जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुके चंदन ने बताया कि चंपारण मटन की कहानी एक ऐसे लड़के हैं, जिसकी कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन में नौकरी चली गई है।

बेरोजगारी के दौर में उसकी पत्नी मटन खाने की इच्छा जाहिर करती है। एक परिवार जिसके लिए दाल-चावल तक की व्यवस्था करना मुश्किल है, उसके लिए मटन खाने की रस्साकसी को फिल्म उभारती है। 12 दिन में बनी फिल्म की शूटिंग महाराष्ट्र के पुणे से 150 किमी दूर बारामती में की गई है।

बिहार के इन जिलों के कलाकारों ने किया काम

व्यंग्य-हास्य के साथ रोमांस का तड़का  एफटीआईआई में अध्ययनरत निर्देशक रंजन कुमार ने बताया कि यह उनकी डिप्लोमा फिल्म है। इसमें बिहार के दरभंगा, जंदाहा, बेगूसराय और महुआ आदि से कलाकार लिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि मटन खाना सबके बस की बात नहीं। अगर स्वाद खराब हो जाए, तो कई दिन की दिहाड़ी बेकार चली जाती है। ऐसे में आम आदमी के मटन के जायके को व्यंग्य-हास्य के माध्यम से रोमांस के साथ परोसा है।

अभिनेत्री फलक खान ने कहा कि बिहार तो व्यंजनों के लिए मशहूर है, पर लजीज चीजों तक सबकी पहुंच तक नहीं। इसके बावजूद पत्नी की ख्वाहिश पूरी करने के लिए पति कुछ भी करने को तैयार है। ऐसे में मटन खाने के लिए पैसों के जुगाड़ का संघर्ष और मटन बनाने की प्रक्रिया को हमने कम समय में पर्दे पर दिखाया है।